Atrial Septal Defect: हर मां-बाप की ख्वाहिश होती है कि उसका बच्चा सेहतमंद पैदा हो, लेकिन हर नवजात इतना खुशनसीब नहीं होता, अगर उसे जन्मजात दिल की बीमारी हो तो पैरेंट्स पर दुखों का पहाड़ टूट जाता है.
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Heart Disease By Birth: मौजूदा दौर में दिल की बीमारी काफी ज्यादा आम हो चुकी है, इसके लिए अक्सर खराब लाइफस्टाइल और अनहेल्दी फूड हैबिट्स को जिम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन किसी छोटे बच्चे को अगर ये बीमारी हो जाए तो इसका कारण जन्मजात होता है. आइए जानते हैं कि बच्चों के लिए ये कितना गंभीर हो सकता है.
कई साल पहले अमेरिका (USA) के मिशिगन (Michigan) में मैक्स वीगेल (Max Weigel) नाम के एक बच्चे का जन्म हुआ था. उसे पैदाइश से ही दिल से जुड़ी 2 बीमारियां थी. उसे 'एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट्स' (Atrial Septal Defect) यानी एएसडी (ASD) नाम की डिजीज थी जिसमें दिल की ऊपरी चेंबर में छेद होता है. साथ ही उसके दिल का बायां नियल फेल था, इसे 'लेफ्ट वेंट्रिकुलर नॉन-कम्पेक्शन कार्डियोमायोपैथी' (Left Ventricular Non-Compaction Cardiomyopathy) जाता, इससे उसकी परेशानी और भी जटिल हो गई थी.
सेहतमंद होने के बाद मैक्स वीगेल (फोटो- Michigan Health)
साल 2019 में जब मैक्स वीगेल (Max Weigel) की दिल की सर्जरी की गई थी तब वो 4 साल का था. सर्जरी के बाद जब उसे घर लाया गया तो उसे कुछ दिक्कतें होने लगी. जब उसे वापस अस्पताल ले जाया गया तो पता चला कि उसे स्ट्रोक आया है. इससे वीगेल की शरीर के आधे हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था. 25 अप्रैल 2019 को उसकी एक और सर्जरी की गई जो कामयाब रही. आज वीगेल 7 साल का हो चुका है और वो अब नॉर्मल जिंदगी जी रहा है.
'एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट्स' (Atrial Septal Defect) यानी एएसडी (ASD) नाम की बीमारी बच्चों की पैदाइश के वक्त से ही शुरू हो जाती है, अगर इसका पता शुरुआती स्टेज में लग जाए तो सही इलाज मुमकिन है. आखिर इस गंभीर रोग का पता कैसे लगाया जाए.
दरअसल हमारी हार्ट में 4 चेंबर्स और इतने ही वॉल्व होते हैं, जो आपस में जुड़े रहते हैं. जब दिल के ऊपरी चेंबर की वॉल में छेद हो जाए तो उसे एएसडी (ASD) कहते हैं. इस तरह के छेद होने से दोनों चैंबर्स में मौजूद खून आपस में मिक्स होने लगता है. इससे दिल और लंग्स को नुकसान होता है. हालांकि सर्जरी की मदद से छेद को बंद किया जा सकता है.
कई बच्चे ऐसे होते हैं जिनमें 'एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट्स' (Atrial Septal Defect) के कोई लक्षण नहीं होते हैं, हालांकि उम्र बढ़ने पर वॉर्निंग साइन दिखने लगते हैं, जो इस प्रकार हैं. ऐसे कंडीशन में बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं.
1. सांसों का कम होना
2. जल्दी थकान होना
3. पैर और पेट में सूजन
4. असमान्य हार्ट बीट
5. हार्ट बीट रुक रुक कर होना
6. दिल से अजीबोगरीब आवाज आना