UP News: यूपी में इस बार आलू की बंपर पैदावार हुई है. इसके बावजूद किसानों के नाखुश होने की बात सामने आ रही हैं. इस मामले में उद्यान मंत्री ने कहा कि मामले को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा.
Trending Photos
लखनऊ: यूपी में इस बार आलू की बंपर पैदावार हुई है. इसके बावजूद किसानों के नाखुश होने की बात सामने आ रही हैं. किसानों का कहना है कि सब्जियों के राजा आलू का भाव ऐसा गिरा है कि वह माटी के मोल बिक रहा है. वहीं, इस मामले में उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि मामले को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा. आइए बताते हैं उन्होंने क्या कुछ कहा.
उद्यान मंत्री ने कहा कि आलू के लिए जो भ्रम फैलाया जा रहा था, उसके बारे में मैं कहूंगा की देश का 35 प्रतिशत तक आलू का उत्पादन हमारा राज्य करता है. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जो वातावरण मिला है, उससे आलू किसानों को लाभ हुआ है. उन्होंने कहा कि साल 2017 में 155 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन हुआ. वहीं, साल 2023 में 200 लाख टन से ज्यादा का उत्पादन हुआ है. हमारे पास आलू उत्पादन से ज्यादा भंडारण की क्षमता है. अब तक भंडारण क्षमता का केवल 45 प्रतिशत उपयोग हुआ है.
जनपद में है भंडारण की जगह
मंत्री ने कहा, "किसी भी दशा में किसानों को उचित मूल्य दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जनवरी साल 2023 में बाजार में आलू का औसत भाव 823 रुपया प्रति कुंतल है. आलू का भाव किसी भी रूप में गिरा नहीं है. अगर किसी जनपद में भंडारण की जगह नहीं है, तो दूसरे जनपद में कराया जाएगा. उसके लिए 100 भाड़ा के रूप में दिया जाएगा. वहीं, मंडी में ई-नाम योजना के तहत उत्तर प्रदेश के किसानों को जोड़ा गया है.
जनपदों में हमने आलू क्रय केंद्र खोला
मंत्री ने कहा, "हम नेपाल को भी आलू भेजे हैं. आगरा से कतर और मलेशिया के लिए 600 कुंतल आलू भेजा गया है. इतना ही नहीं दुबई में पहली बार उद्यान विधान ने स्टॉल लगाया. तब दुनिया के लोगो ने देखा. किसानों के आलू का मूल्य ज्यादा गिरने न पाए इसके लिए सीपीआरआई ने रिपोर्ट तैयार की है. बता दें कि जिन जिलों में आलू को लेकर कोई समस्या आती है, तो उन जनपदों में हमने आलू क्रय केंद्र खोला है. अगर किसी जनपद में आलू की कमी होती है, तो हम खुद खरीद कर उपलब्ध करा रहे हैं.
दुबई की एक टीम आलू के लिए आगरा में आ रही है. और दुबई के आस पास के कंट्री में भी हम एक्सपोर्ट करेंगे. कुछ लोगो ने दुष्प्रचार किया उनकी सरकारों में जो किसानों के साथ अन्याय हुआ यही कारण है की सरकार बदली है. हम कुछ भी करेंगे लेकिन आलू किसानों का नुकसान नही होने देंगे..
वहीं, उत्तर प्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की मानें तो भारत में उत्तर प्रदेश का आलू उत्पादन में प्रथम स्थान है. प्रदेश में उपभोक्ताओं के लिए पोषणीय आवश्यकता, रोजगार सृजन एवं आर्थिक दृष्टि से नकदी फसल के रूप में आलू का महत्वपूर्ण योगदान है. वहीं, देश के कुल उत्पादन का लगभग 35 प्रतिशत आलू का उत्पादन उत्तर प्रदेश में उत्पादित होता है.
जानकारी के मुताबिक साल 2017 से पहले आलू की पैदावार का क्षेत्रफल 6.14 लाख हेक्टेयर तथा उत्पादन 155.43 लाख मी. टन था. प्रदेश सरकार के प्रयास से आलू के क्षेत्रफल एवं उत्पादन में भी वृद्धि हुई है. प्रदेश में इस साल लगभग 6.94 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू के आच्छादन के सापेक्ष लगभग 242.93 लाख मी. टन उत्पादन सम्भावित है.
इसी तरह साल 2017 तक कुल 1708 शीतगृह थे. इनकी भण्डारण क्षमता मात्र 130.26 लाख मी.टन थी. सरकार के प्रयास एवं लागू नीतियों के माध्यम से शीतगृहों की संख्या एवं भण्डारण क्षमता में वृद्धि हुई है. इस साल आलू भण्डारण के लिए 1,971 शीतगृह संचालित है, जिनकी भण्डारण क्षमता 162.62 लाख मी. टन है. जानकारी के मुताबिक अब तक मात्र 88.14 लाख मी. टन आलू भण्डारित हुआ है एवं 74.48 लाख मी0टन यानी 45.80 प्रतिशत की क्षमता भण्डारण के लिए बची हुई है.
साल 2012 से 2017 की अवधि में आलू के औसत बाजार भाव जनवरी, फरवरी और मार्च माह में क्रमशः 603. 20 प्रति कुन्तल, 566. 20 प्रति कुन्तल, 655.20 प्रति कुन्तल थे, जबकि 2017 से 2022 की अवधि में आलू का औसत बाजार भाव, माह जनवरी, फरवरी व मार्च में क्रमशः 810. 40 प्रति कुन्तल, 726.80 प्रति कुन्तल और 828.20 प्रति कुन्तल रहे हैं.