Fleas Borne Disease: म्यूरिन टायफस, पिस्सुओं (Fleas) से होने वाला रोग है. ये इंसान से इंसानों के संपर्क में नहीं आता. लेकिन चूहे, बिल्ली में पाए जाने वाले पिस्सुओं के माध्यम से इंसानों में पहुंच सकता है.
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Kerala Man Contracts Murine Typhus: केरल में 75 साल के एक बुजुर्ग दुर्लभ बीमारी (Murine Typhus) के शिकार हुए. ये अनोखा मामला इसलिए है क्योंकि वो एक ऐसे बैक्टीरियल संक्रमण का शिकार हुए जो राज्य में आधिकारिक रूप से अपनी तरह का पहला केस है. मरीज ने कुछ दिन पहले वियतनाम और कंबोडिया की यात्रा की थी. वहां से लौटने के बाद उन्होंने शरीर में दर्द, बेचैनी, बुखार की शिकायत की थी. टेस्ट में कुछ नतीजा नहीं निकला लेकिन जब गहन जांच की गई तो पता चला कि उनके लिवर और किडनी की कार्यक्षमता घट रही है. उसके बाद मरीज की ट्रैवल हिस्ट्री पूछी गई और जब पता चला कि वो कहां से लौटे हैं तो निष्कर्ष निकाला गया कि उनको दुर्लभ बीमारी म्यूरिन टायफस (Murine Typhus) हुई है.
भारत में ये बहुत दुर्लभ बीमारी है. लेकिन अतीत में नॉर्थ-ईस्ट, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश और अन्य जगहों पर इसके केस देखे गए हैं.
Murine Typhus
म्यूरिन टायफस, पिस्सुओं (Fleas) से होने वाला रोग है. ये इंसान से इंसानों के संपर्क में नहीं आता. लेकिन चूहे, बिल्ली में पाए जाने वाले पिस्सुओं के माध्यम से इंसानों में पहुंच सकता है. पिस्सुओं के मल से इस बैक्टीरिया का प्रसार होता है. ये बैक्टीरिया आंखों, सांस के माध्यम से भी शरीर में प्रवेश कर सकते हैं. जब कोई इंसान ऐसे क्षेत्र में रहता है जहां पिस्सुओं को पालने वाले जीव, चूहे इत्यादि बड़ी संख्या में हों तो इस बीमारी के मनुष्यों में होने का खतरा हो सकता है. भारत में इस बीमारी के होने के न्यूनतम कारण हैं लेकिन दक्षिण एशियाई देशों में इसके होने के अधिक चांस हैं. 75 साल के बुजुर्ग मरीज भी वियतनाम और कंबोडिया से ही लौटे थे.
लक्षण
संपर्क में आने के एक-दो हफ्ते बाद ही बीमारी के लक्षण प्रकट होते हैं. सामान्य जांच में इसकी पहचान नहीं हो पाती लेकिन ट्रैवल हिस्ट्री पता करने पर निष्कर्ष तक पहुंचा जा सकता है:
बुखार और ठंड लगना
सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द (विशिष्ट लक्षण)
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिस्ट्रेस
शरीर में बीमारी के पांचवें दिन चकत्ते निकल सकते हैं
थकान, कमजोरी
पेट में तकलीफ
समुचित इलाज से मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाता है लेकिन यदि इलाज नहीं कराया गया तो अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ सकती है और गंभीर रूप से कोई अंग डैमेज हो सकता है.
इस बीमारी से बचाव के लिए कोई वैक्सीन नहीं है लेकिन स्वच्छ वातावरण में रहने और शरीर की साफ-सफाई से इससे बचा जा सकता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.