Intermittent Fasting: आयुर्वेद की दृष्टि से करें इंटरमिटेंट फास्टिंग, तेज होगा मेटाबॉलिज्म और घटेगा वजन
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Intermittent Fasting: आयुर्वेद की दृष्टि से करें इंटरमिटेंट फास्टिंग, तेज होगा मेटाबॉलिज्म और घटेगा वजन

इंटरमिटेंट फास्टिंग, जिसे आयुर्वेद में 'अल्पाहार' कहा जाता है, एक ऐसा तरीका है जिसमें आप निश्चित समय अवधि के लिए खाने से परहेज करते हैं और फिर एक निश्चित समय अवधि में खाते हैं.

Intermittent Fasting: आयुर्वेद की दृष्टि से करें इंटरमिटेंट फास्टिंग, तेज होगा मेटाबॉलिज्म और घटेगा वजन

आजकल वजन कम करने और हेल्दी रहने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय ढूंढ रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आयुर्वेद, जो हजारों साल पुराना भारतीय स्वास्थ्य विज्ञान है, वजन कम करने और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने का एक नेचुरल और प्रभावी तरीका भी प्रदान करता है?

इंटरमिटेंट फास्टिंग, जिसे आयुर्वेद में 'अल्पाहार' कहा जाता है, एक ऐसा तरीका है जिसमें आप निश्चित समय अवधि के लिए खाने से परहेज करते हैं और फिर एक निश्चित समय अवधि में खाते हैं. यह न केवल वजन कम करने में मदद करता है, बल्कि यह आपके मेटाबॉलिज्म को भी बढ़ाता है, आपकी पूरी सेहत को बेहतर बनाता है और आपको ज्यादा एनर्जेटिक महसूस कराता है.

यदि आप भी इंटरमिटेंट फास्टिंग के जरिए अपने अपनी को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो डॉ. डिंपल जांगड़ा द्वारा बताए गए आयुर्वेद के आसान सुझाव आपके लिए कारगर साबित हो सकते हैं.

1. सूर्योदय के साथ उठें और सूर्यास्त के साथ सोएं
भोजन तभी करें जब सूर्य निकला हो. इससे आपका अग्नि मजबूत होगा और भोजन को अच्छी तरह पचा पाएगा, जिससे पोषक तत्वों का शरीर में बेहतर अवशोषण होगा.

2. भोजन करने का सही समय
सबसे बड़ा भोजन दोपहर 12 बजे से 2 बजे के बीच खाएं. यह समय सूर्य की रोशनी का चरम होता है, जब आपका अग्नि सबसे मजबूत होता है.

3. रात का भोजन
सूर्यास्त से पहले ही हल्का भोजन कर लें. देर रात का भोजन पाचन क्रिया को बिगाड़ सकता है.

4. इंटरमिटेंट फास्टिंग की शुरुआत
इंटरमिटेंट फास्टिंग की शुरुआत सूर्यास्त के साथ करें और सुबह सूर्योदय के बाद ही भोजन ग्रहण करें. यह सबसे सरल तरीका है और शरीर को इसकी आदत पड़ने में भी आसानी होती है.

शरीर के प्रकार के अनुसार फास्टिंग का तरीका

वात प्रकृति
ये लोग कम से कम 12 घंटे का उपवास कर सकते हैं. लेकिन इन्हें जल्दी डिहाइड्रेशन और भूख लगने की समस्या हो सकती है. इसलिए इनके लिए शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक का फास्टिंग समय उपयुक्त है.

पित्त प्रकृति
इनका पाचन क्रिया तेज होता है और वजन आसानी से घटता-बढ़ता रहता है. इनके लिए 12 से 14 घंटे का फास्टिंग अच्छा है. यानी शाम 6 बजे से सुबह 8 बजे के बीच खाया जा सकता है.

कफ प्रकृति
इनका शरीर भारी होता है और वजन कम करना मुश्किल होता है. इनके लिए 16 से 18 घंटे का फास्टिंग फायदेमंद है. यानी शाम 6 बजे से सुबह 10 बजे के बीच खाया जा सकता है.

यह ध्यान रखना जरूरी है कि फास्टिंग शुरू करने से पहले किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें. वे आपके शरीर के प्रकृति और स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर बेस्ट फास्टिंग प्लान बता सकते हैं.

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