यूपी निकाय चुनाव में हाईकोर्ट का आदेश, 4 दिन में ओबीसी कमीशन की रिपोर्ट वेबसाइट पर अपलोड करें
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1641651

यूपी निकाय चुनाव में हाईकोर्ट का आदेश, 4 दिन में ओबीसी कमीशन की रिपोर्ट वेबसाइट पर अपलोड करें

UP Nagar Nikay Chunav 2023 : उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा आदेश आया है. पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को वेबसाइट पर डालने का आदेश दिया है. 

Nagar Nigam Election 2023 in UP

UP Nagar Nikay Chunav 2023 : यूपी नगर निकाय चुनाव में गुरुवार को बड़ा आदेश आया. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आदेश दिया है कि 4 दिन में ओबीसी कमीशन की रिपोर्ट वेबसाइट पर अपलोड कर दी जाए. दरअसल, अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर मार्च में ओबीसी आयोग ने रिपोर्ट सौंप दी थी. लेकिन यह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में आरक्षण को लेकर याचिका दायर की गई है, जिस पर सुनवाई के दौरान यह आदेश आया.  

2010 के फैसले का आधार
निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर पिछली बार याचिकाकर्ताओं में से एक रहे संदीप पांडे का कहना है कि 2010 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में यह कहा गया था कि सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा के क्षेत्र में दिया जाने वाला आरक्षण एवं राजनीतिक आरक्षण दोनों अलग अलग है. यानी ओबीसी आयोग का गठन कर उत्तर प्रदेश, जंहां पर अन्य पिछड़ा वर्ग में 70 से अधिक जातियां हैं, वहां यह पता लगाए कि वो कौन सी जातियां हैं, जिनका राजनीतिक प्रतिनिधित्व कम है.

राजनीतिक पिछड़ेपन की शिकार जातियां कौन
अर्थात राजनीतिक रूप से पिछड़ी जातियाँ कौन-कौन सी हैं. क्योंकि देखा गया है कि आरक्षण का लाभ कुछ गिनी-चुनी जातियों में ही बंट जाता है. इसके आधार पर वो राजनीतिक रूप से पिछड़ी जातियां चिन्हित कर अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के तहत उन्हें सही राजनीतिक नुमाइंदगी दिलाई जाए. आयोग द्वारा इन जातियों का ब्योरा नहीं दिया गया था, जिनका राजनीतिक प्रतिनिधित्व कम पाया गया है.लिहाजा हाईकोर्ट ने 4 दिनों के अंदर इस रिपोर्ट को सार्वजानिक करने के लिए कहा है.

दिसंबर में आरक्षण की घोषणा
यह पहले ही आशंका जताई जा रही है कि कहीं याचिका को लेकर निकाय चुनाव फिर न लटक जाएं. पिछली बार दिसंबर में भी आऱक्षण की घोषणा नगर विकास विभाग की ओर से की गई थी, लेकिन इसका बाद ओबीसी आरक्षण में ट्रिपल टेस्ट का फार्मूला न अमल में लाए जाने को लेकर पेंच फंस गया था. 

गौरतलब है कि ओबीसी कमीशन ने करीब ढाई महीने के समय में 75 जिलों का दौरा कर सर्वेक्षण करने और पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व को लेकर रिपोर्ट तैयार की थी. ओबीसी आयोग की रिपोर्ट के बाद सरकार ने नगर निगम कानून और नगरपालिका अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश को मंजूरी दिलाई थी. नगर विकास विभाग ने इन संशोधनों के बाद निकायों में आरक्षण को लेकर सूची जारी की. साथ ही एक हफ्ते में आपत्तियां मांगी थी. हालांकि ओबीसी आयोग की रिपोर्ट में क्या विस्तृत जानकारी की गई और किस आधार पर कैसे आरक्षण की सिफारिश की गई, इसको लेकर रिपोर्ट की बातें सामने नहीं आई हैं. 

ओबीसी कमीशन की नई रिपोर्ट में क्या
- 2017 और 2012 के बीच आरक्षण को शून्य माना गया है.
-1995 को आधार बना कर किया जाने वाला चक्रानुक्रम आरक्षण खत्म किया गया है 
- 2023 से नए सिरे से चक्रानुक्रम आरक्षण शुरू किया गया है 
- नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत को अलग-अलग निकाय मानकर सीटों का रिजर्वेशन
-ओबीसी आयोग और 2011 की जनगणना को आधार मान कर नया आरक्षण लागू किया गया गया 

 

WATCH: बीजेपी स्थापना दिवस पर पीएम मोदी ने बताया- नए भारत और बजरंग बली में क्या समानता

Trending news