Govardhan Puja 2024: गोवर्धन पूजा आज, इतने बजे से पहले कर लें गिरिराज की पूजा
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Govardhan Puja 2024: गोवर्धन पूजा आज, इतने बजे से पहले कर लें गिरिराज की पूजा

Real date of Govardhan puja 2024: हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. पांच दिन के दिवाली के महापर्व में चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. इस दिन महाराज की पूजा-अर्चना करने का विधान है.

Govardhan puja 2024

Govardhan Puja 2024 date: गोवर्धन पूजा भारत के प्रमुख त्योंहारों में से एक है जो दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है. इस दिन महाराज की पूजा-अर्चना करने का विधान है. गोवर्धन पूजा को लेकर भी लोगों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कुछ लोग ये पर्व 1 नवंबर को मनाने की बात कर रहे हैं तो कुछ 2 नवंबर को. आइए जानते हैं कि गोवर्धन पूजा कब है.

गोवर्धन महाराज की प्रतिमा
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन घरों में अन्नकूट का भोग बनाया जाता है. इसका विशेष महत्व है. गोवर्धन पूजा के दिन गाय के गोबर से घर में गोवर्धन महाराज की प्रतिमा बनाई जाती है और पूरे परिवार के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. विशेष रूप से उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में. इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर यानी कल है.

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गोवर्धन पूजा कब है 2024 में? (Govardhan puja kab hai 2024)
 उदया तिथि के अनुसार, गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2024 दिन शनिवार के दिन मनाई जाएगी.

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त कब है? (Govardhan puja muhurat 2024)
इस दिन गोवर्धन पूजा का मुहूर्त 2 नवंबर शाम 6 बजकर 30 मिनट से लेकर 8 बजकर 45 मिनट तक है. गोवर्धन पूजा के लिए आपको 2 घंटा 45 मिनट का समय मिलेगा.

गोवर्धन पूजा का भोग
गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट बनाया जाता है और उसी का भोग लगाने की परंपरा है. अन्नकूट के साथ ही भगवान कृष्ण के लिए 56 भोग का प्रसाद भी तैयार किया जाता है. इन्हीं 56 तरह के पकवानों को अन्नकूट बोला जाता है. इस दिन मंदिरों में भी अन्नकूट का आयोजन किया जाता है.

गोवर्धन पूजा विधि 
इस दिन सबसे पहले शरीर पर तेल की मालिश करके स्नान करें. इसके बाद घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं. ये घर के अंदर नहीं बनाई जाती है. इस आकृति कोउस पर्वत को घेरकर आसपास ग्वालपाल, पेड़ और पौधों की आकृति बनाएं. फिर गोवर्धन के पर्वत के बीचों बीच भगवान कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर लगाएं. इसके बाद गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की पूजा करें इसके बाद भगवान कृष्ण को पंचामृत और पकवान का भोग लगाएं. पूजा करने के बाद अपनी मनोकामनाओं की प्रार्थना करें.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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