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Ram Leela Maidan: जब 2015 में अरविंद केजरीवाल ने इसी रामलीला मैदान में सीएम पद की शपथ ली थी

INDIA Bloc Rally Delhi: दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान (Ram Leela Maidan) का आम आदमी पार्टी (AAP) और उसके आलाकमान से खास कनेक्शन है. अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की गिरफ्तारी के बाद 'आप' ने आज यहीं पर एक मेगा रैली का आयोजन किया है. विपक्ष की महारैली में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) समेत विपक्षी दल इंडिया गुट (INDIA Bloc) के प्रमुख नेता पहुंचे हैं. वहीं साल 2010 में दिल्लीवालों का संघर्ष करने के लिए सड़कों पर उतरे केजरीवाल चंद महीनों में मुख्यमंत्री बन गए. इसी राम लीला मैदान में हुए एक 'चमत्कार' से दिल्ली का एक आदमी कब और कैसे खास बन गया? आइए जानते हैं.

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अपनी बेबाकी और बिंदास अंदाज के लिए लोगों में खास पहचान बनाने वाले केजरीवाल की सियासत में आने की कहानी बड़ी दिलचस्प है. अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और उनकी आम आदमी पार्टी (AAP) का भी रामलीला मैदान से खास कनेक्शन है. आज इंडी ब्लॉक की रैली (india block rally) उसी रामलीला मैदान में हो रही है, जहां कभी करप्शन के खिलाफ आंदोलन हुआ था और अन्ना हजारे के उस दौर के सबसे खास सहयोगी रहे केजरीवाल नेता बनकर उभरे थे.

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दिल्ली के सबसे युवा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) आज घोटालों के आरोप में हिरासत में है. 28 दिसंबर 2013 को केजरीवाल ने जब पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तब वो दिल्ली के सबसे युवा सीएम बने थे. हालांकि महज 49 दिन सत्ता में रहने के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया. फिर वह 14 फरवरी 2015 को दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने. तीसरी बार वह 16 फरवरी 2020 को मुख्यमंत्री बने. रामलीला मैदान से शपथ लेकर केजरीवाल ने भारत की राजनीति को बदलने का दावा किया था.

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भारतीय प्रशासनिक सेवा में नौकरी करने के दौरान एक दिन केजरीवाल को दिल्ली वालों की सेवा करने का ख्याल आया. और इसी विचार के साथ उनके जीवन बदलने की शुरुआत हो गई. उसी दौरान केजरीवाल ने दिल्ली के नागरिकों की छोटी-छोटी मदद करने के लिए 'परिवर्तन' नाम के आंदोलन की नींव रखी. आगे 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' जैसी मुहिम के लिए भी रामलीला मैदान एक कारगर जगह साबित हुई. केजरीवाल इसी रामलीला मैदान में 2011 में जन लोकपाल विधेयक लागू कराने के लिए एक्टिव हुए. रामलीला मैदान में उमड़ी अपार भीड़ ने उन्हें जो विराट समर्थन दिया उसे देखकर खुद अन्ना हजारे हैरान थे. जैसे तैसे कांग्रेस की अगुवाई वाली तत्कालीन यूपीए की सरकार ने कुछ आश्वासन देकर आंदोलन खत्म कराया. साल के आखिरी में उन्होंने राजनीतिक पार्टी आप (AAP) की नींव रखी और 2013 के दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़े.

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जन लोकपाल विधेयक पर जब तत्कालीन मनमोहन सरकार का लगातार नकारात्मक रवैया रहा तो अन्ना हजारे जन लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर 16 अगस्त को इसी ऐतिहासिक रामलीला मैदान में भूख-हड़ताल पर बैठ गए. ये आंदोलन 28 अगस्त तक चला. अन्ना के साथ किरण बेदी, कुमार विश्वास जैसे कई चेहरे थे लेकिन आंदोलन का प्रमुख चेहरा अरविंद केजरीवाल ही बनकर उभरे. इसी रामलीला मैदान से केजरीवाल ने कहा था कि सिस्टम की गंदगी को अगर सुधारना है तो सिस्टम में आना पड़ेगा. 

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2015 में फिर से दिल्ली विधानसभा चुनाव हुआ और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की आंधी नहीं बवंडर आया. तब दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीतकर दशकों से दिल्ली की सत्ता पर काबिज कांग्रेस और बीजेपी का सूपड़ा साफ कर दिया था. 2020 में भी AAP ने BJP और Congress को पटखनी देते हुए 70 में से 62 सीटें जीतीं. अब कोई इसे फ्री की बिजली पानी का चमत्कार कहे या कुछ और लेकिन राजनीति में जो जीता वही सिकंदर होता है. ऐसे में इसी रामलीला मैदान में केजरीवाल ने जनता से कई वादे किए, जिसमें से कई वादे अबतक अधूरे हैं. जैसे दिल्ली से भ्रष्टाचार खत्म करने का वादा भी अबतक अधूरा है. खुद आम आदमी पार्टी के नेता दिल्ली जलबोर्ड घोटाले, दिल्ली शराब घोटाला, मोहल्ला क्लीनिक घोटाला जैसे आरोपों में घिरे हैं. 

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यही रामलीला मैदान आगे चलकर कुछ सियासी रिकॉर्ड्स बनने का भी गवाह बना. आम आदमी पार्टी के नाम ये भी रिकॉर्ड दर्ज हुआ कि वह सबसे कम समय में राष्ट्रीय पार्टी बनने वाली पार्टी बन गई. आज खुद अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और आप के कुछ अन्य नेता भ्रष्टाचार के आरोपों में हिरासत में है. कुछ नेता तिहाड़ जेल में है. इसी रामलीला मैदान में अरविंद केजरीवाल ने कसम खाई थी कि वो कभी कांग्रेस हो या कोई अन्य राजनीतिक दल उसके भ्रष्ट नेताओं के साथ गठबंधन नहीं करेंगे. लेकिन चंद सालों में ही वो अपने कई वायदों से पलटे और आज उनकी पार्टी उन्हीं नेताओं के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है, जिनके प्रमुख नेताओं को वो जेल में डाल देने की मांग करते थे. कई मौके आए जब केदजरीवाल ने अलग अलग मंचों पर विपक्ष के उन नेताओं का हाथ थामकर फोटो खिचाईं जिनके ऊपर कभी उन्होंने बेहद गंभीर आरोप लगाए थे. वही सारे विपक्षी नेता केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ आज उसी रामलीला मैदान में रैली कर रहें है, जहां अरविंद केजरीवाल ने सियासत का ककहरा सीखा था.

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केजरीवाल ने इसी रामलीला मैदान से देश की सियासत बदलने का दावा किया था. एक समय ऐसा भी था कि रामलीला मैदान से केजरीवाल जो कुछ भी  कह देते थे उसे दिल्ली की अधिकांश जनता 'ब्रह्म वाक्य' मान लेती थी. आज हालात बदल चुके हैं.

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साल 2014 के लोकसभा चुनावों में वह वाराणसी से बीजेपी (BJP) के प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुके हैं, जहां से उन्हें करारी हार मिली थी. आज उसी रामलीला मैदान में 2024 का लोकसभा चुनावों में एकजुटता दिखाने के लिए पूरा विपक्ष उमड़ा हुआ है.

 

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इसी मंच से दिल्ली वालों को अरविंद केजरीवाल के बारे में कई बातें पता चलीं जैसे - उन्होंने साल 2006 में ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की आकर्षक नौकरी छोड़ दी थी. इसी साल उन्होंने पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की थी. इसी साल उन्होंने एक सूचना के अधिकार (RTI) कार्यकर्ता यानी आरटीआई एक्टिविस्ट के रूप में अपनी भूमिका निभाई जिसके लिए उन्हें रमन मैग्सेसे पुरस्कार से नवाजा गया था. 

 

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रामलीला मैदान में आज यही दो चेहरे नहीं दिखे, जो बीते 13 सालों से इस मैदान की पहचान बन चुके थे. 

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