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Kaal Bhairav 2022 Remedies: हिंदू धर्म में हर तिथि का विशेष महत्व है. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है. इसे कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि इस बार काल भैरव जयंती 16 अक्टूबर के दिन मनाई जाएगी. मान्यता है कि इस दिन काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति की सभी प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काल भैरव के उपायों को करने से व्यक्ति को कर्ज से, नेगेटिविटी, शत्रुओं और मुकदमे आदि से छुटकारा मिल जाता है.
बता दें कि काल भैरव को तंत्र-मंत्र के देवता के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इनकी कृपा से तांत्रिक क्रियाएं निष्फल हो जाती हैं. जानें काल भैरव अष्टमी के दिन इन सब कार्यों को करने से व्यक्ति को हर कार्य में सफलता हासिल होती है. जानें इन उपायों के बारे में.
काल भैरव के दिन करें ये उपाय
- अपने बिजनेस को दूसरे शहरों में फैलाने के लिए आज काल भैरव मंदिर में जाकर उन्हें सवा सौ ग्राम साबुत उड़द अर्पित करें. इसके बाद इसमें से 11 उड़द की दाल के दाने गिनकर अलग निकाल लें और काले रंग के कपड़े में बांध लें और इसे कार्यस्थल की तिजोरी में रख दें. इस बात का ध्यान रखें कि दानों को कपड़ों में रखते समय हर दाने के साथ ऊँ ह्रीं बटुकाय आपद्उद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ऊँ इस मंत्र का जाप करें.
- अपने सुख-साधनों में बढ़ोतरी करने के लिए भैरव जी के आगे मिट्टी के दीपक में सरसों का तेल डालकर दीपक जलाएं. साथ ही, अपने सुख-साधनों में बढ़ोतरी की प्रार्थना करें.
- जीवन में किसी परेशानी को दूर करना चाहते हैं तो आज के दिन सरसों के तेल में चिपुड़ी हुई रोट को काले कुत्ते को खिला दें. रोटी पर तेल चुपड़ कर भैरव का ध्यान करें और 5 बार मंत्र का जाप करें.
- किसी प्रकार का भय बना हुआ है, तो इसे दूर करने के लिए भैरव भगवान के चरणों में काले रंग का धागा रखें. 5 मिनट तक इस धागे को यहीं रखा रहने दें. इस दौरान मंत्र का जाप करें.
- अगर बच्चों पर किसी ने जादू टोना कर दिया है और इस वजह से बच्चा तरक्की नहीं कर पा रहा, तो एक मुट्ठी काले तिल लेकर भैरव बाबा का ध्यान करते हुए बच्चे के सिर से सात बार वार दें. ध्यान रहें कि छ बार क्लॉक वाइज और एक बार एंटी क्लॉक वाइज करना चाहिए. सिर से वारने के बाद उन तिलों को किसी बहते जल में प्रवाहित कर दें.
- आर्थिक रूप से लाभ को और अधिक बढ़ाने के लिए स्नान आदि के बाद भैरव जी की विधि-विधान से पूजा करें और उन्हें जलेबी का भोग लगाएं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)