भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े कारगिल युद्ध के दौरान राजस्थान के नागौर जिले के कठौती गांव के वीर सपूत मूलाराम बिडियासर ने अहम भूमिका निभाई थी. पाकिस्तानी सेना ने उनका अपहरण कर लिया था लेकिन उन्होंने बर्बरता और अमानवीय अत्याचार के बावजूद मुंह नहीं खोला. पाकिस्तान ने उन्हें मार दिया था.
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Jayal, Nagaur News: राज्य में वीरांगनाओं को नौकरी देने के सियासी माहौल के बाद नागौर जिले के जायल तहसील के कटौती गांव के कारगिल शहीद मूलाराम बिडियासर की पुत्री पूनम ने भी शहीद परिवार को नौकरी देने की मांग की है.
शहीद मूलाराम बिडियासर की पुत्री पूनम ने बच्चों का हक मारकर अन्य रिश्तेदार को नौकरी देना गलत बताया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ट्वीट में बताया कि शहीद के बच्चों का हक मारकर दूसरे रिश्तेदार को नौकरी गलत.
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भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े कारगिल युद्ध के दौरान नागौर जिले के कठौती गांव के वीर सपूत मूलाराम बिडियासर ने अहम भूमिका निभाई थी. पाकिस्तानी सेना ने उनका अपहरण कर लिया था लेकिन उन्होंने बर्बरता और अमानवीय अत्याचार के बावजूद मुंह नहीं खोला. पाकिस्तान ने उन्हें मार दिया था. इस जवान की शहादत को आज हर कोई याद करता है.
1999 में हुए थे शहीद
दरअसल युद्ध के दौरान बिडियासर उन पांच जवानों में शामिल थे, जिनका 15 मई 1999 को कश्मीर की बजरंग पोस्ट पर पेट्रोलिंग के दौरान अपहरण कर लिया गया था. पहले से सुसज्जित बंकरों में घात लगाये बैठे घुसपैठियों ने घात लगा कर हमला किया था. इस दौरान भीषण मुठभेड़ हुई थी. नागौर जिले की जायल तहसील के गांव कठोती में रहने वाले रघुनाथ राम और उनकी पत्नी रामेश्वरी हर पल अपने बेटे को याद करते रहते हैं. इनके बेटे मूलाराम 1999 के कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे.
परिवार को नौकरी देने की बात कही
शहीद मूलाराम बिडियासर की पुत्री ने सरकार के नियमों के मुताबिक, शहीद की पत्नी के नाम पर परिवार को सुविधाएं दी गयी लेकिन शहीद की पत्नी ने दूसरी शादी कर ली और रघुनाथ राम के परिवार को छोड़कर चली गयी. शहीद मूलाराम की बेटी पूनम ने शहीद के बच्चों का हक मारकर दूसरे रिश्तेदार को नौकरी देने पर कहा कि सरकार के नियमों को बदले और शहीद परिवार को नौकरी देने की बात कही.