कारागार मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार धर्मवीर प्रजापति ने होमगार्डों की ड्यूटी भत्ते के लिए गृह विभाग पर निर्भरता समाप्त कर दी है. वहीं, अब आजीवन कारावास के कैदियों को 60 वर्ष की आयु सीमा पूरी करना अनिवार्य नहीं है.
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मयूर शुक्ला/लखनऊः उत्तर प्रदेश सरकार के होमगार्ड जवानों के लिए अच्छी खबर है. कारागार मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने 33 हजार होमगार्डों के हित में बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने होमगार्डों की ड्यूटी भत्ते के लिए गृह विभाग पर निर्भरता समाप्त कर दी है. होमगार्डों का वेतन अब मूल विभाग से जारी होगा. बता दें कि 25 हजार होमगार्ड गृह विभाग में और 8000 होमगार्ड डायल 112 पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
इसके अलावा यूपी में आजीवन कारावास के कैदियों को भी राहत मिली है. मंत्री ने कहा कि अब 60 वर्ष की आयु सीमा पूरी करना अनिवार्य नहीं है. लोक दिवसों पर आजीवन कारावास के कैदी रिहा होंगे. रिहाई के लिए 60 साल उम्र पूरा करने की बंदिश खत्म कर दी गई है. बता दें कि केंद्रीय जांच एजेंसियों की कोर्ट से सजा पाए कैदी इस दायरे में नहीं आएंगे.
ड्यूटी भत्ते के लिए गृह विभाग पर निर्भरता समाप्त
योगी सरकार होमगार्ड होमगार्ड्स को लगातार सुविधाएं देने के प्रयास में जुटी है. दूसरे कार्यकाल में सरकार ने इस काम की शुरुआत और भी तेजी से कर दी है. होमगार्ड्स के जवानों को भी सुविधाएं मिलें और वे प्रदेश की शांति व्यवस्था बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें इसके लिए राज्य सरकार लगातार कोशिश कर रही है.
इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के 25000 होमगार्ड्स जो कि गृह विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और 8000 होमगार्ड्स जो डायल 112 पर तैनात हैं, उन्हें बड़ी राहत मिली है. वहीं, अब इनके ड्यूटी भत्ते के लिए गृह विभाग पर निर्भरता समाप्त हो गई है. अब उन्हें मूल विभाग वेतन देगा.
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आजीवन कारावास के कैदियों को मिली राहत
यूपी में आजीवन कारावास के कैदियों को भी मिली राहत 60 वर्ष की आयु सीमा पूरी करना जरूरी नहीं है. साल में 10 लोक दिवसों पर कैदी रिहा किए जाएंगे. कारागार एवं होमगार्ड्स राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार धर्मवीर प्रजापति ने यह आदेश जारी किया है. इसके साथ ही यूपी की नई जेल नीति से उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों को राहत मिलने जा रही है.
इस नई जेल नीति के तहत, अब आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों की रिहाई के लिए 60 साल उम्र पूरा करने की बंदिश समाप्त कर दी गई है. हालांकि, केन्द्रीय जांच एजेंसियों की अदालतों में जिन कैदियों को सजा मिली है, वह इस दायरे में नहीं आएंगे. दरअसल, उत्तर प्रदेश की जेलों में कैदियों की संख्या तय नियमों से ज्यादा है. इसलिए वर्तमान कारागार मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार लगातार कैदियों की रिहाई व कारागार सुधार की दिशा में कदम उठा रहे हैं.
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