हजारों मील का फासला तय कर दिल्ली पहुंची खास प्रजाति की चमगादड़, तस्वीरें देख एक्सपर्ट्स के उड़े होश
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हजारों मील का फासला तय कर दिल्ली पहुंची खास प्रजाति की चमगादड़, तस्वीरें देख एक्सपर्ट्स के उड़े होश

राजधानी दिल्ली में एक हैरान कर देने वाली चमगादड़ की प्रजाति मिली है. जिसके लंबे कान और एक से ज्यादा रंग हैं. राजधानी दिल्ली की डीडी वायो डायवर्सिटी पार्क में मिली इस चमगादड़ को लेकर कहा जा रहा है कि सिर्फ तीन जगहों पर पाई जाती है. दिल्ली इसके दिखना काफी हैरान कर देने वाला है. 

हजारों मील का फासला तय कर दिल्ली पहुंची खास प्रजाति की चमगादड़, तस्वीरें देख एक्सपर्ट्स के उड़े होश

राजधानी दिल्ली में एक बेहद दुर्लभ किस्म की चमगादड़ मिलने के बाद जीव एक्सपर्ट हैरानी हैं. चमगादड़ की यह हैरान करने वाली प्रजाति दिल्ली के डीडीए यमुना बायो डायवर्सिटी पार्क में देखी गई है. कहा जा रहा है कि दिल्ली में मिली चगादड़ की यह प्रजाति आमतौर पर दुनिया भर में सिर्फ तीन जगहों पर पाई जाती है. एक पश्चिमी घाट में ब्रीडिंग कॉलोनी, मेघालय की जैंतिया पहाड़ियों में छोटी कॉलोनियां और यह कंबोडिया में भी देखी गई हैं. 

दिखने में भी बेहद दुर्लभ है यह चमगादड़

इस प्रजाति का नाम 'रॉटन फ्री-टेल्ड बैट' बताया जा रहा है और यह पहली बार 1913 में ब्रिटिश डॉ एमआर ओल्डफील्ड थॉमस ने इसका जिक्र किया था. यह चमगादड़ अपने बड़े आकार, थूथन से आगे तक फैले हुए कानों और अपने दो रंग के मखमली फर के लिए पहचाना जाता है. यह मुख्य तौर पर गुफाओं या अंधेरे, नम स्थानों में मध्यम आकार की कॉलोनी में रहती हैं. हालांकि इस चमगादड़ के खाने के बारे में सीमित जानकारी ही उपलब्ध है. इसके वितरण से पता चलता है कि यह संभवत अलग-अलग तरह के कीड़ों को खाती है और चारा तलाशते समय लंबी दूरी तक उड़ने में सक्षम है.

खाने की तलाश में दिल्ली पहुंची चमगादड़

इसीलिए कहा जा रहा है कि यह चमगादड़ अपने भोजन की तलाश के लिए दिल्ली तक पहुंच आई है. पार्क कार्यक्रम के वैज्ञनिक प्रमख खुदसर ने इस बात पर जोर दिया कि यमुना बायो डायरवर्सिटी पार्क में बहाल की गई नमी वाली जमीन और बाढ़ के मैदानों से लेकर अरावली बायो डायवर्सिटी पार्क में विशेष स्थानों तक, दिल्ली के अलग-अलग आवासों ने अद्वितीय चमगादड़ प्रजातियों को सहारा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

दिल्ली में चमगादड़ की 14 प्रजातियां

उन्होंने आगे बताया कि उदाहरण के के तौर पर देखा जा सकता है कि अरावली बायो डायवर्सिटी पार्क राजधानी में ब्लिथ के हॉर्सशू बैट (चमगादड़ की एक प्रजाति) के लिए एकमात्र ज्ञात बसेरा स्थल भी है. खुदसर ने कहा कि दिल्ली में चमगादड़ों की लगभग 14 प्रजातियां हैं, हालांकि उनमें से कई को हाल के वर्षों में नहीं देखा गया है और उन्हें स्थानीय रूप से विलुप्त माना जाता है.

इकोलॉजिकल कंट्रोल करती हैं चमगादड़

खुदसर ने इस बात पर जोर दिया कि चमगादड़ रात के आकाश के स्वामी के रूप में इकोलॉजिकल कंट्रोल बनाए रखने में एक अहम किरदार निभाती है. कीटभक्षी चमगादड़ कीटों की आबादी को कंट्रोल करने में अहम किरदार अदा करते हैं, जो रात में लाखों कीटों को खाते हैं, जबकि फलभक्षी चमगादड़ बीज फैलाव में योगदान करते हैं.

यह एक अहम खोज

खुदसर ने कहा कि दिसंबर की शुरुआत में डीडीए यमुना बायो डायवर्सिटी पार्क में हाल ही में देखा जाना एक महत्वपूर्ण खोज है. यह खोज हमारे इको-सिस्टम की परस्पर संबद्धता की याद दिलाती है, जहां चमगादड़ जैसे जीव भी बायो डायरवर्सिटी और इको लॉजिकल हेल्थ को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती हैं.

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