6 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है शहीदी दिवस, आगरा के मशहूर गुरुद्वारे से जुड़ा है इतिहास
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6 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है शहीदी दिवस, आगरा के मशहूर गुरुद्वारे से जुड़ा है इतिहास

Shahidi Diwas: मुगल शासक औरंगजेब ने सिखों के नवे गुरु, गुरु तेग बहादुर पर मुस्लिम धर्म अपनाने का दबाव बनाया था लेकिन उन्होंने जब औरंगजेब की बात नहीं मानी तो औरंगजेब ने गुरु तेगबहादुर का सिर कटवा दिया था.

6 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है शहीदी दिवस, आगरा के मशहूर गुरुद्वारे से जुड़ा है इतिहास

Agra News: देश भर का सिख समुदाय 6 दिसंबर का दिन शहीदी दिवस के रूप में मनाता है. इस दिन की सिख समाज में बहुत मान्यता है. इस अवसर पर देशभर के गुरुद्वारों में धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.  आगरा के गुरु का ताल में यह दिन विशेष तैयारियों के साथ मनाया जाता है क्योंकि इस गुरुद्वारे का इतिहास गुरु तेग बहादुर से जुड़ा है. 

जानकारी के मुताबिक मुगल सम्राट औरंगजेब के शासन के दौरान गुरु तेगबहादुर ने गुरुद्वारे के भीतर भोरा साहिब जगह पर 9 दिन कारावास में बिताए थे.  इस विशेष स्थान पर गुरु तेग बहादुर जी से आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों द्वारा विनम्रतापूर्वक झुकना और अपना सिर जमीन पर रखना एक पूजनीय परंपरा है.

क्यों मनाते हैं शहीदी दिवस 
मुगल आक्रांताओं का सामना करने के दौरान सिखों के नवे गुरु, गुरु तेगबहादुर ने 6 दिसंबर 1975 के दिन अपना बलिदान दिया था. तभी से यह दिन बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है. मुगल शासक और आक्रांता औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर पर इस्लाम धर्म कबूल करने का दबाव बनाया लेकिन गुरु तेग बहादुर ने औरंगजेब के इस आदेश को नहीं माना, जिसके बाद औरंगजेब ने गुरु तेगबहादुर का शीश कलम करा दिया था. 

गुरु का ताल में कार्यक्रम
शहीदा दिवस के अवसर आगरा के गुरु का ताल गुरुद्वारा में सुबह 4 बजे से ही कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे. सुबह चार बजे से दोपहर एक बजे तक गुरु तेग बहादुर की पवित्र वाणी का पाठ किया जाएगा. इसके बाद शाम छह बजे से रात 10 बजे तक शबद कीर्तन और रागी जत्था कीर्तन का आयोजन किया जाएगा. वहीं श्रद्धालुओं के लिए दिन में लंगर का भी आयोजन किया जाएगा. 

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Disclaimer : लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. ज़ी यूपीयूके इसकी प्रामाणिकता का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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