उत्तर प्रदेश के कुटीर उद्योग से लेकर यहां के हेल्थ, एजुकेशन और स्किल के क्षेत्र में क्वालिटी बढ़ाने एक्रिडिटेशन और सर्टिफिकेशन प्रक्रियाओं को अपनाया जाएगा. इसके लिए भारतीय गुणवत्ता परिषद प्रदेश में गुणवत्ता संवर्धन के कई कार्यक्रम संचालित करने वाली है.
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अरविंद मिश्रा/लखनऊ : उत्तर प्रदेश में तैयार होने वाले उत्पाद और सेवाएं अब दुनिया भर में ब्रांड के रूप में पहचानी जाएंगी. उत्तर प्रदेश गुणवत्ता संकल्प मिशन के जरिए यह सब मुमकिन होगा. 23 मार्च को प्रदेश में क्वालिटी मिशन की शुरुआत की गई. क्यूसीआई प्रदेश के युवाओं को आईएसओ 17.24 के तहत अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर स्किल प्रदान करेगी. जिससे वह न सिर्फ देश के अलग-अलग हिस्सों में बेहतर रोजगार हासिल कर सकेंगे बल्कि कौशल से स्वरोजगार खड़ा कर सकेंगे. अक्सर पहले उत्पाद और सेवाएं तैयार होने के बाद उसकी क्वालिटी का परीक्षण किया जाता है. लेकिन क्यूसीआई की पहल से पहली बार उत्पाद और सेवाएं तैयार किए जाने से पहले ही उसकी गुणवत्ता तय कर दी जाएगी.
डिप्टी सीएम ने बताया रोडमैप
इस मौके पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि उत्तर प्रदेश जितनी रफ्तार से गुणवत्ता की दिशा में आगे बढ़ेगा, उसी गति से मेक इन इंडिया और ब्रांड इंडिया जैसे उद्देश्य पूरे होंगे. डिप्टी सीएम ने कहा कि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को गुणवत्ता के नये स्तर पर ले जाना है. उन्होंने कहा कि 480 हायर सेकेंडरी स्कूलों में संपर्क कर छात्र-छात्राओं को नर्सिंग के क्षेत्र में करियर के लिए प्रेरित किया गया है. मरीजों की संतुष्टि के स्तर को कैसे जांचे, इस दिशा में काम किया जा रहा है. ब्रजेश पाठक ने कहा कि प्रदेश के सभी हॉस्पिटलों से रिपोर्ट मंगाई जाती है कि कितने मरीज आए और उन्हें उपचार से संतुष्टि मिली की नहीं. इस मौके पर सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर ने कहा कि उत्पादों में गुणवत्ता सुधार के जरिए ही इकोनॉमी को मजबूती दी जा सकती है. टेक्नोलॉजी की मदद से क्यूसीआई इस कार्य को करेगा.
गुणवत्ता संकल्प अपनाने वाला पहला राज्य बना यूपी
इस मौके पर भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) के अध्यक्ष जक्षय शाह ने कहा कि यूपी के उत्पाद दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनें, इसके लिए भारतीय गुणवत्ता परिषद हर पैमाने पर काम कर रहा हो. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पहला राज्य है जिसे भारतीय गुणवत्ता परिषद ने गुणवत्ता संकल्प के लिए चुना है.
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प्रदेश में इन चार क्षेत्रों में होगा काम
इस मौके पर भारतीय गुणवत्ता परिषद के महासचिव डॉ.आरपी सिंह ने कहा कि प्रदेश में एमएसएमई, स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल जैसे चार मुद्दों पर गुणवत्ता संवर्धन का कार्य किया जाना है. उत्तर प्रदेश प्रगति के सभी मानकों पर आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा जैसे ही देश विश्व व्यापार संगठन की सदस्यता के दायरे में आया, हमने क्वालिटी के क्षेत्र में एक स्वतंत्र निकाय बनाया. उन्होंने कहा, भारतीय गुणवत्ता परिषद के एक्रिडिएशन सिस्टम ने 184 देशों में 5वें स्थान पर जगह बनाई है. प्रदेश के डॉक्टरों और मेडिकल कर्मचारियों को व्यवहारकुशल बनाने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम संचालित किए जाएंगे. इसके लिए नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर (एनएबीएच) राज्य के हर जिले में गुणवत्ता संवर्धन कार्यक्रम संचालित किया जाएगा. राज्य को एमएमएमई पावर हाउस बनाया जाएगा, इसके लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट कार्यक्रम लागू किया जाएगा.
यहां उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में 900 नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेज का आकलन भारतीय गुणवत्ता परिषद कर रही है. 31 मार्च से पहले इनकी रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी. कार्यक्रम में सहकारिता राज्य मंत्री जेपीएस राठौर और सीएम योगी आदित्यनाथ के सलाहकार अवनीश अवस्थी, प्रो. महेश वर्मा भी मौजूद रहे.
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