आनंदपाल एनकाउंटर की वो कहानी जो खुद IPS दिनेश एमएन ने बताई, कैसे खत्म हुआ था खेल
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आनंदपाल एनकाउंटर की वो कहानी जो खुद IPS दिनेश एमएन ने बताई, कैसे खत्म हुआ था खेल

Anandpal Singh encounter : राजस्थान में नागौर के सांवराद गांव का रहने वाला आनंदपाल सिंह. जिसका साल 2017 में चूरू में एनकाउंटर हो गया था. इसे स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप यानि SOG ने अंजाम दिया था. उस समय SOG की कमान IPS दिनेश एमएन के हाथों में थी.

आनंदपाल एनकाउंटर की वो कहानी जो खुद IPS दिनेश एमएन ने बताई, कैसे खत्म हुआ था खेल

IPS दिनेश एमएन ने हाल ही में द लल्लनटॉप में दिए इंटरव्यू में आनंदपाल एनकाउंटर की पूरा कहानी बताई. कहानी जून 2016 से शुरु होती है. जब दिनेश एमएन को राजस्थान में SOG का IG बनाया गया. राजस्थान में SOG स्पेशल ऑपरेशन के लिए बने ग्रुप को कहते है. जिस समय दिनेश एमएन ने ये पद संभाला उस समय आनंदपाल फरार चल रहा था. और Dinesh MN पर भी सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले में सीबीआई केस चल रहा था.

SOG की प्लानिंग

दिनेश एमएन के नेतृत्व में एसओजी ने जो प्लान बनाया उसके मुख्यत: तीन प्वाइंट थे. आनंदपाल से पहले उनके गुर्गों को जेल में डालकर पूरे नेटवर्क को तोड़ना. आनंदपाल गैंग से जुड़ी बेनामी संपत्ति को जब्त करना. गिरफ्तार के बाद कोर्ट में सजा सुनिश्चित करना.

पुलिस और SOG का ज्वाइंट मिशन

एसओजी ने सबसे पहले बीकानेर और नागौर पुलिस समेत अलग अलग जिलों की पुलिस की मदद लेकर आनंदपाल गैंग से जुड़े पूरे नेटवर्क की डिटेल निकालनी शुरु की. अलग अलग मामलों में उनके गुर्गों को गिरफ्तार कर सजा दिलाना शुरु किया. जिसमें नागौर के तत्कालीन एसपी परीस देशमुख, एसपी राहुल बारहठ और एडिशनल एसपी ज्ञानंचद की महत्वपूर्ण भूमिका रही.

इस पड़ताल से फायदा ये हुए कि 3 अलग अलग केस में आनंदपाल की कोर टीम के 20-25 लोगों को आजीवन कारावास की सजा हो गई. धीरे धीरे गैंग टूटने लगी. एक्टिव मेंबर कम होने लगे. इसके अलावा आनंदपाल गैंग की 120 करोड़ से ज्यादा की बेनामी संपत्ति सरकार से जब्त कराई. उसी प्रोपर्टी को बेनामी ट्रांजेक्शन एक्ट में भी जब्त कराया.

धीरे धीरे आनंदपाल गैंग के 150 के करीब लोग शिकंजे में आ चुके थे. इसमें एसओजी, एटीएस, नागौर पुलिस, जयपुर पुलिस, सीकर पुलिस, चूरू पुलिस ने अहम भूमिका निभाई. अगर किसी आरोपी को जमानत होती तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जमानत के खिलाफ अर्जी लगाई जाती. इसमें आरोपियों को महंगे वकील करने के लिए मोटी रकम खर्च करनी पड़ती होती और धीरे धीरे वे आर्थिक रूप से कमजोर होते जाते. 

सस्पेंड कांस्टेबल ने बदला खेल

बीकानेर में दुर्गादत्त नाम का पुलिस कांस्टेबल किसी मामले में सस्पेंड चल रहा था. दुर्गादत्त को भी एसओजी की इसी टीम का हिस्सा बनाया गया. और ह्यूमन इंटेलीजेंस जुटाने पर लगाया गया. 12 जून 2017 के दिन इसमें कामयाबी मिली. दुर्गादत्त ने आनंदपाल गैंग से जुड़े एक शख्स को इंफॉर्मर के तौर पर तैयार किया. रात को 12 बजे दिनेश एमएन से बात कराकर उस युवक को सुरक्षा का भरोसा दिलाया गया. दिनेश एमएन ने रात 1 बजे अपनी वर्दी के साथ फोटो खींचकर दुर्गादत्त को भेजा और उस युवक को भरोसा दिलाया.

यहीं से आनंदपाल की गैंग में घुसपैठ करने में एसओजी कामयाब हुई. धीरे धीरे उसके भाईयों और उसकी लोकेशन जुटाई गई. कई नंबर को सर्विलांस पर लिया गया. और आखिरकार एक रोज सटीक सूचना पर उसके भाईयों को पकड़ा और उनकी जानकारी के आधार पर ही आनंदपाल तक पहुंचने में कामयाब रहे.

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