Hyderabadi Biryani: माफ करना वसीम अकरम साहब, बिरयानी तो हैदराबाद की ही नंबर वन है
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Hyderabadi Biryani: माफ करना वसीम अकरम साहब, बिरयानी तो हैदराबाद की ही नंबर वन है

Biryani Number1: पाकिस्तान की क्रिकेट टीम हैदराबाद पहुंची तो उनको हैदराबाद की बिरयानी खिलाई गई और उसकी चर्चा सरहद के उस पार भी हुई, इस पार तो हुई ही. फिर दोनों तरफ खेमा बंट गया कि कराची की बिरयानी नंबर वन या हैदराबाद की नंबर वन. आइए इसका दूध का दूध और पानी का पानी करते हैं.

Hyderabadi Biryani: माफ करना वसीम अकरम साहब, बिरयानी तो हैदराबाद की ही नंबर वन है

Hyderabadi Biryani: क्रिकेट का वर्ल्ड कप शुरू है, भारत में हो रहा है. खिलाड़ी खेल रहे हैं, पुराने हो चुके खिलाड़ी एक्सपर्ट बन रहे हैं. अच्छी बात है, बनना चाहिए. उनसे बेहतर क्रिकेट एक्सपर्ट कौन होगा जो क्रिकेट खेल चुके हैं. वसीम अकरम भी उन्हीं में से हैं जो पाकिस्तान के किसी स्टूडियो में बैठकर एक्सपर्ट कमेंट कर रहे हैं. वसीम अकरम महान खिलाड़ी रहे हैं, अपने फन के माहिर रहे हैं, स्विंग के सुल्तान रहे हैं. इसलिए वो अगर क्रिकेट या किसी क्रिकेटर की खूबी-कमी पर कुछ कहें तो उसे सही मानने के सौ बहाने हैं. लेकिन जरूरी नहीं कि वसीम अकरम बिरयानी के एक्सपर्ट हों या फिर बिरयानी पर वो कुछ कहें तो वह सही हो. उन्होंने वही गलती कर दी. एक शो में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैंने हैदराबादी बिरयानी खाई है, भारत में मेरे दोस्तों, निराश मत होना, मैं सच कह रहा हूं, कराची की बिरयानी से इसका कोई मुकाबला नहीं है.

चर्चा-ए-बिरयानी
बिरयानी की बात इसलिए आई क्योंकि पाकिस्तान की क्रिकेट टीम हैदराबाद पहुंची तो उनको हैदराबाद की बिरयानी खिलाई गई और उसकी चर्चा सरहद के उस पार भी हुई, इस पार तो हुई ही. फिर दोनों तरफ खेमा बन गया कि कराची की बिरयानी नंबर वन या हैदराबाद की नंबर वन. पाकिस्तान वाले अपनी आदत के अनुसार होड़ लेने लग गए कि कराची वाली ज्यादा अच्छा, वसीम अकरम ने भी वही कह दिया. लेकिन इसकी सच्चाई कुछ और है. हमने खाने-पीने के शौकीन, भारतीय व्यंजनों के जानकार और फूड ब्लॉगर अनिमेष मुखर्जी से इस बारे में पूछा तो उन्होंने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया. उन्होंने कहा कि पहले तो यह समझने की जरूरत है कि हैदराबादी बिरयानी एक कला, एक ढंग है. ऐसा नहीं है कि हैदराबादी बिरयानी सिर्फ हैदराबाद में ही मिलेगी. उसके अलावा भी मिल सकती है.

'हैदराबादी बिरयानी' एक कला है
रही बात वसीम अकरम के दावे पर तो असली पेंच यही है कि कराची की बिरयानी वहां की बिरयानी है ही नहीं. अनिमेष का कहना है कि कराची वह शहर जहां मुहाजिर सबसे ज्यादा जाकर बसे हैं. ये वे मुहाजिर हैं जो बंटवारे के समय भारत से पाकिस्तान जाकर बसे हैं. मुहाजिर भारत से कई चीजें लेकर गए, उन्हीं में से एक बिरयानी बनाने का ढंग भी है. वे वहां बिरयानी बनाने लगे और उनको काफी प्रसिद्धि मिली. यहां तक कि कराची की सबसे बड़ी बिरयानी की दुकानों में से एक का नाम 'दिल्ली दरबार' है. यह बकायदा एक रेस्त्रां है जो काफी फेमस है. एक और उदाहरण देते हुए उनका कहना है कि कराची का जो सबसे चर्चित चिड़ियाघर है उसका पुराना नाम 'गांधी गार्डन' है, लोग उसे अब भी गांधी गार्डन के ही नाम से जानते हैं.

राजसी खाने का दर्जा
ठीक इसी तरह खाने की भी स्थिति है. अनिमेष का कहना है जिस बिरयानी की बात वसीम अकरम ने की है, उसकी जड़ें भारत से ही जुड़ी हैं. असल में कराची बिरयानी की अपनी कोई विधि नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि जो पुराने खाने के इतिहाकार हैं उनका भी यही कहना है कि भारत में बिरयानी को राजसी खाने का दर्जा बहुत पहले से ही हासिल है. 400 साल पुराना हैदराबाद शहर शुरू से ही हैदराबादी बिरयानी के लिए भी काफी मशहूर रहा है. वह तब मशहूर रहा है जब पाकिस्तान का अस्तित्व ही नहीं था. और इसी हैदराबादी बिरयानी की विधि मुहाजिरों के माध्यम से पाकिस्तान भी पहुंची है.

फर्जी दावे की आदत
बिरयानी के इस पूरे मसले पर अनिमेष ने लगे हाथ यह भी कह दिया कि यह पाकिस्तान की पुरानी आदत है कि वह भारत की वास्तविक चीजों पर अपना हक जताता रहता है, जबकि सच्चाई इसके उलट रहती है. जनरल याहया खान भी भारतीय आमों को लेकर फर्जी दावे कर चुके हैं. कहते हैं कि मेरठ के रटौल आम को लेकर कोई पाकिस्तान गया और उसकी पौध लगा दी तो उन्होंने दावा कर दिया कि रटौल आम पाकिस्तान का है. रटौल आम का यह किस्सा उस समय शुरू हुआ और फिर काफी समय बाद जाकर सच्चाई सामने आई कि भई रटौल भारत का ही है. इसी तरह के दावे दशहरी और मलीहाबादी को लेकर भी हुए. लेकिन आखिर में वही हुआ जो हर बार होता है.

'बाप..बाप होता है और...'
तो कुल मिलाकर भाई साहब, पाकिस्तान के लोग हर बार अपने दावे पर मुंह की खा जाते हैं. इस बार बिरयानी के दावे पर भी यही होगा. अभी तो फिलहाल 'बिरयानी बहस' का शुरूआती चरण है. लेकिन ऐसा लगता है कि अगर पाकिस्तान वाले बाज नहीं आए तो फिर बिरयानी की बहस भी समाप्त होगी और वसीम अकरम को अपनी गलती का एहसास होगा. फिलहाल सोशल मीडिया पर 'बिरयानी उफान' तेज है. बस वीरेंद्र सहवाग की वही बात याद आती है जो उन्होंने शोएब अख्तर से सचिन तेंदुलकर की तरफ इशारा करते हुए तब कही थी जब वो बार-बार सहवाग को बाउंसर फेंकने की बात कर रहे थे. सोशल मीडिया पर भी कई यूजर्स सहवाग वाली बात कहते नजर आ रहे हैं. -सादर

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