सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा है कि अभी तक ग़ैरकानूनी हथियार रखने और इसके इस्तेमाल के आरोप में आर्म्स एक्ट के तहत कितने मामले दर्ज किए गए है.
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सुप्रीम कोर्ट ने गन कल्चर के बढते प्रभाव पर चिंता जाहिर की है. कोर्ट ने कहा कि इस तरह का ट्रेंड खतरनाक है. कोर्ट ने यूपी में ग़ैर लाइसेंसी हथियार के रखने और इस्तेमाल के बढ़ते मामलों पर स्वत: संज्ञान लिया है. कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा है कि अभी तक ग़ैरकानूनी हथियार रखने और इसके इस्तेमाल के आरोप में आर्म्स एक्ट के तहत कितने मामले दर्ज किए गए है. इसके साथ ही यूपी सरकार को यह भी बताना है कि वो गन कल्चर की इस बीमारी को जड़ से हटाने के लिए क्या कोशिश कर रही है
यूपी सरकार को हलफनामा दाखिल करने को कहा
दरअसल जस्टिस के एम जोसेफ और जस्टिस बी वी नागरत्ना की बेंच के सामने एक शख्स की ज़मानत अर्जी सुनवाई हो रही लगी थी जिसमें आरोपी पर ग़ैरकानूनी हथियार रखने का आरोप था. राजेंद्र सिंह नाम का यह आरोपी पांच साल से ज़्यादा का वक़्त जेल में गुजार चुका है. इस ज़मानत अर्जी के दौरान बेंच ने स्वत: संज्ञान लेते हुए यूपी सरकार से आर्म्स एक्ट के तहत की गई कार्रवाई का ब्यौरा मांग लिया.
'नागरिकों को हथियार रखना मूल अधिकार नहीं'
जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा कि अमेरिकी संविधान के मुताबिक हथियार रखना वहां मूलभूत अधिकार है, लेकिन हमारे यहां ऐसा नहीं है. हमारे संविधान निर्माताओं ने अपने विवेक से देश के नागरिकों को ऐसा कोई अधिकार देना उचित नहीं समझा है. जस्टिस जोसेफ ने कहा कि मैं केरल से हूं. वहां ऐसे मामले बहुत कम देखने सुनने को मिलते है .जस्टिस बी वी नागरत्ना ने कहा कि गन कल्चर दरअसल सामन्तवादी सोच का परिचायक है.
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