Bamanwas:साल 2022 में हुई 625 मिमी से अधिक बारिश के बाद उपखंड क्षेत्र और पास के क्षेत्र के पर्यटन और सिंचाई का मुख्य स्रोत कहे जाने वाले ढील बांध पर पानी की बंपर आवक हुई है. हफ्तेभर से ढील बांध पर 1 फीट से अधिक जलस्तर में बढ़ोत्तरी हुई हैं.
पूरे प्रदेश में जमकर बारिश होने से जलस्तर में वृद्धि हुई है. जिसको देखने के लिए बांध पर पर्यटकों का सैलाब उमड़ने लगा है. गौरतलब है कि जयपुर के तत्कालीन शासक सवाई माधो सिंह द्वितीय ने सन् 1911 में इस बांध का निर्माण करवाया था. करीब 250 वर्ग मील जल भराव क्षेत्र वाले से बांध की क्षमता 1215 मिलियन क्यूबिक फीट है. बांध से करीब 29 मील तक नहरें बनी है और आसपास के सैकड़ों गांव के लिए सिंचाई के प्रमुख स्रोत का काम करती है.
बता दें कि बांध की बनावट और प्राकृतिक आभामंडल पर्यटकों को आकर्षित करता है. ऐसे में बांध ओवरफ्लो होने के बाद हजारों की तादाद में यहां पर्यटक आते हैं. उपखंड मुख्यालय के पर्यटकों के लिए पिकनिक का मुख्य स्रोत माने जाने वाले बांध पर चादर चलने के बाद स्थानीय लोगों में खुशी का माहौल है. वहीं बांध भरने से स्थानीय किसानों के चेहरे भी खिल उठे हैं. हालांकि बांध पर अधिक जलस्तर में बढ़ोत्तरी के बाद से क्षेत्र में बाजरे और तिल की फसलों को भारी नुकसान होने की भी संभावनाएं है.
बांध पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर माकूल व्यवस्थाएं न होना भी आश्चर्यजनक है. दरअसल बांध की दीवार की ऊंचाई 50 फीट से अधिक है. वहीं बांध के ठीक बाहर बनी हुई दीवार पर रेलिंग टूटी हुई है. जिस पर लोगों की आवाजाही बनी रहती है. तेज ओवरफ्लो के चलते टूटी रेलिंग के कारण हादसे की भी संभावना बनी रहती है. स्थानीय लोगों द्वारा पूर्व में कई बार प्रशासन से रेलिंग को दुरुस्त करवाने की मांग की जा चुकी है. लेकिन मामला जस का तस बना हुआ है.
इसी के साथ मुख्य बांध में भी सैंकडो यूवा कूदकर नहाते हैं और तैराकी का लुत्फ उठाते है. बांध की अत्यधिक गहराई और लगातार आवक के कारण मुख्य बांध में तैराकी भी हादसे की वजह बन सकती है. ऐसे में बांध पर नहाने से रोकने को लेकर भी प्रशासन लापरवाही कर रहा है.
स्थानीय लोगों ने बांध क्षेत्र को विकसित कर पर्यटन स्थल के रूप स्थापित किए जाने की मांग भी की है. वर्तमान में बांध पर पहुंचने के लिए भी सुगम रास्ता नही है. एसे में पर्यटकों को खासी परेशानी आती है.
Reporter: Arvind Singh
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