शीशपाल लिंबा और उनकी पत्नी निशा लिंबा पैरा एथलीट है दोनों ने मिलकर नेशनल टूर्नामेंट में 23 मैडल जीते हैं. द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित आरडी सिंह, महावीर सैनी और रामावतार सैन ने उन्हें खेल की बारीकियां और दांवपेंच सिखाए हैं. दोनों साई के रिटायर्ड कोच जसकरण सरां से भी खेल गुर सीख रहें हैं. शीशपाल को शॉटपुट, जैवलिन और डिस्कस थ्रो में गोल्ड मेडल मिला तो वहीं निशा ने 100 और 200 मीटर दौड़ में गोल्ड हासिल किया.
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Sriganganagar: बड़ा भया तो क्या भया जैसे पेड़ खजूर पंछी को छाया नहीं फल लागे अतिदूर. ये कहावत उन लोगो के लिए बहुत सटीक बैठती हैं, जिनके दर्शन तो बड़े होते हैं लेकिन काम के कुछ नहीं होते है. हमारे आस पास अक्सर हम कई लोगों को देखते है और सिर्फ उन्हें देखकर ही उनके बारे में राय बना लेते हैं, हम व्यक्ति की शारीरिक बनावट के आधार पर ही उनके व्यवहार और काम को लेकर निर्णय कर लेते है वो भी बिना उसकी काबिलियत को जाने, आज की हमारी कहानी भी एक ऐसे ही पॉवर कपल की है, जिन्होंने साज के ताने सहे, कदम कदम पर हंसी के पात्र बने लेकिन आखिर में संघर्षो से पार पाकर अपना मुकाम हासिल कर लिया.
श्रीगंगानगर के इस कपल ने जिंदगी की चुनौतियों को स्वीकार किया और आगे बढ़ता गया. ये पॉवर कपल हैं शीशपाल लिंबा और उनकी पत्नी निशा लिंबा जो पैरा एथलीट हैं. दोनों ने पैरा एथलेटिक्स में नेशनल लेवल पर खेलते हुए कई मैडल जीते है. इन पति-पत्नी का कद महज 3.2 और 3.3 फीट है लेकिन हौसले बहुत बड़े है. अब शीशपाल और निशा दोनों ही पैरालंपिक में खेलने की तैयारी में जुटे गये है.
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लोग बनाते थे मजाक, मारते थे ताने
छोटा कद होने के चलते अक्सर, शीशपाल और निशा का लोग मजाक बनाया करते थे, उनके कद को लेकर ताने दिया करते थे. कई बार उन्हें उपेक्षाओं का शिकार होना पड़ता था.लोग उन्हें सर्कस में जाने की राय दिया करते थे. जिसे लेकर उन्हें बुरा भी लगता था लेकिन वो हार नहीं मान सकते थे. उन्हें अपनी काबिलियत पर भरोसा था, जिसके चलते उन्होंने सभी के मुंह पर ताले लगा दिए. शीशपाल लिंबा और उनकी पत्नी निशा लिंबा पैरा एथलीट है दोनों ने मिलकर नेशनल टूर्नामेंट में 23 मैडल जीते हैं. द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित आरडी सिंह, महावीर सैनी और रामावतार सैन ने उन्हें खेल की बारीकियां और दांवपेंच सिखाए हैं. दोनों साई के रिटायर्ड कोच जसकरण सरां से भी खेल गुर सीख रहें हैं.
कद से नहीं काबिलियत से मिलती है सफलता
इस पॉवर कपल का मानना है की सफलता के लिए कद नहीं काबिलियत मायने रखती है. कपल का कहना है कि ' लोग हमारे छोटे कद का मजाक उड़ते थे. अपनी हाइट की वजह से हम लोगों के बीच हमेशा चर्चा का विषय बनते थे. लोग मजाक बनाते, ताने मारते, अक्सर हमें एक मजाक के रूप में ही देखा जाता था. हमें भी उसी ऊपर वाले ने बनाया है, हमने उसकी मर्जी मानकर इसे स्वीकार किया है. नॉर्मल लोगों की तरह ही पढ़ाई की और खेल में भी हाथ आजमाया. अब समझ में आया कि कद से ज्यादा आपकी काबिलियत अहम है. वही आपको जीवन में आगे लेकर जाती है.
2017 में एक दूसरे के हुए शीशपाल और निशा
शीशपाल का निशा से मिलना भी काम दिलचस्प नहीं है. शीशपाल का निशा से मिलना भी काम दिलचस्प नहीं है निशा दिल्ली की रहने वाली है. साल 2017 में एक परिचित के माध्यम से दोनों के परिवारों की मुलाकात हुई उसके बाद निशा और शीशपाल मिले और परिवार की राजमंदी से दोनों सात जन्मो के बंधन में बंध गए. आज दोनों अपने अपने लक्ष्य की तरफ बाढ़ रहें हैं, दोनों का एक बेटा भी है.
पैरा एथलेटिक्स में जीते कई पदक
नेशनल स्तर पर इस पॉवर कपल ने पैरा एथलेटिक्स में कई पदक जीतकर राजस्थान का मान बढ़ाया है. शीशपाल और निशा ने स्टेट पैरा एथलेटिक्स में पांच पदक जीते है. साल 2017 में दोनों ने उदयपुर में स्टेट पैरा एथलेटिक्स में पांच पदक जीते थे. शीशपाल को शॉटपुट, जैवलिन और डिस्कस थ्रो में गोल्ड मेडल मिला तो वहीं निशा ने 100 और 200 मीटर दौड़ में गोल्ड हासिल किया. साल 2018 में निशा ने डिस्कस थ्रो और शॉटपुट में ब्रांज मैडल जीता. साल 2019 में स्टेट चैंपियनशिप में निशा ने सौ मीटर दौड़ व लोंग जंप में गोल्ड और शीशपाल ने शॉटपुट व डिस्कस थ्रो में सिल्वर मैडल और जैवलिन थ्रो में ब्रांज मैडल हासिल किया. उसके बाद 2020 में शीशपाल ने जैवलिन थ्रो में सिल्वर और शॉटपुट में ब्रांज मैडल अपने नाम किया. तो निशा भी पिछे नहीं रही साल 2021 में निशा ने नेशनल पैरालिंपिक में गोला फेंक में गोल्ड और डिस्कस थ्रो में सिल्वर मैडल जीत लिया. मार्च 2022 में जयपुर में पैरालिंपिक स्टेट प्रतियोगिता में निशा ने शॉटपुट और डिस्कस थ्रो में गोल्ड मैडल पर कब्जा कर लिया.
पैरा-एथलेटिक्स ने बदली जिंदगी की कहानी
शीशपाल ने साल 2014 से 2017 तक प्रशासनिक सेवा की तैयारी की, मगर सिलेक्शन नहीं हुआ.उसके बाद साल 2017 में उन्हें पैरा एथलेटिक्स के बारे में पता चला, तब पत्नी निशा को इसके बारे में बताया और दोनों ने तैयारी करना शुरू कर दिया. निशा को पहले ही साल में खेलों में अपने प्रदर्शन के दम पर पीडब्ल्यूडी में क्लर्क की नौकरी मिल गई. दोनों के कोच जसकरण सरां कहते है कि दोनों काफी मेहनती हैं कद छोटा होने के कारण परेशानी आती है, लेकिन ग्राउंड टेक्नीक बताई जाती है उसे वे अच्छे से सीखते हैं और आजमाते हैं. दोनों का सपना है कि पैरालिपिंक खेल कर देश का नाम रोशन करें.
शीशपाल और निशा की कहानी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है, जो शारीरिक बनावट के आधार पर खुद को काम आंकते है. साथ ही जवाब है उन लोगों के लिए जो शारीरिक अक्षमताओं के आधार पर लोगों का मजाक बनाते हैं.
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