Rampur Lok Sabha Election 2024: अखिलेश की दूरी-आजम की मजबूरी, रामपुर में बीजेपी के घनश्याम लोधी के मुकाबले में दो मुस्लिम नेता
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Rampur Lok Sabha Election 2024: अखिलेश की दूरी-आजम की मजबूरी, रामपुर में बीजेपी के घनश्याम लोधी के मुकाबले में दो मुस्लिम नेता

Rampur lok sabha Seat 2024: रामपुर की धरती पर स्टार प्रचारकों से लेकर फिल्मी सितारों की रामपुर की धरती पर चहलकदमी रही है. रामपुर लोकसभा सीट कांग्रेस, भाजपा और सपा के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है। यहां नवाब परिवार से लेकर आजम खां तक का चुनाव में खूब वर्चस्व रहा है.  

UP Loksabha Chunav 2024

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए उत्तर प्रदेश की 8 सीटों पर पहले चरण में मतदान 19 अप्रैल को होना है. यूपी में कुल 8 सीटों पर होने वाली वोटिंग के लिए एनडीए और INDIA गठबंधन ने अपने कैंडीडेट उतारे हैं. जिसमें भाजपा, रालोद, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं. वहीं  कई जगह बसपा ने भी मजबूत कैडिंडेट उतारे हैं जिससे कई सीटों में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. इस खबर में जानते हैं रामपुर लोकसभा की सीट के बारे जहां  किस बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने किसे चुनावी मैदान में उतारा है. 

रामपुर की पूरी रिपोर्ट
रामपुर में विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव, यहां प्रचार का अपना एक अलग ही अंदाज रहा है. रामपुर सीट के बारे में एक नजर डाल लेते हैं. सपा नेता आजम खान का गढ़ माने जाने वाली इस सीट से बीजेपी से घनश्याम लोधी, सपा से मोहिबुल्ला नदवी और बसपा से जीशान खान कैंडीडेट हैं. 2019 के चुनाव में सपा के आजम खान ने बीजेपी की जयाप्रदा को हराया था.

कौन हैं बीजेपी प्रत्याशी घनश्या्म लोधी (Ghanshyam Lodhi)
रामपुर लोकसभा सीट से बीजेपी ने घनश्यान लोधी को टिकट दिया है. घनश्याम सिंह लोधी दो बार एमएलसी रहे हैं.  रामपुर में बीते उपचुनाव में उन्होंने बीजेपी के टिकट पर ही जीतकर सांसद बने थे. माना जा रहा है कि भाजपा ने जातीय समीकरणों को साधते हुए प्रत्याशी का चयन किया है. घनश्याम सिंह लोधी ग्रामीण परिवेश से संबंध रखते हैं. बीजेपी से सियासत की शुरुआत करने वाले घनश्याम सिंह लोधी ने कल्याण सिंह की नई पार्टी राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का भी प्रतिनिधित्व किया है.  साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने समाजवादी पार्टी छोड़ी और कमल थाम लिया. साल 2019 में रामपुर संसदीय सीट पर चुनाव हुआ तो सपा नेता आजम खां सपा-बसपा गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार बने और चुनाव जीते लेकिन 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में आजम खां फिर सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में आए और जीते. इसके बाद आजमने लोकसभा की सदस्यता छोड़ दी, जिसके बाद खाली हुई रामपुर संसदीय सीट पर उपचुनाव हुआ. इसमें भाजपा ने घनश्याम सिंह लोधी पर दांव लगाया और वह चुनाव जीत गए.

कौन हैं सपा प्रत्याशी इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी (SP candidate Imam Maulana Mohibullah Nadvi)
समाजवादी पार्टी ने इस बार लोकसभा चुनाव में नया चेहरा मैदान में उतारा. दिल्ली की पार्लियामेंट वाली मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को प्रत्याशी बनाया है. मौलाना मुहिबुल्लाह नदवी रामपुर के ही रहने वाले हैं और दिल्ली की पार्लियामेंट स्ट्रीट मस्जिद के इमाम हैं.एक रिपोर्ट के मुताबिक, मौलाना मुहिबुल्लाह नदवी करीब 15 साल से मस्जिद के इमाम हैं. 1 जनवरी, 1976 को रामपुर के रज़ा नगर गांव में जन्मे नदवी के पास जामिया मिलिया इस्लामिया से इस्लामिक स्टडीज में डिग्री और हरियाणा के फरीदाबाद में अल-फलाह विश्वविद्यालय से बी.एड की डिग्री है. 2005 में दिल्ली वक्फ बोर्ड ने उन्हें जामा मस्जिद का इमाम नियुक्त किया, जिसे संसद मस्जिद भी कहा जाता है.

कौन हैं बसपा प्रत्याशी जीशान खां (Who is BSP candidate Zeeshan Khan?)
जीशान खां प्रापर्टी डीलर हैं और राजनीति में भी काफी एक्टिव  रहते हैं.  वह रामपुर शहर से बसपा के अध्यक्ष भी रहे हैं.  बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रत्याशी जीशान खां (Zeeshan Khan) पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं. उनके परिवार की शहर में अच्छी पहचान है. उनके चाचा और चाची चुनाव लड़ते रहे हैं. जीशान खां युवा हैं और उनके चाचा शहाब खां, नगर पालिका के सभासद रहे हैं.  चाची शैला खां नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ चुकी हैं.  

2019 में सपा को मिली थी जीत
2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो यहां पर समाजवादी पार्टी के आजम खान विजयी हुए थे. आजम खान सपा और सपा के साझे उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे थे. उन्होंने 2 बार की सांसद रहीं फिल्म अत्रिनेत्री जयाप्रदा को हराया था. 

रामपुर सीट का संसदीय इतिहास
रामपुर लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण के लिहाज देखें तो यहां पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है.रामपुर संसदीय सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो इस सीट पर पहला चुनाव (1952) जीतने का श्रेय देश के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद को जाता है. मुस्लिम बहुल सीट होने के कारण यह सीट हमेशा चर्चा में रही है. ज्यादातर मौकों पर मुस्लिम उम्मीदवार ही चुनाव जीते हैं. अब तक हुए 17 चुनावों में 12 बार मुस्लिम उम्मीदवार ही विजयी हुए हैं. बेगम नूर बानो 1998 में बीजेपी के प्रत्याशी मुख्तार अब्बास नकवी से हारी थी. 1999 के चुनाव में बाजी पलटी और बेगम ने मुख्तार अब्बास नकवी को हरा दिया. 

कांग्रेस और सपा का गठबंधन
बीजेपी के साथ रालोद गठबंधन का हिस्सा है तो वहीं सपा और कांग्रेस साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. चुनावी मैदान में बसपा अकेले ही उतरी हुई है. इस खबर में जानते हैं कि यूपी में पहले चरण में होने वाले चुनाव के लिए आठ सीटों पर किस पार्टी ने किसे अपना उम्मीदवार बनाया है और इन आठ सीटों पर 2019 में किस पार्टी ने जीत दर्ज की थी. 

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