Pitru Paksha 2023 Upay: पितृ पक्ष शुरू हो चुके हैं और लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर रहे हैं. इन कामों में एक खास तरह के फूल का उपयोग करना बहुत जरूरी है.
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Kash Phool Upay: पितृ पक्ष के 15 दिनों में पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान आदि किया जाता है. श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन कराने और दान-पुण्य करने का भी बड़ा महत्व है. इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू हुए हैं और अश्विन माह की अमावस्या यानि कि 14 अक्टूबर 2023 तक चलेंगे. इस दौरान तर्पण करते समय एक खास तरह के फूल का उपयोग करना जरूरी है. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं. पितरों को कास के फूल बेहद प्रिय है. पौराणिक कथाओं के अनुसार अगर तर्पण पूजा में काश के फूलों का इस्तेमाल न किया जाए, तो व्यक्ति का श्राद्ध कर्म पूरा नहीं माना जाता.
पितृ पक्ष में पूजा में जरूर शमिल करें ये फूल
श्राद्ध कर्म के दौरान कुछ बातों और नियमों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ऐसा ही एक नियम है तर्पण में कास के फूलों का उपयोग करना. पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण के लिए ऐसे किसी भी फूल का उपयोग नहीं किया जाता. बल्कि पितृ पक्ष में तर्पण के लिए काश के फूल का ही उपयोग करना जरूरी होता है. यदि किसी कारणवश काश के फूल नहीं मिलें तो श्राद्ध-पूजन में मालती, जूही, चम्पा सहित सफेद फूलों का भी इस्तेमाल किया जाता है.
पुराणों के अनुसार पितृ तर्पण के दौरान काश के फूल का उपयोग वैसे ही जरूरी है जैसे कुश और तिल का उपयोग. जिस तरह बिना कुश और तिल के श्राद्ध, तर्पण पूरे नहीं होते हैं, वैसे ही कास के फूल के बिना तर्पण पूरा नहीं माना जाता है.
इन फूलों का न करें उपयोग
पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण के दौरान गलती से भी बेलपत्र, कदम्ब, करवीर, केवड़ा, मौलसिरी और लाल-काले रंग के फूलों का प्रयोग ना करें. इन फूलों का उपयोग भगवान की पूजा में किया जाता है. वहीं पितृ पूजा में इन फूलों का उपयोग वर्जित है. वरना ये गलती पितरों को नाराज कर देती है और व्यक्ति को पारिवारिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उसे धन हानि होती है, आर्थिक तंगी में जीवन बिताना पड़ता है. इसके अलावा पितरों की नाराजगी नुकसान और कष्ट देती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)