OPINION: मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार पर ऐसी छीछालेदर! पूर्व PM की विरासत दो दिन भी संभाल कर नहीं रख पाए नेता
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OPINION: मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार पर ऐसी छीछालेदर! पूर्व PM की विरासत दो दिन भी संभाल कर नहीं रख पाए नेता

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जिस संजीदगी और विनम्रता से भारतीय राजनीति में अपनी अलग जगह बनाई, आचरण की उस विरासत को देश के नेता सिंह के निधन के बाद दो दिन भी संभालकर नहीं रख पाए. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करवाये जाने से राजनीतिक विवाद उठ खड़ा हुआ है.

OPINION: मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार पर ऐसी छीछालेदर! पूर्व PM की विरासत दो दिन भी संभाल कर नहीं रख पाए नेता

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. गुरुवार रात उनके निधन से लेकर पिछले दो दिन में, लोगों ने मनमोहन के खूब किस्से बताए-सुनाए हैं. पढ़ें: (जब RBI गवर्नर रहते हुए बुक स्टोर पर किताबें खरीदने जाते थे मनमोहन) हर किस्सा एक उस लकीर को और गहरा करता है जिसपर मनमोहन ताउम्र चले. पूर्व पीएम के उन किस्सों में उनकी विनम्रता झलकती है. पंजाब के एक गांव से निकल सत्ता के गलियारों तक पहुंचे मनमोहन में लेशमात्र भी अहंकार न था. जितना जरूरत उतना बोलना, उनकी एक और खासियत थी जिसका राजनीतिक विरोधियों ने उपहास भी उड़ाया. लेकिन, निधन के बाद मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार की जगह को लेकर जैसा बखेड़ा हुआ है, वह देश की राजनीतिक जमात के लिए शर्मनाक है. देश का 10 साल तक नेतृत्व करने वाले नेता की विरासत को हम दो दिन भी संभालकर नहीं रख पाए. संयम और विनम्रता का जो पाठ मनमोहन हमें पढ़ाकर गए थे, उसे हम कुछ घंटों में जैसे भूल गए.

मनमोहन सिंह के स्मारक की जगह पर विवाद

मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर विवाद की आहट शुक्रवार से ही मिलने लगी थी. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को पीएम नरेंद्र नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. उनसे आग्रह किया था कि सिंह का अंतिम संस्कार ऐसी जगह पर होना चाहिए जहां उनका स्मारक भी बन सके. केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने उसी रात कहा था कि सरकार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए जगह आवंटित करेगी. इस बारे में खरगे और सिंह के परिवार को सूचना दे दी गई थी. सरकार ने सिंह का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर कराना तय किया. शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होते ही राजनीतिक विवाद ने तूल पकड़ लिया.

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सिंह का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर करवाकर केंद्र सरकार ने 'भारत माता के महान सपूत और सिख समुदाय के पहले प्रधानमंत्री' का सरासर अपमान किया है. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष (LOP) राहुल गांधी ने यह भी कहा कि सरकार को देश के महान पुत्र और उनकी गौरवशाली कौम के प्रति आदर दिखाना चाहिए था. राहुल गांधी के मुताबिक, आज तक सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों की गरिमा का आदर करते हुए उनके अंतिम संस्कार अधिकृत समाधि स्थलों में किए गए ताकि हर व्यक्ति बिना किसी असुविधा के अंतिम दर्शन कर श्रद्धांजलि दे पाए.

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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि सिंह के अंतिम संस्कार के लिए सही जगह उपलब्ध नहीं करा कर सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री के पद की गरिमा, मनमोहन सिंह जी की शख्सियत, उनकी विरासत और खुद्दार सिख समुदाय के साथ न्याय नहीं किया. उन्होंने X (पहले Twitter) पर पोस्ट किया, 'आज सुबह डॉ मनमोहन सिंह जी के परिवारजनों को चितास्थल पर जगह के लिए मशक्कत करते, भीड़ में जगह पाने की कोशिश करते और जगह के अभाव में आम जनता को परेशान होते तथा बाहर सड़क से ही श्रद्धांजलि देते देखकर ये महसूस हुआ.'

आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी इस विषय को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने X पर पोस्ट किया, 'ये खबर सुनकर मैं स्तब्ध हूं. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर किया गया. इसके पूर्व भारत के सभी प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार राजघाट पर किया जाता था.' केजरीवाल ने सवाल किया कि सिख समाज से आने वाले, पूरी दुनिया में ख्यातिप्राप्त, 10 वर्ष भारत के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार और समाधि के लिए भाजपा सरकार 1000 गज़ जमीन भी न दे सकी?'

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पवन खेड़ा के सनसनीखेज आरोप

कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने दावा किया कि मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार में असम्मान और कुप्रबंधन देखने को मिला. उन्होंने X पर लिखा, 'डीडी (दूरदर्शन) को छोड़कर किसी भी समाचार एजेंसी को अनुमति नहीं दी गई. डीडी ने मोदी और (अमित) शाह पर ध्यान केंद्रित किया. सिंह के परिवार को बमुश्किल ही कवर किया.'

खेड़ा ने दावा किया कि सिंह के परिवार के लिए केवल तीन कुर्सियां सामने की पंक्ति में रखी गईं तथा कांग्रेस नेताओं को उनकी बेटियों और परिवार के अन्य सदस्यों के लिए सीट की व्यवस्था की खातिर जद्दोजहद करनी पड़ी. खेड़ा ने कहा, 'राष्ट्रीय ध्वज को उनकी पत्नी को सौंपे जाने या गार्ड ऑफ ऑनर के दौरान प्रधानमंत्री और मंत्रियों ने खड़े होने की ज़हमत नहीं उठाई. अंतिम संस्कार के लिए चिता के आसपास परिवार को पर्याप्त स्थान नहीं दिया गया.'

उन्होंने दावा किया कि आम जनता को अंदर आने से रोका गया और वह बाहर से ही कार्यक्रम को देखने के लिए मजबूर रही. खेड़ा ने दावा किया कि गृह मंत्री अमित शाह के काफिले ने शव यात्रा को बाधित कर दिया, जिससे सिंह के परिवार की गाड़ियां बाहर रह गईं, गेट बंद कर दिया गया और परिवार के सदस्यों को ढूंढकर वापस अंदर लाना पड़ा.

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि अंतिम संस्कार की रस्में निभाने वाले पोतों को चिता तक पहुंचने के लिए संघर्ष करना पड़ा तथा विदेशी राजनयिकों को कहीं और बैठाया गया और वे नज़र नहीं आए. खेड़ा ने दावा किया, 'हैरानी की बात यह रही कि जब भूटान के नरेश खड़े हुए, तो प्रधानमंत्री मोदी खड़े नहीं हुए....'

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बीजेपी का पलटवार

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर पलटवार किया और उस पर मनमोहन सिंह के निधन को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया. नड्डा ने कहा कि इस घटिया सोच के लिए कांग्रेस की जितनी भी निंदा की जाए, कम है. नड्डा ने कांग्रेस नेताओं पर पलटवार करते हुए कहा, 'यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और वर्तमान अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जी देश के पूर्व प्रधानमंत्री सम्मानीय मनमोहन सिंह जी के दुखद देहावसान पर भी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं. कांग्रेस की इस घटिया सोच के लिए जितनी भी निंदा की जाए, कम है.' उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने मनमोहन सिंह को जीते-जी कभी भी वास्तविक सम्मान नहीं दिया, लेकिन अब उनके सम्मान के नाम पर राजनीति कर रही है. (एजेंसी इनपुट)

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