बीजेपी की जीत से प्रेरित होकर क्या राम की शरण में जा रही है शिवसेना?
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बीजेपी की जीत से प्रेरित होकर क्या राम की शरण में जा रही है शिवसेना?

15 जून को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने सभी सांसदों के साथ अयोध्या कूच की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में जानकारों का मानना है कि शिवसेना अयोध्या आंदोलन कि जरिए अपने आधार को महाराष्ट्र के बाहर के प्रदेशों में बढ़ाना चाहती है.

राम मंदिर के सहारे शिवसेना ने आधार बनाने की कोशिश शुरू कर दी है. (फाइल फोटो)

लखनऊ: जहां एक ओर विहिप एक बार राम मंदरी आंदोलन को धार देने की कोशिश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर बीजेपी नहीं बल्कि शिवसेना ने राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन करने की तैयारी कर ली है. यही कारण है कि जून 15 शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने सभी सांसदों के साथ अयोध्या कूच की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में जानकारों का मानना है कि शिवसेना अयोध्या आंदोलन कि जरिए अपने आधार को महाराष्ट्र के बाहर के प्रदेशों में बढ़ाना चाहती है.

राम मंदिर आंदोलन को धार 80 के दशक में मिली जब विहिप ने कई साधू संतों को इकट्ठा करके कई आंदोलन किए, जिसमें जन जागरण से लेकर रामलला का ताला खुलवाना तक शामिल है. राम भक्तों को पहली महत्वपूर्ण सफलता उस वक़्त मिली जब 1986 में फ़ैज़ाबाद कि ज़िला कोर्ट ने राम मंदिर के ताला खोलने का आदेश पारित किया था. 

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80 के दशक में भारतीय जनता पार्टी कि स्थापना हुई शायद इसीलिए विपक्ष बीजेपी पर राम मंदिर पर केवल सियासत करने का आरोप लगाता रहा है. बीजेपी को कितना लाभ मिला यह तो आंकलन का विषय है पर शिवसेना जो कि एनडीए में शामिल है, राम मंदिर के सहारे अपना आधार बनाने की कोशिश शुरू कर दी है.

यूपी शिव सेना प्रमुख अनिल सिंह कहते हैं कि शिवसेना ने कारसेवा में जो योगदान दिया है, वो किसी छिपा नहीं है. अब बीजेपी कि सरकार पूर्ण बहुमत में है ऐसे में राम मंदिर का रास्ता अब तो प्रशस्त होना ही चाहिए. शिवसेना प्रमुख ने पहली ही कहा था, पहले मंदिर फिर सरकार अब तो सरकार भी बन गई

राम मंदिर आंदोलन के सहारे ही बीजेपी दो सांसदों की पार्टी से आज 303 सांसदों की पार्टी बनी है और ये बात आलोचक ही नहीं राजनैतिक दल भी मानते हैं. ऐसे में शिवसेना अयोध्या राम मंदिर की तरफ कूच करना अपनी राजनीतिक जनाधार को बढ़ाने से ज्यादा और कुछ नहीं है.

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विहिप अवध प्रांत संगठन मंत्री भोलेन्द्र कहते हैं की राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई हमेशा से साधु-संत और विहिप करता रहा है और उस आंदोलन में हिन्दू समाज की चिंता करने वाले सभी लोगों और संगठनों ने किया है. बीजेपी ने भी उस आंदोलन में खुलकर हिसा लिया है. अब शिवसेना उसको आंदोलन के क्या राजनीति करने जा रही है, यह तो शिव सेना ही जाने.

शिवसेना का ये कदम बीजेपी के लिए एक चुनौती है क्योंकि राजनीतिक दलों में बीजेपी ही राम मंदिर के मुद्दे को ऐसे उठाती रही है, जैसे उसका कॉपीराइट हो. हरीश श्रीवास्तव प्रवक्ता बीजेपी कहते हैं की राम मंदिर का मुद्दा बीजेपी के लिए कभी भी सियासत का मुद्दा नहीं रहा है, वो आस्था का विषय है. शिवसेना अब इस आंदोलन से क्या लाभ लेना चाह रही है, वो तो वही जाने पर बीजेपी ने हमेशा राम मंदिर निर्माण के पक्ष में खुल कर पैरवी की है. कहते हैं सियासत में सभी दलों की अपनी ढपली अपना राग होता है, शायद इसीलिए चाहे वह बीजेपी हो, विहिप हो या फिर अब शिव सेना हो सभी अपनी भूमिका का दावा करते आयें हैं.

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