Gyanvapi Case : वाराणसी कोर्ट की जिला अदालत ने मस्जिद के अंदर मौजूद तहखाने में पूजा करने की अनुमति दे दी है. अब सवाल यह है कि आखिर तहखाने से जुड़ा विवाद है क्या? आइए जानते हैं इस विवाद की शुरुआत कब हुई? राज्य के किस सीएम ने तहखाने में पूजा पर रोक लगाई.
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वाराणसी : ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष को बुधवार को एक बड़ी उपलब्धि मिली है. वाराणसी कोर्ट की जिला अदालत ने मस्जिद के अंदर मौजूद तहखाने में पूजा करने की अनुमति दे दी है. व्यास जी तहखाने में पूजा करने का अधिकार दिया गया है. काशी विश्वनाथ के पुजारी ही तहखाने में पूजा करेंगे. प्रशासन को सात दिनों के भीतर इसकी व्यवस्था करने के आदेश दिए गए हैं. कोर्ट ने कहा यहां पर नियमित पूजा की जाएगी. हालांकि, जिला अदालत के आदेश के बाद मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताते हुए कहा कि वह आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेंगे.
अब सवाल यह है कि आखिर तहखाने से जुड़ा विवाद है क्या? दरअसल, सोमनाथ व्यास का परिवार 1993 तक तहखाने में पूजा अर्चना करता था. लेकिन, नवंबर 1993 के बाद तहखाने में पूजा-पाठ पर रोक लगा दी गई थी. तत्कालिन राज्य सरकार के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के आदेश पर तहखाने में पूजा बंद कर दी गई थी.
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तहखाने में पूजा की मांग को लेकर सितंबर 2023 में याचिका दायर की गई थी. पूजा करने की मांग की याचिका सोमनाथ व्यास जी के नाती शैलेंद्र पाठक ने की थी. याचिका में मांग की गई थी कि तहखाने को डीएम को सौंप दिया जाए. इसके बाद इस मामले को लेकर भी कई बार कोर्ट में सुनवाई हुई. 17 जनवरी को तहखाने को जिला प्रशासन ने कब्जे में ले लिया था.
क्या कह रही ASI रिपोर्ट
पिछले दिनों ज्ञानवापी मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अपनी रिपोर्ट पेश की थी. कोर्ट के आदेश के बाद एएसआई की रिपोर्ट हिंदू और मुस्लिम पक्ष को सौंपी गई थी. जिसके बाद हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया था कि परिसर के अंदर क्या-क्या मिला है. उन्होंने दावा किया कि मस्जिद के अंदर देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां, हिंदू धर्म से जुड़े कई निशान, कमल पुष्प, घंटी आदि जैसी चीजें मिली हैं.
हिंदू पक्ष का दावे को समझें
हिंदू पक्ष ने तहखाने को लेकर दावा किया था कि साल 1993 तक उस स्थान पर व्यास जी पूजा करते थे. लेकिन बाद में, प्रशासन के आदेश के बाद तहखाने में पूजा करने पर रोक लगा दी थी. हिंदू पक्ष की इस दलील पर अंजुमन इंतजामिया ने आपत्ति जताई थी. याचिका सितंबर 2023 में दायर की गई थी.