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भारत में चार जगह छपते हैं नोट, कहां से आता है कागज और स्याही? जानिए तमाम सवालों के जवाब

दुनिया के किसी भी हिस्से में चले जाइए, जीवन में हर काम के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है. भारतीय मुद्रा 'रुपया' है, जिसका इतिहास वर्षों पुराना है. एक जमाने में केवल विभिन्न धातुओं के बने सिक्के चलते थे, लेकिन समय के साथ-साथ इंडियन करेंसी की शक्ल, कलर और साइज बदलता गया. 

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लोगों के मन में अक्सर ये सवाल आता है कि नोट किस कागज पर छपते हैं, नोट वाली कागज कहां बनता है, कौन सी स्याही से इस पर लिखाई की जाती है.

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किस प्रिंटिंग मशीन में छपते हैं नोट, आखिर कैसे नोटों की डिजाइन, छपाई और सिक्कों का निर्माण होता है? आइए जानते हैं नोट छापने की प्रक्रिया से जुड़े तमाम सवालों के जवाब...

 

अंग्रेजों के जमाने में छपे थे कागजी नोट

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अंग्रेजों के जमाने में छपे थे कागजी नोट

भारत में अलग-अलग रंगो के नोटों चलते हैं. भारत में पहली बार ब्रिटिश राज में सन 1861 में छापे गए थे. आजादी के बाद नोट छापने की जिम्मेदारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को मिली. डिपार्टमेंट ऑफ करेंसी मैनेजमेंट आरबीआई के दिशा-निर्देश पर नोट छापने का काम करता है. 

 

यहां हैं सिक्कों की टकसाल

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यहां हैं सिक्कों की टकसाल

देश में 4 करेंसी नोट प्रेस हैं जो अलग-अलग शहरों में स्थित हैं. इसके अलावा सरकारी स्वामित्व वाली चार टकसालों में सिक्के बनाए जाते हैं, जो मुंबई, हैदराबाद, कलकत्ता और नोएडा में मौजूद हैं.

दो का स्वामित्व भारत सरकार और दो RBI के पास

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दो का स्वामित्व भारत सरकार और दो RBI के पास

भारत में कुल चार प्रिंटिंग प्रेस देवास, नासिक, सलबोनी और मैसूर में मौजूद हैं. इनमें से दो प्रिंटिंग प्रेस भारतीय सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन आती हैं, जिनमें देवास और नासिक कि प्रिंटिंग प्रेस शामिल हैं. वहीं, मैसूर और सालबोनी (पूर्वी भारत) ये दो प्रिंटिंग प्रेस आरबीआई की सब्सिडियरी कंपनी रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड के अधीन आती हैं.

 

यहां तैयार होती है इंक

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यहां तैयार होती है इंक

नोट छापने के लिए इस्तेमाल होने वाली इंक मध्य प्रदेश के देवास में बनती है. वहीं, नोट पर जो गहरी स्याही की छपाई होती है. उसे स्विट्जरलैंड की कंपनी एसआईसीपीए द्वारा तैयार की जाती है, जो सिक्किम में मौजूद है. विदेश से आने वाली स्याही के मिश्रण में बदलाव कर होता है, ताकि कोई उसकी नकल न कर पाए. 

 

विदेश से आता है कागज

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विदेश से आता है कागज

भारतीय नोट की छपाई के लिए उपयोग किया जाने वाला कागज विदेशों से आयात किया जाता है, जिनमें मुख्य तौर पर यूके, जापान और जर्मनी जैसे देश शामिल हैं. 

होशंगाबाद में है इकलौती पेपर मिल

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होशंगाबाद में है इकलौती पेपर मिल

आरबीआई की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार लगभग 80 फीसदी नोटों की प्रिटिंग के लिए कागज विदेश से मंगाया जाता है, जबकि 20 फीसदी कागज भारत में बनता है. भारत में पेपर मिल मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में है, जहां स्टांप पेपर और नोटों का कागज तैयार किया जाता है. 

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