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11वीं शताब्दी में बने इस प्राचीन मंदिर की तर्ज पर बना है अयोध्या का राम मंदिर

Ram Mandir: अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की तारीख नजदीक आ रही है. आपको बता दें कि 22 जनवरी के दिन पीएम मोदी की मौजूदगी में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी. राम मंदिर को नागर शैली में बनाया गया है. राम मंदिर के अलावा देश में कई प्राचीन मंदिर हैं जिन्हें इसी शैली में बनाया गया है.

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मंदिर की छत से उठता हुआ शिखर नागर शैली की खासियत है. आमतौर पर इन मंदिरों के शिखर चतुष्कोणीय (चार कोण वाले) होते हैं. 8वीं से 13वीं शताब्दी के बीच बने मंदिरों में इस शैली का काफी इस्तेमाल किया गया है. नागर शैली में बने मंदिरों को ऊंचाई के बढ़ते क्रम में 8 हिस्सों में बांटा जाता है जो इसकी विशेषता है, जिसमें आधार, जंघा अर्थात दीवार, कपोत, शिखर, गल, वर्तुलाकार आमलक, गर्भगृह, मसरक यानी नींव व दीवारों के बीच का हिस्सा और शूल सहित कलश शामिल है.

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भगवान कृष्ण को समर्पित जगन्नाथ मंदिर भी नागर शैली में ही बनाया गया है. जगन्नाथ का मतलब जगत स्वामी होता है. यह मंदिर वैष्णव संप्रदाय के लोगों में काफी प्रसिद्ध है. यहां होने वाली सालाना रथ यात्रा में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. जगन्नाथ मंदिर में भगवान कृष्ण के साथ बलभद्र और सुभद्रा की पूजा की जाती है.

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उड़ीसा का मुक्‍तेश्‍वर मंदिर भी नागर शैली का मुख्य उदाहरण है जिसे 970 ई. के आस-पास बनाया गया था. भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर उड़ीसा की राजधानी भुनेश्वर में मौजूद है. मंदिर की वास्तुकला आपका दिल जीत लेगी. नागर शैली के अलावा इसे बनाने में कलिंग वास्तुकला का भी इस्तेमाल हुआ है. मंदिर के खंभों की नक्काशी देखने लायक है.

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उड़ीसा के लिंगराज मंदिर को भी नागर शैली में बनाया गया है. यह मंदिर उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में मौजूद है. भगवान त्रिभुवनेश्वर यानी शिव को समर्पित यह मंदिर 11वीं शताब्दी में बनाया गया था, जिसे ययाति केशरी ने बनवाया था. प्राचीन कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने 'लिट्टी' और 'वसा' नामक दो राक्षसों का वध यहीं किया था. हर साल अप्रैल के महीने में यहां एक विशेष रथ यात्रा निकाली जाती है.

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गुजरात में मौजूद सोमनाथ मंदिर भी नागर शैली में बनाया गया है. भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ मंदिर भी शामिल है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. सोमनाथ मन्दिर एक प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल है. यहां कपिला, हिरण और सरस्वती का संगम भी मौजूद है. पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण खुद चंद्रदेव ने किया था.

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मध्य प्रदेश के खजुराहो में बना कंदरिया महादेव मंदिर भी नागर शैली में बनाया गया है. खजुराहो मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले का एक गांव है. कंदरिया महादेव मंदिर का परिसर करीब 6 किलोमीटर में फैला हुआ है. इतिहासकारों की मानें तो खजुराहो चंदेल वंश की राजधानी थी. चंदेल शासकों द्वारा बनाया गया यह मंदिर मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित है.

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