Surya Dev: सूर्य देव को हर महीने किसी न किसी नाम से पुकारा जाता हैं, आइए जानते हैं कि सूर्य के कितने रूप हैं और उनका कौन सा रूप किस तरह के मनोकामनाओं की पूर्ति करता है.
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Bhagwan Surya: सूर्य देव ग्रहों के राजा कहे जाते हैं. वह वर्ष के 12 महीनों में अलग अलग नाम, स्वरूप और गुणों के साथ रहते हैं. इस अवधि में वह जगत में रहने वाले सभी प्राणियों की चिंता करते हुए उनकी रक्षा करते हैं. आइए जानते हैं पूषा, पर्जन्य, अंशुमान, भग, त्वष्टा और विष्णु के रूप में किस तरह प्राणियों को अपनी कृपा देते हैं.
पूषा- आश्विन मास में उदित होने वाले सूर्य का पूषा होता है. यह भगवान के सूर्य देव के पांचवें स्वरूप का नाम है. यह अन्न में वास कर प्रजाजनों का पोषण करते हैं. यही इंद्रजाल क्रिया के मुख्य देवता भी हैं.
पर्जन्य- कार्तिक मास में सूर्य के रथ पर पर्जन्य आदित्य सवारी करते हैं. सूर्य देव की लीला का तीसरा स्वरूप पर्जन्य कहलाता है. यह मेघों में वास करते हैं और वर्षा करना इनका कार्य है.
अंशुमान- भगवान सूर्य के दसवें स्वरूप का नाम अंशुमान है. मार्गशीर्ष मास जिसे अगहन भी कहा जाता है के अधिपति यही हैं. यह वायु रूप में प्राण तत्व बनकर समस्त प्राणियों की देह में विराजमान रहते हुए सबकी रक्षा करते हैं. इन्हीं की कृपा से व्यक्ति का जीवन सजग और तेज पूर्ण रहता है. इनकी आराधना से शरीर स्वस्थ रहता है.
भग- पूष जिसे पौष मास भी कहा जाता है में सूर्य देव भग के रूप में संचरण करते हैं. यह भगवान सूर्य का सातवां रूप है. तिथि, मास, संवत्सर, अयन, घटी आदि के अधिष्ठाता भगवान सूर्य भग रूप में हमें सौभाग्य प्रदान करते हैं. यह प्राणियों में अंग रूप में विद्यमान रहते हैं और शरीर में चेतना, ऊर्जा शक्ति, काम शक्ति तथा जीवंतता को अभिव्यक्त करते हैं. ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान, वैराग्य में छह भग कहलाते हैं और इनके स्वामी विष्णु हैं.
त्वष्टा- माघ मास में त्वष्टा नामक सूर्य अपने रथ पर चलते हैं. ये भगवान सूर्य देव के चौथे स्वरूप हैं. ये संपूर्ण वनस्पतियों और औषधियों में स्थिर रहते हैं.
विष्णु- यह भगवान का नौवां स्वरूप है. विष्णु रूप में सूर्य देव फाल्गुन मास में संचरण करते हैं. एक धर्मनिष्ठ व्यक्ति की भांति विष्णु आदित्य सृष्टि को संपन्न करते हैं. यह संसार के सभी कष्टों से मुक्ति दिलाने वाले हैं. इनकी उपासना करने से सूर्य के समान तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति होती है.