IAS Officer Junaid Ahmed Success Story: यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा को भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है. हर साल, लाखों उम्मीदवार यूपीएससी की इस सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होते हैं, लेकिन उनमें से केवल कुछ ही उम्मीदवार यूपीएससी की इस परीक्षा में सफल हो पाते हैं.
आज हम आपको इस लेख में आईएएस ऑफिसर जुनैद अहमद के बारे बताएंगे, जिन्होंने अपने स्कूल और कॉलजे लाइफ में कभी 60 प्रतिशत अंक हासिल नहीं किए, उन्होंने देश की इस कठिन परीक्षा के लिए दिन में केवल 4 घंटे पढ़ाई कर परीक्षा क्रैक कर डाली और साथ ही यूपीएससी टॉपर भी बन गए. जुनैद ने ऑल इंडिया तीसरी रैंक हासिल करते हुए यह परीक्षा क्रैक की थी.
उत्तर प्रदेश के बिजनोर जिले के नगीना के रहने वाले जुनैद अहमद ने साल 2018 की यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की थी. बता दें कि आईएएस ऑफिसर जुनैद अहमद ने नोएडा के शारदा विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की डिग्री हालिस की है. जुनैद की मां एक गृहिणी हैं. वहीं, उनके पिता एक वकील हैं. जुनैद के दो छोटे भाई-बहन और एक बड़ी बहन भी हैं.
बता दें कि स्कूल और कॉलेज में जुनैद अहमद एक औसत छात्र थे. लेकिन जुनैद ने यह साबित कर दिया कि एक औसत छात्र भी कड़ी मेहनत से देश की सबसे कठिन यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास कर सकता है.
जुनैद अहमद लगातार तीन बार यूपीएससी परीक्षा में असफल हुए, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और दोबारा प्रयास किया. अपने चौथे प्रयास में, जुनैद अहमद ने यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया 352वीं रैंक प्राप्त करते हुए आईआरएस ऑफिसर का पद हासिल किया.हालांकि, जुनैद अहमद आईएएस अफसर बनने की जिद पर अड़े थे, इसलिए उन्होंने पांचवां प्रयास किया और इस बार ऑल इंडिया रैंक 3 हासिल कर अपना सपना पूरा कर लिया. अहमद ने एक इंटरव्यू में कहा था कि "मेरे पास सीनियर्स द्वारा सुझाई गई कुछ किताबें थीं, जिससे मुझे अपना बेस तैयार करने में काफी मदद मिली."
अहमद ने मुफ्त जानकारी की उपलब्धता की सराहना करते हुए कहा, "इंटरनेट आपकी बहुत मदद करता है, आज के समय सब कुछ ऑनलाइन उपलब्ध है. इंटरनेट के सही उपयोग से मुझे काफी मदद मिली." इसके अलावा उन्होंने कहा, "मुझे मेरिट लिस्ट में आने की उम्मीद थी लेकिन तीसरी रैंक की कभी उम्मीद नहीं थी." मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए वह हर दिन चार से पांच घंटे पढ़ाई किया करते थे.
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