अमित शाह ने तीखे हमले से स्पष्ट संदेश दे दिया गया है कि बीजेपी अपने गठबंधन में शरद पवार और उद्धव ठाकरे को लाने के पक्ष में नहीं दिखती.
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शरद पवार ने कुछ दिन पहले पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उसके बाद आरएसएस की तारीफ की. अजित पवार की मां ने मंदिर में मनोकामना मांगी कि पवार गुट एकजुट हो जाएं. शरद पवार के जन्मदिन पर अजित पवार पत्नी सुनेत्रा के साथ उनसे मिलने गए. चुनावी तल्खियों को कम करने का प्रयास किया जाने लगा. दोनों पवार गुटों के बीच दबे स्वरों में कहा जाने लगा कि निकट भविष्य में एनसीपी के दोनों धड़ों का विलय हो जाएगा. इस बात के कयास लगाए जाने लगे कि तीन महीने बाद महाराष्ट्र में होने वाले निकाय चुनावों से पहले ऐसा संभव हो सकता है. शरद पवार के पास इस वक्त 10 और अजित पवार के पास 41 विधायक है. कहा जाने लगा कि यदि दोनों ही धड़े एकजुट हो जाएं तो महाराष्ट्र की सियासत में एनसीपी के पास तकरीबन 20 प्रतिशत का वोट शेयर होगा.
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अब महा विकास अघाड़ी के दूसरे घटक दल उद्धव ठाकरे का हाल जानिए. चुनावों में उनको 20 सीटें मिलीं. देवेंद्र फडणवीस को हराने का सबसे बड़ा संकल्प इन्होंने ही लिया था. लेकिन नतीजों के बाद ये स्पष्ट हो गया कि हवा किस तरफ बह रही है. लिहाजा नागपुर में महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान उद्धव बेटे आदित्य ठाकरे के साथ सीएम फडणवीस से मिले. इसको शिष्टाचार भेंट कहा गया. उसके बाद से तीन बार आदित्य ठाकरे सीएम फडणवीस से मिलने के लिए गए. ये कहा गया कि अपने निर्वाचन क्षेत्र से जुड़े मसलों के समाधान के लिए उनकी मुलाकात हुई.
इन मुलाकातों के बाद ये चर्चा शुरू हो गई कि क्या एक बार फिर उद्धव ठाकरे और बीजेपी के बीच किसी प्रकार की डील हो सकती है? क्या दोनों ही तरफ से तेवरों में कोई नरमी बरती जा रही है. कुछ लोग ये भी कहने लगे कि उद्धव और राज ठाकरे को एकजुट होकर शिवसेना को मजबूत करना चाहिए और बीजेपी के साथ मिलकर हिंदुत्व के अपने पुराने एजेंडे पर लौट जाना चाहिए.
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इस तरह के कयासों-निष्कर्षों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने स्टाइल में जवाब दे दिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को शिरडी में राज्य भाजपा सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि जनता ने 1978 में शुरू हुई पीठ में छुरा घोंपने वाली राजनीति का अंत कर दिया. शाह ने कहा, 'महाराष्ट्र में (भाजपा की) जीत ने 1978 में शरद पवार की तरफ से शुरू की गई अस्थिरता और पीठ में छुरा घोंपने की राजनीति को खत्म कर दिया. आप लोगों ने ऐसी राजनीति को 20 फुट जमीन में दफना दिया है.
अमित शाह ने कहा, 'उद्धव ठाकरे ने हमें धोखा दिया. उन्होंने 2019 में बालासाहेब की विचारधारा को छोड़ दिया. आज आपने उन्हें उनकी जगह दिखा दी है. वे विश्वासघात करके मुख्यमंत्री बने थे.'
'जनता ने किया शरद पवार की पीठ में छुरा घोंपने वाली राजनीति का THE END', महाराष्ट्र में गरजे शाह
पटाक्षेप
वैसे तो सियासी रूप से अपेक्षित ही था कि अमित शाह अपने विरोधियों पर निशाना साधेंगे लेकिन हाल के संकेतों की पृष्ठभूमि में अमित शाह का बयान मायने रखता है. राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि अमित शाह ने तीखे हमले से स्पष्ट संदेश दे दिया गया है कि बीजेपी अपने गठबंधन में शरद पवार और उद्धव ठाकरे को लाने के पक्ष में नहीं दिखती. इसका असर ये हुआ कि अब सीएम देवेंद्र फडणवीस ने अपने कैडर को संदेश दिया है कि निकाय चुनाव भी अकेले लड़ने के लिए तैयारी करनी चाहिए. यानी बहुत संभव है कि बीजेपी महायुति के अन्य धड़ों एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के साथ बिना तालमेल बिठाए ही अपने दम पर निकाय चुनाव लड़े. बीजेपी का ये दांव इसलिए भी प्रभावी दिखता है कि विपक्षी महाविकास अघाड़ी की तरफ से भी उद्धव सेना ने कहा है कि वो अकेले लड़ेंगे.
कहने का मतलब ये है कि अमित शाह ने शरद पवार और उद्धव ठाकरे के लिए वापसी के रास्ते बंद कर दिए हैं. साथ ही बीजेपी के लिए मैसेज ये है कि वो एकनाथ शिंदे और अजित पवार के भी ज्यादा भरोसे न रहें. एकला चलो की रणनीति अपनाएं और तीन महीने बाद होने जा रहे निकाय चुनावों में अपने दम लड़ने की तैयारी करें. यानी महाराष्ट्र में 90 दिन बाद होने जा रहे दंगल का गेम सेट कर दिया गया है...कौन अपना है और कौन पराया...ये भी काडर को समझा दिया गया है.