Param Vir Chakra awardee Captain Manoj Pandey: 15 अगस्त को आजादी के 76 साल पूरे होने के मौके पर 'शौर्य' सीरीज के तहत हम आपको देश की सुरक्षा के लिए बलिदान देने वाले जवानों की कहानी बता रहे हैं. आज हम आपको कारगिल युद्ध (Kargil War 1999) के हीरो और परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पांडेय की दिलेरी की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने गोली खाकर भी पाकिस्तान को पस्त कर दिया था.
जीआर गोरखा राइफल के पहली बटालियन के जवान कैप्टन मनोज पांडे ने परमवीर चक्र के लिए भारतीय सेना जॉइन की थी. इसका खुलासा उन्होंने खुद एनडीए के इंटरव्यू के दौरान किया था, जब उनसे पूछा गया था वो आर्मी क्यों जॉइन करना चाहते हैं. यह सुनकर इंटरव्यू पैनल में मौजूद लोग भी हैरान रह गए थे.
कैप्टन मनोज पांडे (Captain Manoj Pandey) ने कारगिल युद्ध (Kargil War 1999) के दौरान लद्दाख के बटालिक सेक्टर में जुबार टॉप पर कब्जे के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना दुश्मनों को धूल चटाई थी.
कारगिल युद्ध में कैप्टन मनोज पांडे ने कंधे और पैर में गोली लगने के बावजूद दुश्मन के बंकर में घुसकर दुश्मनों को मार गिराया था. गोली लगने के बाद भी उन्होंने दुश्मन के कई बंकरों को नष्ट किया था. इस दौरान तीन गोलियां उनके हेलमेट को चीककर सिर में घुस गई और वो शहीद हो गए.
शहीद होने से पहले कैप्टन मनोज पांडेय ने दुश्मनों के कई बंकरों को नष्ट कर दिया और अपनी बटालियन के लिए मजबूत बेस तैयार कर दिया. इसके बाद गोरखा राइफल (Gorkha Regiment) ने चुन-चुनकर दुश्मनों को मौत के घाट उतार दिया और खालूबार (Khalubar Hills) पर कब्जा कर लिया.
कारगिल युद्ध में दिलेरी के लिए कैप्टन मनोज पांडे (Captain Manoj Pandey) को मरणोपरांत सेना का सर्वोच्च मेडल परमवीर चक्र (Param Vir Chakra) से सम्मानित किया गया और उनके पिता गोपी चंद पांडेय ने 26 जनवरी 2000 को तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन (KR Narayanan) से ग्रहण किया था.
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