ब्रह्मांड के राज जानने से लेकर रिसर्च के लिए अंतरिक्ष यात्री स्पेस जाते हैं. ये सुनने में भले ही रोमांचक लगे लेकिन उतना ही ज्यादा खतरनाक भी होता है. वो इसलिए क्योंकि स्पेस में अंतरिक्ष यात्रियों को कई ऐसी चीजों की गुजरना पड़ता है, जिसकी कल्पना भी शायद ही किसी ने की हो. अगर कहें कि जिंदगी 360 डिग्री टर्न ले लेती है तो गलत नहीं होगा. लेकिन क्या अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में पसीना आता है और अगर आता है तो फिर अंतरिक्ष यात्री क्या करते हैं. चलिए समझते हैं.
धरती पर तो इंसानों की शरीर में हड्डियां और मांसपेशियां काम करती रहती हैं. लेकिन स्पेस में ग्रैविटी ना होने के कारण अंतरिक्षयात्री तैरते रहते हैं. वहां वह खड़े तक नहीं हो पाते. इसलिए हड्डियां कमजोर हो जाती हैं.
इसलिए एस्ट्रोनॉट्स को हर दिन स्पेस में कम से कम 2.5 घंटे एक्सरसाइज करनी पड़ती है. इस वजह से वह पसीने-पसीने हो जाते हैं. लेकिन वहां पसीने की बूंदें जमीन पर नहीं गिरतीं इसलिए उसको तौलिये से साफ करना पड़ता है.
हालांकि उनके कपड़े भी इस तरह के होते हैं, जो कुछ हद तक पसीने सोख लें. लेकिन पसीने से भरे इन कपड़ों का वे क्या करते हैं. चूंकि पानी एक बहुत ही कीमती संसाधन है, इसलिए वे वहां वॉशिंग मशीन नहीं रख सकते. इसके बजाय, गंदे कपड़ों को अन्य कचरे के साथ फेंक दिया जाता है ताकि वे पृथ्वी के वायुमंडल में जल जाएं.
अंतरिक्ष यात्रियों के पास सीमित मात्रा में कपड़े होते हैं. आसान शब्दों में कहें तो, वे तब तक एक ही कपड़े पहनते हैं जब तक कि दुर्गंध बर्दाश्त के बाहर नहीं हो जाती. औसत अंतरिक्ष यात्री अपने अंडरवियर को हर दो दिन में, अपनी शर्ट और जुराबों को हर हफ्ते और पैंट को हर महीने बदलते हैं.
पसीने से भरे कपड़ों को भी उनको एक हफ्ते तक चलाना पड़ता है. इसके बाद ही उनको नए कपड़े दिए जाते हैं. पसीने से भीगे ये कपड़े वास्तव में शरीर की बदबू से भी ज्यादा गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं. स्पेस स्टेशन्स पर एक हैरतअंगेज मुश्किल, जिससे हर किसी को निपटना पड़ता है, वो है फफूंद का बढ़ना. इंसान के शरीर से बहुत ज्यादा नमी निकलती है और स्पेस स्टेशन में कोई खिड़की खोलने का तो विकल्प होता नहीं, इसलिए नमी बाहर नहीं जा पाती है.
स्पेस स्टेशनों की सबसे खराब जगहों में से एक वो जगह है, जहां अंतरिक्ष यात्री एक्सरसाइज के बाद अपने पसीने से भीगे कपड़े टांगते हैं. उनके कपड़ों से नमी दीवार पर चिपक जाती है और बड़ी मात्रा में काली फफूंद उग आती है.
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