Maharashtra Chunav: अजित पवार के नए खुलासे ने विपक्ष को हमला करने का नया हथियार दे दिया है.
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Maharashtra Vidhan Sabha Chunav: एनसीपी नेता अजित पवार ने महाराष्ट्र चुनाव में वोटिंग से महज एक हफ्ते पहले विपक्ष को एक नया सियासी मसाला दे दिया है. कांग्रेस पहले से ही गौतम अडानी और बीजेपी लीडरशिप की करीबी को लेकर सवाल उठाती रहती है. ऐसे में अजित पवार के नए खुलासे ने विपक्ष को हमला करने का नया हथियार दे दिया है. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने दावा किया है कि पांच साल पहले बीजेपी और तत्कालीन एनसीपी के बीच महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर बातचीत हुई थी और उसमें दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं समेत उद्योगपति गौतम अडानी भी शामिल थे.
आपको याद होगा कि 2019 में अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार से बगावत करते हुए बीजेपी के साथ सरकार बनाने का प्रयास किया था. उन्होंने द न्यूज मिनट (The News Minute) को दिए इंटरव्यू में कहा कि सबको पता है कि मीटिंग कहां हुई थी. सब लोग वहां मौजूद थे. वहां पर अमित शाह, गौतम अडानी, प्रफुल पटेल, देवेंद्र फडणवीस और पवार साहब (शरद पवार) मौजूद थे. उन्होंने जोर देकर कहा कि उस वक्त जो कुछ हुआ वो सब पवार साहब की पूरी जानकारी में था और उन्होंने जो भी किया एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में अपने नेता का अनुसरण करते हुए किया.
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अजित पवार हो सकता है कि इस खुलासे के माध्यम से एक बार फिर बताना चाह रहे हैं कि 2019 में जब उन्होंने 72 घंटे का विद्रोह किया था तो चाचा शरद पवार की सहमति या अनुमति से किया हो. वो इस माध्यम से भले ही चाचा शरद पवार पर निशाना साधना चाह रहे हों लेकिन उनके इस खुलासे ने बीजेपी को चुप करा दिया है. बीजेपी ने अजित पवार के इस सनसनीखेज दावे पर मौन साध लिया है.
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक अजित पवार ने यदि शरद पवार पर निशाना साधा है तो उन्होंने बीजेपी को भी नहीं छोड़ा है. लोकसभा चुनावों के बाद से ही बीजेपी-आरएसएस का एक तबका उनके साथ गठबंधन को लेकर सहज नहीं है. विधानसभा चुनाव में भी इसका असर देखने को मिल रहा है. अजित पवार ने जहां योगी आदित्यनाथ के बंटेंगे तो कटेंगे नारे पर आपत्ति उठाई है तो वहीं नवाब मलिक को टिकट नहीं देने के बीजेपी के अनुरोध को भी ठुकरा दिया है.
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इस तरह के इंटरव्यू के माध्यम से अजित पवार महाराष्ट्र की राजनीति में खुद के महत्व को बताने के साथ-साथ उनको साइडलाइन करने की इच्छुक शक्तियों को जवाब देते हुए भी दिख रहे हैं. वो शरद पवार पर खुलकर कोई हमला नहीं करना चाहते और बीजेपी की टॉप लीडरशिप के भी समर्थन में हैं लेकिन वो ये संदेश भी देना चाहते हैं कि वो गठबंधन साथियों की हर बात और नारे से सहमत नहीं हैं. कुल मिलाकर उनकी कवायद खुद की सियासी जमीन को बनाए और बचाए रखने की है.
बारामती की लड़ाई
चुनाव प्रचार से इतर न्यूज एजेंसी PTI से एक अलग बातचीत में अजित ने दावा किया कि उनके भतीजे और प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार युगेंद्र पवार की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है और वह बारामती में रहना तक पसंद नहीं करते हैं. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) द्वारा पवार परिवार के गढ़ बारामती में युगेंद्र को मैदान में उतारने पर अजित ने कहा कि उनकी मां ने शरद पवार से परिवार में चुनावी मुकाबले से बचने का आग्रह किया था.
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उन्होंने कहा, ‘‘मैंने (पत्नी) सुनेत्रा पवार को लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले के खिलाफ खड़ा किया. इससे वह (शरद पवार) बहुत आहत हुए हैं. यही कारण है कि उन्होंने युगेंद्र पवार को मेरे खिलाफ उम्मीदवार बनाया है.’’
अजित ने दावा किया, ‘‘युगेंद्र की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है... वह बारामती आना तक पसंद नहीं करते हैं. उन्हें विदेश में रहना पसंद है. मुझे नहीं पता कि उन्हें क्या हो गया है.’’ लोकसभा चुनाव में बारामती के हाई-प्रोफाइल मुकाबले में अजित की चचेरी बहन सुप्रिया ने उनकी पत्नी सुनेत्रा को करारी शिकस्त दी थी.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख अजित ने कहा, ‘‘मेरी मां ने पवार साहब से कहा था कि पवार परिवार के भीतर कोई मुकाबला नहीं होना चाहिए, लेकिन उन्होंने एक उम्मीदवार खड़ा कर दिया. शरद पवार बड़े नेता हैं. मैं इस बारे में बात नहीं करना चाहता, लेकिन मेरी मां के आग्रह के बावजूद उन्होंने ऐसा फैसला लिया.’’
अजित ने बारामती विधानसभा सीट बरकरार रखने का भरोसा जताया. उन्होंने कहा, ‘‘बारामती के लोग जानते हैं कि क्षेत्र के विकास में कई लोग शामिल थे, लेकिन मैंने सबसे अधिक प्रयास किए हैं. मैंने वहां काम किया है और मेरा काम खुद बोलता है.’’