Kalashtami 2023 Date: आषाढ़ मास का प्रारंभ 5 जून से हो चुका है और 10 जून शनिवार को कालाष्टमी का व्रत होगा. धर्म ग्रंथों के अनुसार, कालाष्टमी के व्रत के दिन सुबह नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद स्नान करने के बाद भगवान काल भैरव की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए.
Trending Photos
Kalashtami Meaning: प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन कालाष्टमी का व्रत रखने का विधान है. इस दिन कृपा बरसाने वाले भोलेनाथ के रुद्रावतार भगवान काल भैरव का पूजन किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार, भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना करने से जीवन में आने वाले परेशानियों से मुक्ति मिलती है. जिन लोगों को अनिद्रा और मानसिक तनाव अधिक रहता है, वह इनकी पूजा-अर्चना कर सकते हैं. व्रत करने वाले भक्त के कष्टों का निवारण ही नहीं होता है, बल्कि उसे सुख और समृद्धि की प्राप्ति भी होती है.
आषाढ़ मास का प्रारंभ 5 जून से हो चुका है और 10 जून शनिवार को कालाष्टमी का व्रत होगा. धर्म ग्रंथों के अनुसार, कालाष्टमी के व्रत के दिन सुबह नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद स्नान करने के बाद भगवान काल भैरव की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. इसके लिए उनकी प्रतिमा के सामने दीप जलाकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. वास्तव में काल भैरव को भगवान शिव का रौद्र रूप माना जाता है. इन्हें तंत्र-मंत्र का देवता भी कहा जाता है और तंत्र साधना वाले तो इनकी पूजा रात्रि में ही करते हैं. वैसे भैरव का सौम्य रूप बटुक भैरव और उग्र रूप काल भैरव माना गया है.
शनि और राहु की बाधा
मान्यताओं के अनुसार, शनि और राहु की बाधाओं से मुक्ति के लिए काल भैरव की आराधना अवश्य ही करनी चाहिए. पौराणिक काल में शिवजी के क्रोध से काल भैरव की उत्पत्ति मानी गयी है. देखने में कालभैरव का स्वरूप भले ही भयानक और डरावना लगता हो, किंतु जो लोग उनकी पूजा सच्चे मन से करते हैं, उनके सारे कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. काल भैरव की उपासना करने वाले के जीवन से हर तरह की नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मकता का प्रवेश बढ़ता है.
Planets: आए दिन रहते हैं बीमार, इलाज से भी नहीं मिल रही राहत; कमजोर ग्रह हो सकते हैं वजह |
ये हैं भारत के टॉप 5 सबसे अमीर मंदिर, हर साल अरबों में चढ़ता है चढ़ावा |