ई-वेस्ट से बना दी स्टेच्यू, इलेक्ट्रॉनिक कचरे पर दिया गया पीएम का मंत्र हो रहा साकार
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ई-वेस्ट से बना दी स्टेच्यू, इलेक्ट्रॉनिक कचरे पर दिया गया पीएम का मंत्र हो रहा साकार

कानपुर के एक बैंक में ऐसी मूर्ति लगाई गई है, जो लोगों को न सिर्फ आकर्षित करती है बल्कि पर्यावरण को ई-कचरे से बचाने की राह दिखाती है. इस मूर्ति को बनाने के लिए खराब हो चुके कंप्यूटर, मोबाइल और डेबिट कार्ड का इस्तेमाल किया गया है.

ई-वेस्ट से बना दी स्टेच्यू, इलेक्ट्रॉनिक कचरे पर दिया गया पीएम का मंत्र हो रहा साकार

अरविंद मिश्रा/लखनऊ : कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने मन की बात कार्यक्रम में इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट (Electronic Waste) का जिक्र किया था. उन्होंने लोगों से आह्वान किया था कि पर्यावरण को बचाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक-कचरे का प्रभावी प्रबंधन करना होगा. यदि यह सही तरीके से डिस्पोज नहीं किया गया तो यह पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाएगा. इसी कड़ी में कानपुर में ई-वेस्ट प्रबंधन का एक बेहतरीन मॉडल सामने आया है. यहां जयपुर के एक कलाकार ने ई-वेस्ट से 10 फीट लंबी मूर्ति बनाई है. इसे बनाने में 250 डेस्कटॉप और 200 मदरबोर्ड, केबल और ऐसी अनेक खराब इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का इस्तेमाल किया गया है.

अलग-अलग बैंकों से जुटाया ई-कचरा

मुकेश कुमार ज्वाला द्वारा बनाई गई कलाकृति को मातृका नाम दिया गया है, जिसे कानपुर में एसबीआई के मॉल रोड ब्रांच में लगाया गया है. बताया जा रहा है इसे बनाने में उन्हें एक महीने का समय लगा है. उन्होंने बैंकों की अलग-अलग ब्रांचों से ई-वेस्ट एकत्र करके इसे तैयार किया. मूर्ति के चेहरे को एसबीआई के लोगो का आकार दिया गया है. मूर्ति की ऊंचाई प्लेटफॉर्म के साथ 15 फीट है. मुकेश कुमार ने इसके लिए खराब हो चुकी मदरबोर्ड को डिसमेंटल डिवाइस के जरिए छोटे-छोटे टूकड़ों में बांटा और फिर इसे खास टेक्नोलॉजी से मूर्ति की शक्ल दी. मूर्ति को बनाने में एसएमपीएच (स्वीच मोड पावर सप्लाई), रैम, माउस, केबल, मॉडम कार्ड्स, एल्युमिनियम पार्ट्स, कीबोर्ड और डीवीडी जैसी वस्तुओं का भी इसमें इस्तेमाल हुआ है. 

खराब एटीएम और डेबिट कार्ड का भी उपयोग

मूर्ति के चेहरे और सिर को बनाने के लिए खराब हो चुके डेबिट और क्रेडिट कार्ड जिस बेहतरीन तरीके से उपयोग हुआ है, वह नायाब है. बताया जा रहा है कि मुकेश कुमार ई-वेस्ट से मूर्तियां व ऐसी वस्तुएं बनाने के लिए कई राज्यों में अलग-अलग प्रोजेक्ट पर काम कर चुके हैं. यही नहीं इसमें खराब हो चुकीं 15 हजार कील और 9 हजार स्क्रू को भी उपयोग में लाया गया है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
यूनाइटेड नेशंस (United Nation) द्वारा जारी ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनीटर रिपोर्ट-2020 के मुताबिक 2019 में दुनिया में लगभग 5.36 करोड़ मीट्रिक टन ई-कचरा निकला. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार 2019-20 में देश में 10,14,961.2 टन ई-कचरा निकला. जाहिर है कि यह पर्यावरण के लिए एक गंभीर संकट के रूप में हमारे सामने हैं. यूनाइटेड नेशंस इंस्टीट्यूट फॉर ट्रेनिंग एंड रिसर्च (UNITAR) द्वारा 2022 में आयोजित ई-वेस्ट एकेडमी फॉर साइंटिस्ट प्रोग्राम में शिरकत कर चुकीं डॉ हरवीन कौर के मुताबिक ई वेस्ट बड़ी मात्रा में पैदा करने वाली कंपनियां और संस्थान इसके रीयूज (दोबारा उपयोग) को बढ़ावा दे सकते हैं. अभी कई कंपनियों और संस्थानों में ई-वेस्ट के लिए टेंडर तक नहीं निकाले जाते हैं. वह सीधे कबाड़ी वाले को दे दिया जाता है. 

ई-वेस्ट में पाए जाते हैं हानिकारक तत्व

डॉ हरवीन कौर कहती हैं कि ई-वेस्ट का रीयूज बढ़ने से रिसाइकिलिंग खर्च कम होगा. दरअसल इसमें कई हानिकारक तत्व ऐसे भी पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए नुकसानदेह होते हैं. इसलिए ई-कचरे की रिसाइकिलिंग महंगी होती है. ऐसे में यदि ई-वेस्ट से अधिक से अधिक सजावटी वस्तुएं बनाई जाएं तो यह बेहतर विकल्प हो सकता है. डॉ हरवीन कौर के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक कचरे में 20 से 30 प्रतिशत प्लास्टिक भी पाया जाता है, उसे दोबारा उपयोग में लाया जाना चाहिए. उनका कहना है कि संयुक्त राष्ट्र संघ की पहल पर ई-वेस्ट एकेडमी की स्थापना हुई है, भारत डिजिटल इंडिया की ओर से जिस तेजी से कदम बढ़ा रहा है, ऐसे में ई-वेस्ट एकेडमी की स्थापना की जा सकती है. इससे राज्यों में ई-कचरे से निपटने के प्रयास मजबूत होंगे.

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