Shri Krishna Janmashtami 2023: भगवान श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी को आखिर किसने किया था नष्ट? कैसे डूबी थी समुद्र में
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Shri Krishna Janmashtami 2023: भगवान श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी को आखिर किसने किया था नष्ट? कैसे डूबी थी समुद्र में

Dwarka Nagari of Gujarat: भगवान श्रीकृष्ण ने गुजरात में सोने से बनी द्वारका नगरी का निर्माण किया था. उनके जाने के बाद आखिर किसने उस नगरी को नष्ट कर दिया था?

Shri Krishna Janmashtami 2023: भगवान श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी को आखिर किसने किया था नष्ट? कैसे डूबी थी समुद्र में

How Dwarka Nagari of Gujarat Sank in the Sea: भगवान श्रीकृष्ण हरि के अवतार थे. उन्होंने धरती पर दुष्टों का संहार करने और फिर से धर्म की स्थापना के लिए मानव का अवतार लिया था. कंस के वध के बाद वे मथुरा के राजा बने. इसके बाद उन्होंने महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाकर धर्म स्थापना पर अहम काम किया. इस युद्ध के बाद वे मथुरा वापस लौट गए. वहां पर जब बार- बार जरासंध के हमले होने लगे तो जनहानि से बचने के लिए वे गुजरात के समुद्र तट (Dwarka Nagari of Gujarat) पर चले गए और वहां द्वारका नगरी की स्थापना की लेकिन बाद में वह नगरी नष्ट हो गई. कहते हैं कि प्राचीन द्वारका नगरी समुद्र में समाई हुई है. आखिर वह नगरी समुद्र में कैसे समा गई. क्या है इसके पीछे की कहानी. आज हम आपको इसके पीछे का किस्सा विस्तार से बताते हैं. 

समुद्र से मांगी थी नगरी बनाने के लिए जगह

लोक कथाओं के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) ने अपनी द्वारका नगरी (Dwarka Nagari of Gujarat) बसाने के लिए समुद्र से जगह मांगी थी. भगवान हरि के इस आग्रह को समुद्र देव ठुकरा न सके और वे पीछे हो गए. इसके बाद समुद्र में से निकली जगह पर भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका नगरी का निर्माण किया. कहते हैं कि वह नगरी सोने की बनी हुई थी. महाभारत के युद्ध के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण द्वारका वापस लौटे तो उन्होंने देखा कि कुटुंब के लोग धन-संपत्ति के लिए आपस में लड़ रहे हैं. उन्हें द्वेष भाव भी बढ़ रहा है. उन्होंने उन्हें समझाने का प्रयास किया लेकिन वे नहीं माने, जिससे कन्हैया उदास रहने लगे.

श्रीकृष्ण के जाने पर समुद्र में समा गई द्वारका

एक दिन श्रीकृष्ण नदी किनारे बैठकर अपनी मुरली बजा रहे थे, तभी एक बहेलिया का तीर उनके पैर में आकर लगा. इसके पीछे खुद उन्हीं का रचा विधान था, जिससे वे धरती से विदाई ले सकें. तीर लगने पर जब भगवान श्रीकृष्ण को अपना अंत वक्त नजदीक लगा तो उन्होंने समुद्र देवता से अपना स्थान वापस ले लेने का आग्रह किया. इसके कुछ देर बाद उनका देहांत हो गया. अपना मानव अवतार पूरा कर जब भगवान हरि क्षीर सागर वापस चले तो तो समुद्र देव ने अपना विस्तार कर पूरी द्वारका नगरी को अपने आगोश (How Dwarka Nagari of Gujarat sank in the sea) में ले लिया. इसके साथ ही सोने से बनी द्वारका नगरी हमेशा के लिए समुद्र में समा गई. 

चार धामों में से एक द्वारकाधीश मंदिर

फिलहाल गुजरात के द्वारका (Dwarka Nagari of Gujarat) में द्वारकाधीश मंदिर बना हुआ है, जहां पर हर साल देश-दुनिया से लाखों हिंदू दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. गोमती नदी के तट पर बना यह मंदिर बहुत सुंदर और अद्भुत है. कहते हैं कि इस मंदिर का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के पोते वज्रभ ने किया था. यह मंदिर 5 मंजिला इमारत का तथा 72 स्तंभों पर स्थापित है. इस मंदिर का शिखर करीब 78.3 मीटर ऊंची है. इस मंदिर को हिंदुओं का पवित्र चार धाम में से एक महातीर्थ माना जाता है. इस मंदिर का झंडा दिन में 5 बार बदला जाता है. इस अदभुत मंदिर का निर्माण चूना पत्थरों से किया गया था. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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