Darul Uloom Lifts Ban On Women's Entry: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के देवबंद स्थित दारुल उलूम ने महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है. लेकिन इसके लिए कुछ नियम बना दिए हैं. इन नियमों में हिजाब अनिवार्य, विजिटर पास, सूर्यास्त तक प्रवेश और वीडियोग्राफी पर रोक शामिल हैं.
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Darul Uloom: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम में महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया गया है. प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद में महिलाओं के प्रवेश के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. अब महिलाएं दो घंटे के विजिटर पास से प्रवेश कर सकेंगी. महिलाओं को पर्दे का पालन करना होगा. उन्हें सख्त नियमों के साथ परिसर में घूमने की अनुमति मिल गई है.
जानें क्या हैं नियम
देवबंद संस्था के एक सदस्य ने बताया कि देवबंद के दारुल उलूम परिसर में प्रवेश पर महिलाओं पर लगे प्रतिबंध को संस्था के प्रबंध तंत्र ने समाप्त कर दिया. कुछ नियमों के साथ महिलाओं को परिसर में घूमने की इजाजत मिल गई है. दारुल उलूम प्रबंध तंत्र ने कई दौर की वार्ता के बाद देश-विदेश से आने वाली महिलाओं के दारुल उलूम में प्रवेश को लेकर एक नियमावली तैयार की है, जिसका पालन करते हुए महिलाओं का प्रवेश दिया जाएगा.
वीडियोग्राफी समेत और क्या नहीं कर सकते
उन्होंने बताया कि अब दारुल उलूम प्रबंधन ने संस्थान के परिसर में प्रवेश के लिये आगंतुक (विजिटर) पास जारी करने के लिये एक अधिकारी को नियुक्त किया है. विजिटर पास में आधार कार्ड या वोटर कार्ड या पैन कार्ड फॉर्म संबंधित अधिकारी को दिखाना होगा. फॉर्म के एक कॉलम में विजिटर का नाम, मोबाइल नंबर, पता, घूमने आए सदस्यों (महिला और पुरुष) की संख्या आदि का ब्योरा देना होगा. महिलाओं को संस्था के अंदर प्रवेश करने की इजाजत दिन खत्म होने से पहले यानी सूर्यास्त तक की होगी. संस्था परिसर में बैठकर खाना खाने पर रोक रहेगी. पास की वैधता दो घंटे की होगी. महिलाएं शाम को विजिट नहीं कर सकेंगी. वीडियोग्राफी पर पूर्णतया पाबंदी रहेगी.
क्यों लगाया गया था महिलाओं की एंट्री पर बैन?
बता दें कि कुछ माह पहले दारुल उलूम प्रबंधन ने संस्थान में शिक्षण कार्य के दौरान बाहरी महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी थी. बाहर से संस्था में भ्रमण को आने वाली महिलाएं जहां बेपर्दा घूम रही थीं. वहीं, संस्था की ऐतिहासिक इमारतों के सामने बिना हिजाब फोटो भी ले रही थीं. साथ ही रील बनाकर और इस पर गाने की एडिटिंग कर इन्हें सोशल मीडिया पर डाला जा रहा था. इन सबसे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी. महिलाओं की एंट्री पर बैन लगाने पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई थी. इससे संस्था को फजीहत झेलनी पड़ रही थी. इसके चलते संस्था ने महिलाओं के संस्था में प्रवेश पर रोक लगा दी थी.
जानें क्या है दारुल उलूम देवबंद
पिछले डेढ़ सौ सालों में दारुल उलूम दुनियाभर में इस्लामी शिक्षा के सबसे केन्द्रों में से एक बनकर उभरा है. इसकी स्थापना सन् 1866 में हुई थी, जिसकी कहानी अंग्रेजों के खिलाफ 1857 में हुई आज़ादी की पहली लड़ाई से जुड़ी है. बताया जाता है कि अंग्रेजों के ज़ुल्म से बचने में कामयाब हुए मुस्लिम विद्वानों ने इस्लामी शिक्षा के लिए इस मदरसे की स्थापना की थी. इनपुट आईएएनएस से