DNA: दिवाली पर बॉलीवुड का मानसिक दिवालियापन, देने लगे प्रदूषण पर ज्ञान; ईद-क्रिसमस पर क्यों सिल जाते हैं होंठ?
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DNA: दिवाली पर बॉलीवुड का मानसिक दिवालियापन, देने लगे प्रदूषण पर ज्ञान; ईद-क्रिसमस पर क्यों सिल जाते हैं होंठ?

Zee News DNA on Diwali Fireworks: दिवाली पर बॉलीवुड के नामी सितारे एक बार फिर प्रदूषण के नाम पर बिन मांगे ज्ञान की गंगा बहाने लगे हैं. लेकिन सवाल ये है कि जब ईद या क्रिसमस पर इससे भी बुरा हाल होता है तो उनके होंठ क्यों सिल जाते हैं.

 

DNA: दिवाली पर बॉलीवुड का मानसिक दिवालियापन, देने लगे प्रदूषण पर ज्ञान; ईद-क्रिसमस पर क्यों सिल जाते हैं होंठ?

Bollywood Stars Statement on Diwali Fireworks: जिन बॉलीवुड स्टार्स की फिल्मों में दिवाली सीन...बिना पटाखे फोड़े Complete नहीं होता. वही सितारे दिवाली के दिन ज्ञान देने लगते हैं कि दिवाली पर पटाखे फोड़ने से प्रदूषण होता है. दलील देते है कि दिवाली पर पटाखे फोड़ने से जानवरों को परेशानी होती है. दिवाली पर पटाखे फोड़ने से ये दिक्कत हो जाती है. वो दिक्कत हो जाती है. ऐसा लगता है जैसे बॉलीवुड में No Crackers दिवाली का मैसेज देना..फैशन बन गया है.

इस बार भी यही हुआ है..दिवाली से पहले बॉलीवुड के लोगों के दिवाली संदेशों में बधाइयां कम..और पटाखे ना फोड़ने पर ज्ञान की गंगा ज्यादा बह रही है...आज हम क्रैकर्स फ्री दिवाली की दलील देने वाले बॉलीवुड सेलिब्रिटीज को उनके डबल स्टैंडर्ड्स का आईना दिखाना चाहते हैं...जिन्हें सिर्फ हिंदू त्यौहारों पर ही प्रकृति प्रेमी बनने का कीड़ा काटता है.

बॉलीवुड कलाकारों का दोगला व्यवहार

बॉलीवुड के कॉमेडी कलाकार राजपाल यादव भी अब ज्ञान देने के लिए सामने आ गए हैं. उनका कहना है कि दिवाली से एयरपल्यूशन होता है..नॉइस होता है..प्यार से मना सकते हैं..इसलिए प्लीज..प्लीज..नो. 

बात सिर्फ राजपाल यादव की नहीं है. बॉलीवुड के सितारों को लगता है कि दिवाली पर पटाखे ना फोड़ने का मैसेज देकर उनको पब्लिसिटी मिल जाएगी..लेकिन ऐसा करके वो अपनी मेंटलिटी बताते हैं. क्या आपने कभी देखा है कि किसी बॉलीवुड मूवी में ईद के सीन में बकरा काटा गया हो? लेकिन रियल लाइफ में आपने कभी सुना है कि ईद पर किसी बॉलीवुड वाले ने बकरा ना काटने की अपील की हो?

बॉलीवुड एक्ट्रेस और क्रिकेटर विराट कोहली की पत्नी अनुष्का शर्मा को ही लीजिए. वे हर साल ईद पर बेहद खुशी के साथ ईद मुबारक का मैसेज करती हैं लेकिन दिवाली पर वीडियो जारी करके पटाखों से नफरत का प्रदर्शन करती हैं.

बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान का दिवाली पटाखों पर ज्ञान भी काफी फ्लेक्सिबल है. एक तरफ तो वो अपनी मूवी...तारें जमीं पर..के दिवाली सीन में जमकर पटाखे प्रमोट करते हैं. लेकिन फिर एड फिल्म में पटाखों ना फोड़ने पर ज्ञान देने लगते हैं.

प्रियंका चोपड़ा ने आतिशबाजी पर करवाया था शो

अब बॉलीवुड डीवा प्रियंका चोपड़ा को ही ले लीजिये. जिन्होंने अपनी शादी में आतिशबाजी का पूरा शो ही ऑर्गनाइज करवा दिया. लेकिन इन्हें दिवाली पर लोगों के पटाखे फोड़ने पर गुस्सा आता है. अपने एस्थमेटिक होने का ख्याल आ जाता है..एनिमल्स की चिंता खाने लगती है.

आखिर इतने डबल स्टैंडर्डस लाते कहां से हैं बॉलीवुड सेलिब्रिटीज. पता नहीं, इन्हें दिवाली पर ज्ञान देने से कौन सी खुशी मिलती है. वैसे बॉलीवुड स्टार्स के बारे में कहा जाता है कि फ्री में तो ये अपने पैर की जूती भी ना दें...क्रैकर्स फ्री दिवाली का मैसेज पता नहीं फ्री में कैसे दे देते हैं.

आपको दोहरा रूप लेकर जी रहे ऐसे और बॉलीवुड कलाकारों के बारे में बताते हैं. डायरेक्टर करण जौहर का दिवाली पर कहना है कि पैट्स डर जाते हैं पटाखों की आवाज से..मेरा ये मानना है कि उनके लिए..पेट्स के लिए फायर क्रैकर्स का यूज कम होना चाहिए. राजकुमार राव - मैं क्रैकर्स को अवॉइड करता हूं. वन डे हम कंट्रोल कर सकते हैं. आयुष्मान खुराना - पटाखे कम जलाइये..एनिमल्स को खतरा होता है..एयर पल्यूशन होता है. शमिता शेट्टी - लोग समझते नहीं है कि एटमॉसफेयर इतना पॉल्यूट करते हैं.

ईद-क्रिसमस पर क्यों सिल जाते हैं होठ?

मतलब फिल्म में खुशी का कोई भी मौका हो तो पटाखे फोड़ने का प्लाट तलाश लिया जाता है. लेकिन दिवाली पर अगर लोग पटाखे फोड़कर अपनी खुशी का इजहार करना चाहे तो बॉलिवुड वाले ज्ञान बांटने लग जाते हैं. सिर्फ दिवाली ही नहीं, होली पर भी इनकी नाटकबाजी चालू रहती है. रंग मत लगाओ. ग्रीन होली मनाओ..हिंदुओं के ही सारे त्योहारों पर इन्हें अपनी मुफ्त की सलाह देनी होती है...लेकिन जब मुस्लिम त्यौहारों की बात आती है..तो इनका सारा ज्ञान पानी हो जाता है.

सारे बॉलीवुड स्टार्स क्रैकर्स फ्री दिवाली की वकालत करते हुए कहते हैं कि इससे बेजुबान जानवरों को परेशानी होती है. लेकिन यही बॉलीवुड सेलिब्रिटी हैं जो ईद पर खामोश हो जाते हैं..क्या ईद पर बेजुबान जानवरों को काटकर खाया नही जाता? ईको फ्रेंडली ईद मनाने का मैसेज देने में बॉलीवुड सेलिब्रिटीज की जुबान पर ताला क्यों लग जाता है?

क्रिसमस और न्यू ईयर के जश्न में आतिशबाजी होने पर इन्हे ऐतराज क्यों नहीं होता? बॉलीवुड सेलेब्स जो दिवाली पर पटाखे फोड़ने को गुनाह समझते हैं...इसलिए सवाल तो बनता है...और सवाल पूछा भी जाना चाहिए कि आखिर बॉलीवुड सेलिब्रिटीज के एक वर्ग को हिंदू त्यौहारों से इतनी दिक्कत क्यों हैं?

क्या दिलजीत दोसांझ का किस्सा पता है?

अब आपको बॉलीवुड के डबल स्टैंडर्ड के बारे में बताते हैं. यह वाकया दिलजीत दोसांझ के कॉन्सर्ट के बाद का है, जो दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु स्टेडियम में आयोजित हुआ था. कॉन्सर्ट खत्म होने के बाद पूरे स्टेडियम में शराब की बोतलें..कूड़ा और खाने के सड़े हुए तरल पदार्थ एथलीटों के ट्रैक पर पड़े हुए थे. तो अब दिलजीत दोसांझ से भी हम पूछना चाहते हैं कि क्या प्रदूषण सिर्फ दिवाली पर पटाखों से फैलता है..या स्टेडियम का जो हाल..उनके कॉन्सर्ट के दौरान हुआ..वो भी प्रदूषण की कैटेगरी में आता है? जिस तरह से पूरा मैदान गंदगी से पटा पड़ा था. क्या उसपर किसी बॉलीवुड सेलिब्रिटी को कुछ कहना है? कोई ज्ञान देना है..ये सारा ज्ञान सिर्फ हिंदू त्यौहारों के लिए ही बचाकर रखा हुआ है?

ये वीडियो एथलीट बेअंत सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है और बॉलीवुड सेलिब्रिटीज की मानसिकता पर सवाल भी उठाया है. दिलजीत दोसांझ के कॉन्सर्ट के बाद गंदगी तो बाद में साफ हुई. पहले SAI की सफाई आ गई..जिसने कहा है कि कॉन्सर्ट से स्टेडियम के मुख्य ट्रैक को कोई नुकसान नहीं हुआ है. लेकिन सवाल यही है. अगर बॉलीवुड सेलिब्रिटीज को दिवाली पर पटाखे फोड़ना गलत लगता है. पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला लगता है तो दिलजीत दोसांझ के कॉन्सर्ट के दौरान जो गंदगी फैली, क्या उससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा. जैसे दिवाली बिना पटाखों के मनाई जा सकती है..वैसे बिना गंदगी फैलाए कॉन्सर्ट नहीं किया जा सकता था क्या?

ये बॉलीवुड के डबल स्टैंडर्ड नहीं तो और क्या हैं ? ये वो लोग हैं..जिन्हें ना तो दिवाली पर पटाखों से कोई लेना देना है और ना ही पॉल्यूशन से कोई वास्ता है. लेकिन इन्हें तो ज्ञान देना है. कोई ये तो बताए कि बॉलीवुड सेलेब्स को क्यों लगता है कि वो हिंदू त्यौहारों पर जो मर्जी बोल देंगे और हिंदुओं की भावनाएं आहत नहीं होंगी. कोई बताए कि बॉलीवुड सेलेब्स को क्यों लगता है कि पटाखे ना चलाने का मैसेज देकर वो खुद को बुद्धिजीवी साबित कर देंगे.

फिल्मों में हिंदुओं को क्यों बनाया जाता है विलेन?

ये वही लोग हैं..जो बात-बात पर कहते हैं - It's My Choice. क्या सिर्फ सेलिब्रिटीज की ही Choice होती है. क्या आम लोगों की कोई च्वाइस नहीं होती..अगर लोग दिवाली पर पटाखे चलाना चाहते हैं..तो इन्हें आखिर इतनी दिक्कत क्यों होती है? उनसे कोई पूछे कि दिवाली के दिन वो देश में होते भी हैं या नहीं?...ये बॉलीवुड की वही सोच है..जिसकी वजह से बॉलीवुड फिल्मों में हिंदू धर्म को टारगेट किया जाता है और फिल्मों में विलेन हिंदू ही दिखाया जाता है.

जब चक दे इंडिया हिंदू हॉकी कोच रंजन नेगी से इंस्पायर्ड थी तो फिल्म के हीरो का नाम कबीर खान क्यों रखा गया? ये बॉलीवुड का हिंदूफोबिया नहीं तो और क्या है? चक दे इंडिया में हीरो को कबीर खान बना देना हो..या ic-814 में एक आतंकवादी का नाम भोला बता देना हो, बॉलीवुड में हिंदू विरोधी एजेंडा चल रहा है. कंधार प्लेन हाईजैक में सारे आतंकवादी मुस्लिम थे. लेकिन फिल्म में एक आतंकी का नाम दे दिया भोला..ये कैसी क्रियेटिव फ्रीडम है?

बॉलीवुड में हिंदूफोबिया के एक नहीं बल्कि अनेक उदाहरण हैं. फिल्म पीके में भगवान शिव की वेशभूषा में दिखाए गए कैरेक्टर पर भी सवाल उठे थे. फिल्म रेडी में कॉमेडी के नाम पर सलमान खान ने एक हिंदू की शिखा काट दी. इसमें डायलॉग बोलते हैं बाल काटे जा रहे हैं खतना नहीं किया जा रहा है. फिल्म स्टूडेंट ऑफ द ईयर का एक गाने के बोल में राधा के साथ विवादित शब्द लिख दिया गया था. 

लेस्बियन रिश्तों पर बनी फिल्म का नाम रखा 'सीता और गीता'

फिल्म राम तेरी गंगा मैली में पंडित हीरोइन को मॉलेस्ट करने के बाद ओम नम शिवाय का पाठ करता दिखाया गया है. 1996 में आई फिल्म फायर एक शॉर्ट स्टोरी लिहाफ से ली गई है. जिसमें दो कैरेक्टर्स बेगम जान और रब्बू के बीच लेस्बियन रिश्ता है. लेकिन इसपर जब फिल्म बनी तो कैरेक्टर्स का नाम रख दिया गया सीता और गीता.

फिल्म OMG में भी हिंदू धर्मगुरुओं को विलेन के रूप में दिखाया गया है. फिल्मों में हिंदुओँ को विलेन बनाकर पेश करना और हिंदू त्यौहारों की परंपराओं पर सवाल उठाना..सवाल यही है कि आखिर बॉलीवुड ऐसा करता क्यों है..क्या बॉलीवुड को वाकई हिंदूफोबिया है. 

एक तरफ क्रियेटिव फ्रीडम के नाम पर सच्चाई को छिपाकर बॉलीवुड में हिंदू धर्म के साथ धोखा और दूसरी तरफ हिंदू त्यौहारों पर बॉलीवुड सेलिब्रिटीज का कचरा ज्ञान. ये बॉलीवुड में बीमारी की हद तक फैल चुका हिंदूफोबिया नहीं तो और क्या है? फिल्में हमारे देश में सिर्फ इंटरटेनमेंट का जरिया नहीं हैं..फिल्में लोग सिर्फ मन बहलाने के लिए ही नहीं देखते हैं बल्कि वो समाज का एक आईना है. लेकिन आखिर ये कैसा आईना जो नाम पहचान ही गलत दिखा रहा है.

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