Gyanvapi Masjid Case Update: ज्ञानवापी मस्जिद की इंतजामिया कमेटी को कोर्ट से बड़ा झटका, हिंदू पक्षकारों की बड़ी जीत
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Gyanvapi Masjid Case Update: ज्ञानवापी मस्जिद की इंतजामिया कमेटी को कोर्ट से बड़ा झटका, हिंदू पक्षकारों की बड़ी जीत

Gyanvapi Masjid Case Update: काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा अर्चना की मांग मामले में हिंदू पक्षकारो की बड़ी जीत हुई है...

Gyanvapi (File Photo)

Gyanvapi Case Hearing: काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा अर्चना की मांग मामले में हिंदू पक्षकारो की बड़ी जीत हुई है. मां श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग को लेकर वाराणसी कोर्ट में दाखिल सिविल वाद के खिलाफ मस्जिद की इंतजामिया कमेटी की याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद की इंतजामिया कमेटी की सिविल वाद की पोषणीयता को लेकर की गई आपत्ति को सीधे तौर पर खारिज कर दिया है. 

दरअसल वाराणसी की निचली अदालत में मां शृंगार गौरी की नियमित पूजा अर्चना की मांग को लेकर राखी सिंह व अन्य ने याचिका दाखिल की थी. 12 सितंबर 2022 को कोर्ट ने राखी सिंह व अन्य की याचिका को सुनवाई योग्य माना था.  वाराणसी कोर्ट के फैसले के बाद मस्जिद की इंतजामिया कमेटी ने हिंदू पक्ष के सिविल वाद के खिलाफ वाराणसी की कोर्ट में याचिका दाखिल कर सिविल वाद की पोषणीयता पर आपत्ति जताई थी.  हालांकि निचली अदालत ने मस्जिद की इंतजामिया कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया था. जिसके बाद वाराणसी कोर्ट के फैसले के खिलाफ मस्जिद कमेटी इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंची थी.

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यहां पर करीब 3 महीनों तक चली लगातार सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था. जस्टिस जेजे मुनीर की सिंगल बेंच ने आज अपना फैसला सुनाते हुए मस्जिद कमेटी की याचिका को सीधे तौर पर खारिज कर दिया है.  

हिंदू पक्ष इस फैसले के बाद अपनी जीत मान रहा है. क्योंकि वाराणसी कोर्ट में मां श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा अर्चना की मांग वाली याचिका पर सुनवाई को लेकर बाधा अब दूर हो गई है. हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद मस्जिद की इंतजामिया कमेटी सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती है. लेकिन अभी फिलहाल हिंदू पक्षकार की बड़ी जीत है. मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता का तर्क था कि उपासना स्थल अधिनियम से नियमित पूजा प्रतिबंधित है क्योंकि, पूजा से स्थल की धार्मिक प्रकृति से छेड़छाड़ होगी. जो कानूनन नहीं किया जा सकता. इसलिए वहां नियमित पूजा की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए. कानून के आधार पर सिविल वाद की मियाद बाधित करार दिया. कहा, चालाकी से पूजा के अधिकार की मांग में दाखिल सिविल वाद से विपक्षी के अधिकारों में हस्तक्षेप करने की कोशिश की गई है.  इससे 1991 के कानून का उल्लंघन होगा. इसलिए जिला अदालत में शृंगार गौरी की नियमित पूजा के लिए दाखिल वाद सुनवाई योग्य नहीं है.

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मंदिर पक्ष की ओर से कहा गया कि पौराणिक साक्ष्यों एवं 15 अगस्त 1947 के पहले से शृंगार गौरी, हनुमान व कृति वासेश्वर की पूजा होती आ रही है. इसलिए, 1991 का प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट इस मामले में लागू नहीं होगा. मंदिर पक्ष के वकील का कहना था कि मंदिर में मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा होने के बाद उस जमीन का स्वामित्व मूर्ति में निहित हो जाता है. हिन्दू विधि में मंदिर ध्वस्त होने के बाद भी अप्रत्यक्ष मूर्ति का अस्तित्व बना रहता है. मंदिर पक्ष के वकीलों ने कोर्ट में कहा औरंगजेब ने स्वयंभू विश्वेश्वर नाथ मंदिर तोड़ा और मंदिर की दीवार पर मस्जिद का आकार दिया गया है. इस्लामिक कानून के तहत इसे मस्जिद नहीं माना जा सकता. विवादित स्थल पर नमाज कुबूल नहीं होती. 

मंदिर पक्ष के वकीलों ने 1937 के दीन मोहम्मद केस का हवाला देते हुए कहा कि इस केस में केवल वादी को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई है. मुस्लिम समाज को नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं है. मंदिर पक्ष के वकीलों ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया कि जहां आज तीन गुंबद हैं, वहीं पर शृंगार गौरी, हनुमान व कृतिवास मंदिर था. एक नक्शा भी पेश किया गया. कहा कि किसी इस्लामिक इतिहासकार ने ज्ञानवापी मस्जिद का जिक्र नहीं किया है.  मंदिर पक्ष के वकीलों ने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट पहले का है. समवर्ती सूची के कारण प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट पर प्रभावी होगा. इस कानून के तहत ज्ञानवापी परिसर की भूमि विश्वनाथ मंदिर की है. मस्जिद का किसी भूमि पर स्वामित्व नहीं है.

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