Yoga Day 2024: हर साल 21 जून को ही क्यों मनाया जाता है विश्व योग दिवस? क्या आप जानते हैं इसके पीछे का राज
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Yoga Day 2024: हर साल 21 जून को ही क्यों मनाया जाता है विश्व योग दिवस? क्या आप जानते हैं इसके पीछे का राज

Benefits and Origin of Yoga: पूरी दुनिया शुक्रवार 21 जून को दसवां विश्व योग दिवस मनाएगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके लिए 21 जून की तारीख ही क्यों चुनी गई थी. आज हम इसका रहस्य आपको बताते हैं.

 

Yoga Day 2024: हर साल 21 जून को ही क्यों मनाया जाता है विश्व योग दिवस? क्या आप जानते हैं इसके पीछे का राज

Theme of World Yoga Day 2024: दुनिया के तमाम देश 21 जून यानी शुक्रवार को दसवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाएंगे. यह भारत की वह अनमोल धरोहर है, जिसकी खुशबू धीरे-धीरे अब पूरी दुनिया में फैल रही है. हिंसा और युद्ध से जूझ रही दुनिया के लिए योग एक उम्मीद की किरण लेकर आया है. इससे लोगों को तनाव से बाहर निकलने और खुद को सकारात्मक बनाने में मदद मिल रही है. इस मौके पर दुनिया के तमाम देशों में कार्यक्रम होंगे. दुनिया भर में फैले भारतीय दूतावासों और उच्चायोग भी बड़े पैमाने पर योग को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रम करेंगे.

दुनिया के पहले आदियोगी हैं भगवान शंकर

योग अनंतकाल से भारत की संस्कृति का हिस्सा है. भगवान शंकर को आदियोगी यानी दुनिया का पहला योगी कहा जाता है. वे हमेशा योग मुद्रा में लीन रहते हैं. भारत के चारों वेदों और उपनिषदों में योग की महिमा का वर्णन किया गया है और इसके अनेक फायदों के बारे में बताया गया है. भारत के तमाम योग गुरुओं ने भी देश की इस महान परंपरा को आगे बढ़ाकर दुनिया के तमाम देशों में फैलाया, जिसके चलते भारत को योगगुरु का दर्जा मिला. 

योग को दुनिया में लोकप्रिय करने के लिए छोटे- छोटे स्तर पर प्रयास लंबे समय से चल रहे थे. लेकिन इसने जोर तब पकड़ा, जब बाबा रामदेव ने अपनी संस्था पातंजलि योगपीठ के जरिए जगह- जगह योग के कार्यक्रम करके इसे लोकप्रिय बनाना शुरू किया. इससे लोगों में एक बार फिर योग के प्रति लगाव शुरू हुआ और जगह- जगह योगाभ्यास की कक्षाएं लगनी शुरू हो गई. 

पीएम मोदी ने रखा योग दिवस का प्रस्ताव

भारत की महान परंपरा को वैश्विक बनाने का असल काम वर्ष 2014 में हुआ, जब नरेंद्र मोदी देश के पीएम बने. उन्होंने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण देते हुए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा. उनके इस प्रस्ताव का 177 देशों ने समर्थन किया. इसके बाद वर्ष 11 दिसंबर 2014  को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई. साथ ही 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का ऐलान कर दिया गया. 

21 जून की तारीख ही क्यों तय हुई?

असल में 21 जून उत्तरी गोलार्ध का सबसे लंबा दिन होता है, जिसे हम ग्रीष्म संक्रांति कहते हैं. यह वर्ष का सबसे लंबा दिन माना जाता है. इस ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन में प्रवेश कर जाता है. दोनों अवधि के बीच के इस समय को योग और अध्यात्म के लिए बेहद खास माना जाता है. जिसके अनेक शारीरिक और मानसिक फायदे हैं. यही वजह है कि योग दिवस के लिए 21 जून का दिन तय किया गया. 

आपको यह भी बता दें कि हर वर्ष की विश्व योग दिवस के लिए एक खास थीम रखी जाती है. इस बार योग दिवस की थीम योगा फॉर सेल्फ़ एंड सोसायटी है.. इस बार पूरी दुनिया शुक्रवार को 10 वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाएगी. इसी के साथ एक बार फिर पूरी दुनिया भारत की योग शक्ति देखेगी. 21 जून को भारत में योग का एपीसेंटर अक्सर वो जगह होती है, जहां प्रधानमंत्री मोदी खुद लोगों के साथ योग करते हैं और शुक्रवार को ये एपीसेंटर कश्मीर की डल झील होगी.

योग दिवस की थीम योगा फॉर सेल्फ़ एंड सोसायटी

प्रधानमंत्री की 2014 के बाद से ये 25वीं..और तीसरी बार सत्ता संभालने के बाद ये पहली कश्मीर यात्रा है. प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार सुबह साढ़े छह बजे डल झील के किनारे योग करेंगे. प्रधानमंत्री के साथ तकरीबन 7 से 8 हज़ार लोग भी योगासन करेंगे. 2024 के योग दिवस की थीम योगा फॉर सेल्फ़ एंड सोसायटी है. प्रधानमंत्री के साथ योग करने को लेकर यहां लोगों में क्रेज़ है. कई लोगों ने योग की बाक़ायदा ट्रेनिंग ली है.

कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से शांति थी, लेकिन बीते कुछ दिनों में आतंकी वारदातों से सन्नाटा टूटा है. इसीलिये प्रधानमंत्री के दौरे और इस कार्यक्रम को लेकर बड़े पैमाने पर सुरक्षा बंदोबस्त किये गये हैं. सुरक्षा का अंदाज़ा भारतीय नेवी के मरीन कमांडो मार्कोस की तैनाती से लगाया जा सकता है. कार्यक्रम डल झील के किनारे हो रहा है, लिहाज़ा झील के छोर पर सुरक्षा की ज़िम्मेदारी मार्कोस कमांडोज़ को दी गई है. मार्कोस..जिन्हें समंदर का चीता माना जाता है, जो पानी के भीतर बेहद रफ्तार से खतरे से निपटते हैं.

डल झील के किनारे मार्कोस कमांडोज की तैनाती

प्रधानमंत्री की यात्रा के लिये कश्मीर में फुलप्रूफ़ मल्टीलेयर सुरक्षा व्यवस्था की गई है. श्रीनगर को रेड ज़ोन घोषित किया गया है, इस ज़ोन में ड्रोन उड़ाना प्रतिबंधित किया गया है. तीन लेयर की इस सुरक्षा में जम्मू-कश्मीर पुलिस, CRPF और SAB तैनात की गई हैं. शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल सेंटर की सड़कें सील हैं और हाइटेक सुरक्षा से लैस की गई हैं. पीएम मोदी के कल वापस दिल्ली रवाना होने तक पूरा श्रीनगर हवाई निगरानी में रहेगा.

तीसरे कार्यकाल की पहली कश्मीर यात्रा में प्रधानमंत्री कई बड़े संदेश दे सकते हैं. कश्मीर को उम्मीद है कि कल प्रधानमंत्री ध्यान लगाएंगे तो उसके बाद कश्मीर के राजनीतिक योग बदलने की दिशा में भी कोई संदेश देंगे. जम्मू-कश्मीर में जल्द ही चुनाव होने हैं. ...रियासी में आतंकी हमले के बाद थोड़ा तनाव लौटा है. ..और इन सबके बीच कश्मीर की सियासी पार्टियों ने एक बार फिर पाकिस्तान से बातचीत की रट पकड़ी है. माना जा रहा है कि दिल्ली लौटने से पहले प्रधानमंत्री एक बार फिर आतंकवाद पर कड़ा संदेश देंगे.

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