महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा महात्मा ज्योतिबा फुले पर अमर्यादित टिप्पणी पर माली समाज द्वारा कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन
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महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा महात्मा ज्योतिबा फुले पर अमर्यादित टिप्पणी पर माली समाज द्वारा कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन

माली समाज के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर राष्ट्रपति से महाराष्ट्र के राज्यपाल को बर्खास्त करने एवं सार्वजनिक रूप से बिना शर्त माफी मांगने की मांग की है.

टिप्पणी के विरोध में माली समाज एकजुट और लामबंद होने लगा.

Karauli: महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई पर महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा की गई टिप्पणी के विरोध में माली समाज एकजुट और लामबंद होने लगा है. माली समाज के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर राष्ट्रपति से महाराष्ट्र के राज्यपाल को बर्खास्त करने एवं सार्वजनिक रूप से बिना शर्त माफी मांगने की मांग की है.

महात्मा ज्योतिबा फुले विकास संस्थान अध्यक्ष प्रेम सिंह माली, नगर परिषद के उपसभापति सुनील सैनी आदि ने बताया कि महात्मा ज्योतिबा फुले ने अछूतों के उद्धार के लिए काम किया जबकि सावित्रीबाई फुले ने महिला शिक्षा के लिए काम किया है.

 ऐसे महान और समाज सुधारकों के खिलाफ संवैधानिक पद पर बैठे लोगो को गलत तथा दुर्भावनापूर्ण वक्तव्य नहीं देनी चाहिए. राज्यपाल के वक्तव्य को लेकर समाज के लोगों में भारी आक्रोश है. माली समाज के विभिन्न संगठनों और संस्थाओं के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट पर जमकर प्रदर्शन किया तथा राज्यपाल को पद से बर्खास्त करने तथा सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की है.

 इस दौरान समाज के लोगों ने कड़े शब्दों में राज्यपाल के वक्तव्य की भी निंदा की. महात्मा ज्योतिबा फुले विकास संस्थान अध्यक्ष प्रेम सिंग माली ने बताया कि महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा सार्वजनिक सभा में महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले पर सार्वजनिक तौर से अभद्र टिप्पणी करके उनके जो अनुयायी है उनके साथ भेदभाव किया गया उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई.

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 जिन्होंने महिला शिक्षा और अछूतों के उद्धार के लिए शिक्षा की अलख जगाई जिस प्रकार की हंसी के माध्यम से उनकी खिल्ली उड़ा कर अपमान करना समाज को बर्दाश्त नहीं है. उन्होंने बताया कि इस प्रकार के गरिमामई पद पर बैठे व्यक्ति को इस प्रकार की भाषा का उपयोग नहीं करना चाहिए था जो इस प्रकार का व्यवहार रखता है दुर्भावना रखता है इस प्रकार के पद पर बैठने का उसको कोई अधिकार नहीं है.

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Reporter- Ashish Chaturvedi

 

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