Agra Shiv Mandir: यूपी में एक ऐसा भी प्राचीन शिव मंदिर है जहां भोलेनाथ अपना रंग दिन में तीन बार बदलते हैं. सावन में शिव भक्त दूर-दूर से इस चमत्कारी शिव मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं. ये मंदिर कोई और नहीं बल्कि आगरा का राजेश्वर मंदिर है. जो करीब 850 साल पुराना है. आइए, इस मंदिर के इतिहास और मान्यता के बारे में जानते हैं.
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Agra Shiv Mandir: आपने आगरा के एक ऐसे मंदिर के बारे में जरूर सुना होगा. जहां भोलेनाथ अपना रंग दिन में तीन बार बदलते हैं. जी हां, करीब 850 साल पुराना ये मंदिर राजेश्वर मंदिर नाम से प्रसिद्ध है, यहां के प्रधान पुजारी की मानें तो आगरा का ये ऐतिहासिक मंदिर भारत में मौजूद सबसे पुराने पूजा स्थलों में मशहूर है. आगरा के ताजमहल के अलावा ये मंदिर भी पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र है. मान्यता यह है कि राजेश्वर मंदिर में आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जानकारी के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण राजखेड़ा के एक 'सेठ' किया था. आइए जानते हैं इस मंदिर के शिव के तीन बार रंग बदलने की दिलचस्प बातें.
रंग बदलने वाला शिवलिंग
पौराणिक कथा के मुताबिक, राजस्थान के राजखेड़ा का एक सेठ नर्मदा नदी के किनारे से बैलगाड़ी पर शिवलिंग लेकर यात्रा कर रहा था. वह शुरू में इसे राजखेड़ा में स्थापित करना चाहता था, लेकिन एक कुएं के पास विश्राम करने के लिए रुक गया. आराम करने के दौरान सपने में उसे महादेव ने शिवलिंग को वही स्थापित करने के लिए कहा. सेठ नहीं माना और शिवलिंग ले जाने की कोशिश करने लगा, लेकिन शिवलिंग वहां से नहीं हिला और वहीं स्थापित हो गया. तब से ये मंदिर यही पर है. मंदिर का कई बार पुनर्निमाण भी हो चुका है.
मंदिर से जुड़ी मान्यता
मान्यता ये भी है कि ये शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है. सुबह मंगल आरती के समय, दोपहर की आरती के दौरान हल्का नीला और शाम की आरती के समय गुलाबी रंग जैसा दिखता है. ये ऐतिहासिक मंदिर अपनी आरती के लिए भी जाना जाता है. जिस तरह से हर मंदिर की अपनी अनोखी आरती होती है, उसी तरह से इस मंदिर की भी अनूठी आरती है. राजेश्वर मंदिर में, सावन के पवित्र महीने के दौरान एक विशेष आरती आयोजित की जाती है. मंदिर के कपाट सुबह चार बजे भक्तों के लिए खुलते हैं और रात करीब साढ़े दस बजे बंद हो जाते हैं. सावन के महीने में एक विशेष पूजा भी होती है. इस मंदिर में दूर-दूर से शिव भक्त अपनी मुराद लेकर यहां आते हैं. सावन के महीने में यहां अलग ही रौनक देखने को मिलती है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां लोक मान्यताओं/ पौराणिक कथाओं पर आधारित हैं. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. Zeeupuk इसकी किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है.
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