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बिहार में पहली बार की थी शराबबंदी, 26 महीने जेल में रहे, कर्पूरी ठाकुर को तस्वीरों से जानिए

मोदी सरकार ने बिहार के दिग्गज नेता और दो बार मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर के लिए भारत रत्न का ऐलान किया है. कर्पूरी ठाकुर की जन्म जयंती से एक दिन पहले यह घोषणा की गई. कर्पूरी ठाकुर को उनकी 100वीं जयंती पर देश का सर्वोच्च सम्मान दिया जाएगा. 

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बिहार में 24 जनवरी की खास अहमियत है, क्योंकि हर साल इसी दिन जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाई जाती है. वे बिहार की राजनीति में गरीबों की सबसे बड़ी आवाज बन कर उभरे थे. उनका जन्म 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर में गोकुल ठाकुर और रामदुलारी देवी के घर हुआ था. 

 

 

 

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कर्पूरी ठाकुर प्रशिक्षित स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ जननायक कर्पूरी ठाकुर राजनीति में उस ऊंचाई तक पहुंचे, जहां उनके जैसी पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति के लिए पहुंच पाना असंभव सा है. 

 

 

 

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वह बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था. अब उन्हें मरणोपरांत देश का सर्वोच्च सम्मान मिलने जा रहा है.

 

 

 

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मुख्यमंत्री के रूप में उनका पहला कार्यकाल दिसंबर 1970 से जून 1971 तक चला था. इसके बाद वह दिसंबर 1977 से अप्रैल 1979 तक सीएम पद पर रहे थे. कर्पूरी ठाकुर बिहार के बहुत लोकप्रिय और ईमानदार नेता थे, क्योंकि वे गरीबों और पिछड़ों के उत्थान के लिए हमेशा तत्पर रहते थे. 

 

 

 

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उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और 26 महीने जेल में बिताए. जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लिया. उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे बिहार के दो बार मुख्यमंत्री बने और उन्हें कभी भी चुनाव हारना नहीं पड़ा. 

 

 

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कर्पूरी ठाकुर के शासनकाल के दौरान राज्य के पिछड़े इलाकों में उनके नाम पर कई स्कूल-कॉलेज खोले गए थे. उन्होंने बिहार में पूर्ण शराबबंदी भी लागू की थी. 

 

 

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