विधानसभा बैकडोर भर्ती: कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर HC ने लगाई रोक, जानिए मामले में कब क्या हुआ
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विधानसभा बैकडोर भर्ती: कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर HC ने लगाई रोक, जानिए मामले में कब क्या हुआ

Uttarakhand vidhansabha Backdoor Recruitment: विधानसभा में हुई बैकडोर भर्ती में कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर नैनीताल हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया है.

विधानसभा बैकडोर भर्ती: कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर HC ने लगाई रोक, जानिए मामले में कब क्या हुआ

देहरादून: विधानसभा में बैक डोर से हुई भर्तियों को लेकर एक बार फिर से प्रदेश में सियासत गरमा गई है. कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर नैनीताल हाई कोर्ट ने स्टे का आदेश दिया है. मामले में अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि कोर्ट ने जो आदेश जारी किया है उस आदेश की स्टडी की जाएगी. इसके बाद सरकार कोई फैसला करेगी.

विधानसभा में बैक डोर से हुई भर्तियों के मामले में विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने पूर्व प्रमुख सचिव डीके कोटिया की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी. 20 दिन में कमेटी ने विधानसभा अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंप दी. कमेटी की सिफारिश पर विधानसभा अध्यक्ष ने 228 कर्मचारियों को हटाने का फैसला किया. जिसके खिलाफ कर्मचारियों ने नैनीताल हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कोर्ट ने उनकी बर्खास्तगी के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है.

विधानसभा बैक डोर भर्ती मामले में कब क्या हुआ
- 28 अगस्त को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी को भर्तियों की जांच के लिए एक पत्र लिखा था.
- 29 अगस्त को विधानसभा के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने अपने बेटी और बेटे को नौकरी पर लगाने की बात को स्वीकार किया.
- 3 सितंबर को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने तीन सदस्य विशेषज्ञ कमेटी का गठन किया.
- 22 सितंबर को विशेषज्ञ कमेटी ने विधानसभा अध्यक्ष ने भर्तियां को रद्द किया.
- 10 अक्टूबर को बर्खास्त कर्मचारियों ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
- 15 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी पर स्टे दे दिया.

कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भाजपा पर पलटवार किया है. उनका कहना है कि भाजपा ने पूरे मामले को डाइवर्ट करने के लिए इस तरह का कदम उठाया. कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि उन्होंने पहले ही कहा था कि कानूनी तौर पर यह मामला कहीं भी टिकने वाला नहीं है.इस मामले से राज्य की छवि धूमिल हुई है और भाजपा गुमराह करने के लिए इस तरह का फैसला किया है. 

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