फ्रेशर ने सीनियर को नहीं बुलाया 'सर' तो लिंक्डइन पर लिख डाला कुछ ऐसा, हो गई बहस
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फ्रेशर ने सीनियर को नहीं बुलाया 'सर' तो लिंक्डइन पर लिख डाला कुछ ऐसा, हो गई बहस

LinkedIn Controversy: दिल्ली में एक लेखक और कॉलमिस्ट साकेत ने अपने लिंक्डइन मैसेज पर पहले नाम से संबोधित किए जाने पर अपनी नाराजगी जताई. इस घटना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर एक गर्म बहस छेड़ दी है.

 

फ्रेशर ने सीनियर को नहीं बुलाया 'सर' तो लिंक्डइन पर लिख डाला कुछ ऐसा, हो गई बहस

LinkedIn Post: दिल्ली में एक लेखक और कॉलमिस्ट साकेत ने अपने लिंक्डइन मैसेज पर पहले नाम से संबोधित किए जाने पर अपनी नाराजगी जताई. इस घटना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर एक गर्म बहस छेड़ दी है, जिसमें पेशेवर कम्युनिकेशन के तौर-तरीकों पर अलग-अलग विचार सामने आ रहे हैं.

लिंक्डइन पर लिखा मैसेज

साकेत ने बताया कि एक नए ग्रेजुएट ने उनसे लिंक्डइन पर संपर्क किया और संदेश की शुरुआत "Hi Saket, we are from the same college" से की. साकेत ने लिखा, "मुझे पुराने तरीके से बुलाइए, लेकिन 2025 बैच के एक छात्र ने मुझसे लिंक्डइन पर संपर्क किया और शुरुआत की – 'Hi Saket, हम दोनों एक ही कॉलेज से हैं' और यहीं उसने मुझे खो दिया. बेटा, तुम 2025 बैच से हो, और मुझे 1994 बैच के व्यक्ति को उनके पहले नाम से संबोधित कर रहे हो? मैं आज भी 1993 और इससे पहले के बैच के छात्रों को 'सर' कहकर संबोधित करता हूं. यह अमेरिकन कल्चर है."

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सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

साकेत की इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर 1 मिलियन से अधिक व्यूज मिले. कुछ यूजर्स ने साकेत के दृष्टिकोण का समर्थन किया. एक यूजर ने लिखा, "यह पदानुक्रम सोचने का तरीका ही है, जिसकी वजह से भारत में कॉर्पोरेट कल्चर में नवाचार को बढ़ावा नहीं मिल पाता." वहीं एक और यूजर ने साकेत के विचारों को अजीब बताया और कहा कि कई आधुनिक कंपनियों में, यहां तक कि स्टार्टअप्स के बाहर भी, सभी स्तरों पर पहले नाम से ही संबोधन किया जाता है.

वहीं, कुछ लोगों ने इस पर आलोचना की. एक अन्य यूजर ने लिखा, "यह दुखद और निराशाजनक है. हो सकता है कि आपके लिंक्डइन संपर्क के पास एक शानदार विचार हो जिसे वह आपको पेश कर रहे हों." कुछ अन्य यूजर्स ने इस परंपरा को पुराने समय की बुरी सोच बताया और कहा कि 'सर' या 'मैम' से वरिष्ठों को संबोधित करना अब भी एक परंपरा बनकर रह गया है, जो अब पेशेवर माहौल में नहीं बनती.

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