अब इसे सियासी मजबूरी कहें या सियासी जरूरत. विपक्ष के नेताओं को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा बीजेपी का ढोंग और निजी कार्यक्रम नजर आता है. तो दूसरी तरफ इस बात पर यकीन नहीं कर पा रहे कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 11 दिन सिर्फ पानी पीकर उपवास किया होगा.
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Ram Mandir Pran Pratistha: बाल रूप में राम लला अपने भव्य धाम में विराज चुके हैं. 22 जनवरी को अभिजित मुहुर्त में पीएम नरेंद्र मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा की. ये बात अलग है कि सियासी चश्मे से विपक्ष के नेताओं को कुछ और नजर आ रहा है. समाजवादी पार्टी के एक नेता हैं. जिनका नाम स्वामी प्रसाद मौर्य हैं. अब सियासी मजबूरी कहें या जरूरत उनके बयान ऐसे होते हैं कि या तो उनकी जुबां फिसल जाती है या वो सियासी फसल काटने के लिए भड़काऊ बयान देते हैं. यूपी के गाजीपुर में मौर्य ने कहा कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा तो बीजेपी का ढोंग है और पीएम मोदी के लिए बीजेपी का निजी कार्यक्रम था.
'बीजेपी को और मुद्दों से लेना देना नहीं'
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि आखिर बीजेपी के लोग क्या संदेश देना चाहते हैं. अगर राम मंदिर बनाने का काम अदालती फैसले के जरिए संभव हुआ तो उससे जुड़े कार्यक्रमों में सरकार हिस्सा कैसे बन सकती है. 22 जनवरी को अयोध्या में बीजेपी ने अपनी पार्टी का कार्यक्रम बना दिया. हमारा विरोध भी तो इसी विषय पर है. उनका मानना है कि आप किसी खास धर्म की बात कर समाज में विद्वेष की भावना को जन्म दे रहे हैं. सियासत का इस्तेमाल खुद के हित के लिए, धार्मिक कार्यक्रमों के लिए होने लगे तो चुप्पी कहां तक ठीक है. किसी ना किसी को बोलना ही होगा. वो विपक्ष के नेता के तौर पर अपनी बात कह रहे हैं. देश के सामने और मसले है जिनके बारे में विचार करने की जरूरत है. लेकिन बीजेपी क्या कर रही है. हम शिद्दत के साथ बीजेपी की समाज में द्वेष फैलाने वाली कोशिशों का विरोध करते रहेंगे.
'11 दिन सिर्फ पानी पीकर उपवास, संभव नहीं'
इन सबके बीच कांग्रेस के कद्दावर नेता वीरप्पा मोइली को पीएम मोदी के उपवास पर भी शक हो रहा है. कर्नाटक के चिकबल्लापुप में वो कहते हैं कि सच तो यह है कि पीएम मोदी ने उपवास नहीं किया था. अगर आप सिर्फ सात दिन तक सिर्फ पानी पीकर उपवास करें तो एक या दो दिन में आप गिर जाएंगे. यानी कि आपका स्वास्थ्य उपवास के लिए इजाजत नहीं देगा. अगर कोई लगातार 11 दिन तक उपवास करे तो वो जिंदा नहीं रह सकता. मोइली ने कहा कि बीजेपी नेताओं की आदत रही है कि वो लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करते हैं. देश को विभाजित करने की कोशिश हो रही है. कांग्रेस का मानना रहा है कि धर्म का विषय अपनी जगह है और इसका नाता राजनीति से नहीं होना चाहिए.