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Astro Tips: जीवन में सकारात्मकता और नकारात्मकता दोनों साथ-साथ चलती है. यह बिलकुल देव और असुर के जैसे ही है. देवासुर संग्राम शुरुआत से चला आ रहा है. इसलिए जहां सकारात्मकता ऊर्जा है, वहां नकारात्मकता ऊर्जा का साया भी मंडराता रहता है. नकारात्मकता से भयभीत होने की जरूरत बिलकुल भी नहीं है, बल्कि इसे पहचान कर दूर करने की जरूरत है.
कोई घटना घटने से खराब नहीं होती है, बल्कि यह सिर्फ इस बात का संकेत होती है कि नकारात्मकता आ रही है और हमें इससे बचने के उपाय करने हैं. जिस तरह से सिक्के के दो पहलू होते है, ठीक उसी तरह से अपशकुन केवल खराब न होकर आगामी घटनाओं से सचेत होने के लिए संकेत देने का भी काम करते है. कैसे पहचाने नेगेटिव एनर्जी को.
जाप करते वक्त भूल जाना
यदि आप पूजा करने बैठते हैं और कंठस्थ पाठ, मंत्र, चालीसा आदि भूल जाते है, तो इसका मतलब है कि आप पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रहार हुआ है.
फूलों की माला का उलझना
फूलों की माला यदि भगवान को पहनाते समय उलझ जाती है, तो यह संकेत अच्छा नहीं माना जाता है.
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खंडित मूर्ति, आभूषण का टूटना
भगवान की मूर्ति का खंडित होना या उनके पहने हुए आभूषणों का टूट जाना नकारात्मक ऊर्जा का संकेत है.
दिया बुझ जाना
आरती करते वक्त दिये का बुझ जाना, अखंड दिया का बुझना या कई बार दिया एक बार में जल जाता है और कई बार इसे जलाने के बड़े प्रयास करने पड़ते है. इसको अच्छा नहीं माना जाता है.
कुमकुम गिरना
अगर पूजा के दौरान चावल की डिब्बी गिर जाती है. तो यह आर्थिक नुकसान का संकेत माना जाता है. इसके साथ ही पूजा की थाली, कुमकुम, रोली, सिंदूर का गिर जाना भी प्रबल नकारात्मक ऊर्जा का प्रहार माना जाता है.
जनेऊ (यज्ञोपवीत) का उलझना
पूजा के समय जनेऊ धारण करना जरूरी होता है और यदि जनेऊ धारण करते समय वह उलझ जाता है, तो यह भी अच्छा नहीं माना जाता है.
ऐसे बचें नकारात्मकता ऊर्जा से
यदि पूजा करते समय एक के बाद एक उपरोक्त बताए गए व्यवधान आ रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आपके इर्द-गिर्द नकारात्मक ऊर्जा है. पूजा के व्यवधान को समझें और इसे दूर करने के लिए केवल प्रभु से ही प्रार्थना करें. मन न भी लगे तो भी उपासना करते रहें क्योंकि प्रभु की कृपा से ही भक्ति भाव सुदृढ़ होता है.
इन व्यवधानों को दूर करने के लिए नियमित रूप से राम नाम जाप, महामृत्युंजय मंत्र या अन्य किसी मंत्र का जाप करें. नियमित रूप से जाप, उपासना करने से नेगेटिव ऊर्जा की ग्रेविटी धीरे-धीरे खत्म होने लगती है और सकारात्मक ऊर्जा का कवच सुदृढ़ होता है.