सिरोही का ऐसा गांव जहां आज भी न सड़क है, न बिजली, बुनियादी सुविधाओं के अभाव में तरस रही है आंखे
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सिरोही का ऐसा गांव जहां आज भी न सड़क है, न बिजली, बुनियादी सुविधाओं के अभाव में तरस रही है आंखे

Sirohi News: आजादी के 75 वर्ष के बाद भी सिरोही जिले के आबूरोड तहसील के बोसा गांव के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. गांव में पानी, बिजली, शिक्षा व सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. यहां के ग्रामीण एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए पहाड़ों पर चढ़कर पथरीले रास्तों पर चलकर रास्ता तय करते हैं .

सिरोही का ऐसा गांव जहां आज भी न सड़क है, न बिजली, बुनियादी सुविधाओं के अभाव में तरस रही है आंखे

Sirohi News: आजादी के 75 वर्ष के बाद भी सिरोही जिले के आबूरोड तहसील के बोसा गांव के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. इस गांव में आज भी पानी,बिजली, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. यह गांव आज भी अपनी अवस्था पर मानो रोने को मजबूर है.

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आजादी से लेकर अब और तहसील के बोसा गांव में पानी, बिजली, शिक्षा व सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. यहां के ग्रामीण एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए पहाड़ों पर चढ़कर पथरीले रास्तों पर चलकर रास्ता तय करते हैं. उनके लिए समस्या तब और अधिक खड़ी हो जाती है जब गांव का कोई भी व्यक्ति बीमार हो जाए उस अवस्था में यह कपड़े की झोली बनाकर मरीज को उसमें बिठाकर आते हैं और डामर सड़क तक पहुंचाते हैं, जहां पर वाहन के माध्यम से उसको अस्पताल पहुंचाया जाता है.
समस्या का समाधान नहीं 
इस मामले में कई बार ग्रामीणों ने अधिकारियों व नेताओं को अवगत करवाया लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया. हर जगह से थक हारने के बाद ग्रामीणों ने स्वयं के बल पर कुछ करने का फैसला लिया और उन्होंने एक स्थान से दूसरे स्थान पर गांव में जाने के लिए कच्ची सड़क बनाने की सोची. ग्रामीणों ने पथरीले पहाड़ों पर दिन में तपती धूप में एक साथ आने जाने के लिए कच्ची सड़क बनाने का फैसला लिया और जुट गए इस कार्य को सफल बनाने में मिट्टी डालकर ग्रामीणों ने इस सड़क को बनाने का कार्य शुरू किया. लेकिन यह कार्य भी वन विभाग को नहीं भाया. उन्होंने तुरंत अपने वन कर्मी मौके पर भेज दी है और इस कार्य को रुकवा दिया.
 बिजली का कनेक्शन नहीं
ग्रामीणों का कहना है कि उनके खेतों पर कभी लाइट थी ही नहीं लेकिन इस बार उन्होंने खेतों पर लाइट लगाने के लिए कनेक्शन हुआ लेकिन बिजली के खंभों को ले जाने के लिए सड़क की आवश्यकता थी. ट्रैक्टर पर बिजली के खंभे व ट्रांसफार्मर ले जाने के लिए सड़क नहीं होने के कारण बिजली का कनेक्शन नहीं हो पा रहा था जिस पर ग्रामीणों ने अपने स्तर पर ही सड़क बनाने की सोची. सड़क बनाने का कार्य अपने स्तर पर भी शुरू कर दिया लेकिन वन विभाग के कर्मियों ने आकर इस कार्य को रुकवा दिया.

 आजादी के 75 वर्ष के बाद आई बिजली के कनेक्शन का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है. अब यहां के ग्रामीण असमंजस की स्थिति में है. कनेक्शन मिलने के बावजूद भी कनेक्शन नहीं हो पाना उनके लिए एक बहुत बड़ी समस्या बन गया है. ग्रामीणों ने इस बारे में स्थानीय स्तर पर अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से भी संपर्क किया.

आंखों से आंसू निकलने लगे
बोसा गांव में खादरा फली के निवासियों के घरों तक सड़क नहीं है, ग्रामीण आजादी के बाद सड़क सुविधा से वंचित होने से त्रस्त है, पिछले कुछ दिनों से उन ग्रामीणों ने संकल्प लेने के बाद पगडंडी के रास्ते कुछ वाहन आगे बढ़ जाए. इस उद्देश्य से श्रमदान कर रहे थे लेकिन वन कर्मी मौके पर पहुंचे और उन्हें श्रमदान से रोक दिया गया. वन कर्मियों ने उन्हें काम रोकने के लिए कहा ,वरना घरों को जला देने की धमकी दी. इस पर ग्रामीण काफी दुखी हुए महिला पुरुष और बच्चों की आंखों से आंसू निकलने लगे और थके हारे गैती फावड़ा लेकर अपने आशियाने और लौट गए.

आदिवासियों को उनका हक़ दिलवाएंगे
उधर, पूरे मामले पर ग्रामीणों की समस्या और वन विभाग द्वारा कार्य को रुकवाने पर पंचायत समिति बीडीओ नवलाराम मौके पर पहुंचे. उन्होंने कहा की पिछले दिनों हुई रात्रि चौपाल में भी इस सड़क का मुद्दा उठा पर वन विभाग की ज़मीन होने के चलते सड़क नहीं बनाई जा रही है. जल्द खदराफली में निवासरत परिवारों को वनाधिकार के पट्टे देकर अस्थाई तौर ओर सड़क निर्माण को लेकर प्रयास किए जाएंगे..
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