सिरोही: माधव विश्वविद्यालय में शुरू होगा AIMS माधव हॉस्पिटल,बेहतर सेवाओं के लिए एमयोयू हुए साइन
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सिरोही: माधव विश्वविद्यालय में शुरू होगा AIMS माधव हॉस्पिटल,बेहतर सेवाओं के लिए एमयोयू हुए साइन

सिरोही न्यूज: माधव विश्वविद्यालय में शुरू AIMS माधव हॉस्पिटल शुरू होगा. बेहतर सेवाओं के लिए एमयोयू साइन हुए हैं.यह राजस्थान का पहला इंटीग्रेटिव मेडिकल साइंसेज हॉस्पिटल होगा.

 

सिरोही: माधव विश्वविद्यालय में शुरू होगा AIMS माधव हॉस्पिटल,बेहतर सेवाओं के लिए एमयोयू हुए साइन

Sirohi: सिरोही जिले के आबू रोड स्थित मधव विश्वविद्यालय के कैंपस में AIMS – Madhav (Asian Integrative Medical Sciences-Madhav)  में ट्रामा सेंटर हॉस्पिटल की शुरुआत की जाएगी. यह फैसला माधव विश्वविद्यालय और एआईएमएस के बीच हुई संयुक्त बैठक में लिया गया. साथ ही इस मौके पर दोनों संस्थाओं के बीच एमओयू भी साइन किया गया. 

इस मौके पर माधव विश्वविद्यालय के प्रेसिडेंट प्रो. के.एस. दहिया ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि इससे राष्ट्रीय राजमार्ग 27 पर आए दिन होने वाली सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों को जल्द से जल्द उपचार देकर उनकी जान बचाई जा सकेगी. इसी बैठक में विश्वविद्यालय के प्रो - प्रेसिडेंट प्रो. रणदीप सिंह ने भी एम्स माधव का लोगों जारी करते हुए कहा कि इससे आदिवासी क्षेत्र के आसपास के लाखों लोगों को स्वास्थ्य सुवुधाएं मुहैया कराई जा सकेगी.

खासबात ये कि यहां चिकित्सा की अनेक पद्धतियों की सुविधा उपलब्ध होगी. चिकित्सा की सभी पद्यति जैसे की एलोपैथी, होम्योपैथी एवं आयुर्वेद साथ में काम करे ऐसा सपना प्रधानमंत्री मोदी ने देखा था, इसी के तरत उन्होंने पूरे विश्व का सबसे बड़ा Global centre for traditional medicine  जामनगर में बनवाया. 

उसी सपने को ध्यान में रखते हुए राजस्थान को पहली बार इंटीग्रेटिव मेडिसिन हॉस्पिटल की सौगात AIMS माधव के रूप में प्राप्त हो रही है. इसके लिए  एमओयू भी किया गया है. गौरतलब है कि इस क्षेत्र में स्वास्थ्य की सुविधाओं का हमेशा से ही अभाव रहा है जिसके कारण राजस्थान की जनता को इलाज के लिए दूसरे राज्य गुजरात का रूख करना पड़ता है.

कैंसर,फिजियोथेरेपी और अन्य रोगों के उपचार की मिलेंगी सेवाएं

पिछले कुछ दशकों में महिलाओं और युवा वयस्कों में कैंसर की घटनाओं में वृद्धि हुई है.  राजस्थान में देश के कैंसर के बोझ का 5.67% हिस्सा है, जो स्वास्थ्य अधिकारियों और राज्य के लोगों के लिए गंभीर चिंता का कारण है. ओरल कैंसर पश्चिम क्षेत्र (24.69%) और मध्य क्षेत्र (31.82%) में सबसे अधिक प्रचलित है.   राजस्थान में अधिकतम मुंह और  गले के कैंसर में 4th स्टेज में निदान होता है. 

यह अनुमान लगाया गया है कि मुंह के कैंसर के लगभग 50% रोगी लक्षणों से अवगत होने के 1-2 महीने के बाद स्वास्थ्य देखभाल संस्था की  पहली बार मुलाकात करते  हैं, जबकि लगभग 20-30% मरीज तीन महीने से अधिक समय के बाद  मदद मांगते हैं. इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए यहां पर कैंसर के भी उपचार की सेवाओं का लाभ, यहां के निवासी प्राप्त कर पाएंगे. 

आने वाले समय में यह सभी सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं जिसके अन्तर्गत सभी बीमारियों का इलाज मुफ्त में या रियायती दर पर होगा. इन बातों की घोषणा शुक्रवार को हुई संयुक्त मीटिंग में इस फाउंडेशन के प्रेसिडेंट कैप्टन रतन सिंह देवड़ा और सेक्रेटरी व हेड, नेक कैंसर सर्जन डॉक्टर शक्ति सिंह देवड़ा ने की.

ऐशियन हेड नैक कैंसर संस्था देगी सहयोग-

एशियन हेड नैक कैंसर संस्था 2017 में एन  जी ओ (NGO ) रजिस्टर्ड है. ऐशियन हेड नैक कैंसर संस्था तम्बाकू के हानिकारक प्रभावों और कैंसर के प्रारंभिक पता लगाने और उपचार के लिए मार्गदर्शन के बारे में व्यापक जागरूकता के सकिर्य रूप से जोधपुर , सिरोही , जालोर व पाली (राजस्थान ) और गुजरात में कई वर्षों से काम कर रही है.

साथ ही नए उपचारों को आगे बढ़ाने के लिए ओरल, हेड और नेक कैंसर के शुरुआती पता लगाने और उपचार में सहायक अनुसंधान और शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. इस मौके पर माधव विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. भावेश कुमावत, सलाहकार जे.बी. शर्मा, फाउंडेशन की तरफ से ट्रेजरर, डॉ भार्गव गुप्ता, एम्स माधव के फैसिलिटी डायरेक्टर निलेश परमार, डॉ. दर्शित वाजा, पवन सिंह चौहान, और रमेश साईं आदि उपस्थित रहे.

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