Sankashti Chaturthi Vrat: संतान के जीवन को बाधामुक्‍त बनाता है ये व्रत, जानें तारीख और सही विधि
Advertisement
trendingNow12065429

Sankashti Chaturthi Vrat: संतान के जीवन को बाधामुक्‍त बनाता है ये व्रत, जानें तारीख और सही विधि

Tilkut Chaturthi 2024: संकष्‍टी चतुर्थी संतान के जीवन को विघ्न बाधाओं से मुक्त रखने के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण व्रत है. यह हर महीने के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है. 

Sankashti Chaturthi Vrat: संतान के जीवन को बाधामुक्‍त बनाता है ये व्रत, जानें तारीख और सही विधि

Sankashti Chaturthi 2024: माघ मास के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को सकट चतुर्थी व्रत, संकष्टी चतुर्थी या तिल चतुर्थी अथवा तिलकुटा चौथ भी कहते हैं. इस बार तिलकुट चतुर्थी 29 जनवरी दिन सोमवार को मनाई जाएगी. पुत्र की लंबी उम्र की कामना को पूरा करने के लिए माताएं इस व्रत को रखती है. इस दिन तिल से गणेश जी की पूजा करके उनसे संतान के जीवन को कष्टों से मुक्त करने की प्रार्थना की जाती है. इस व्रत के प्रभाव से संतान को ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है, साथ ही उसके जीवन में आने वाली सभी विघ्न बाधाओं को गणेश जी दूर करते हैं. साथ ही उस पर सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं. माना जाता है कि गणेश जी ने इसी दिन अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा कर अपनी बौद्धिक तीव्रता का परिचय दिया था. 

तिल चौथ व्रत 

संकष्टी चतुर्थी नाम से ही स्पष्ट है कि यह व्रत जीवन में आने वाले संकटों को टालने या उनसे रास्ता निकालने के लिए किया जाता है. पुत्रवती माताएं इस दिन प्रात: जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर साफ वस्त्र धारण करती हैं. इसके बाद ही गणेश जी की पूजा करते हुए व्रत रखने का संकल्प लेती हैं. सूर्यास्त के समय एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी व माता चौथ की प्रतिमा को स्थापित कर उनकी पूजा करना चाहिए. 

तिलकुट चौथ पूजा विधि 

तिलकुट चतुर्थी व्रत में पूजा की सामग्री के रूप में स्वच्छ पात्र में जल, रौली, मौली, अक्षत, गुड़, घी, धूप, दीप, पुष्प, फल, दूब, लड्डू, तिल या फिर तिलपट्टी, तिल के लड्डू का उपयोग करें. ये चीजें भगवान गणेश जी व माता सकट को अर्पित करें. फिर भगवान गणेश जी और चौथ माता की कथा सुननी सुनानी चाहिए. रात में चांद निकलने के बाद चंद्रमा की पूजा करें और चंद्रमा को जल का अर्घ्य देने के बाद ही सकट चौथ के व्रत की पूर्णता होती है. पूजा की पूर्णता के बाद दान आदि करना श्रेष्ठ रहता है. 

Trending news