Jodhpur News: हाईकोर्ट का एससी एसटी एक्ट को लेकर अहम आदेश. अतिक्रमण चिन्हित करने गए अधिकारियों ने दर्ज कराया था मुकदमा. कोर्ट ने कहा भंगी,नीच,भिखारी,मंगनी शब्द नहीं है जाति सूचक. याचिकाकर्ताओं के खिलाफ एससी एसटी एक्ट की धाराए हटाने का आदेश.
Trending Photos
Jodhpur News: जोधपुर राजस्थान हाईकोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में अहम आदेश पारित करते हुए एससी-एसटी एक्ट में दर्ज मुकदमें चार जाति सूचक शब्दों को हटाते हुए कहा कि भंगी, नीच, भिखारी, मंगनी जैसे शब्द जातिसूचक नहीं हैं. हाईकोर्ट के जस्टिस बीरेन्द्र कुमार की एकलपीठ में अचलसिंह व अन्य की ओर से पेश अपील पर सुनवाई के बाद चार लोगों के खिलाफ एससी एसटी एक्ट की धाराओं को हटाने का आदेश दिया.
लेकिन अतिक्रमण मामले में राहत देने से इंकार कर दिया. मामला जैसलमेर के कोतवाली थाने का है जहां पर 13 साल पहले अतिक्रमण को लेकर सरकारी अधिकारियों के साथ मौके पर कुछ लोगों ने अभ्रद व्यवहार किया बल्कि मारपीट भी की थी. ऐसे में 31 जनवरी 2011 को एससी-एसटी एक्ट सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.
सरकारी अधिकारी हरीश चंद्र अन्य अधिकारियों के साथ अचल सिंह द्वारा किए गए अतिक्रमण की जांच करने गए थे. जब वे साइट का नाप कर रहे थे, तब अचल सिंह ने सरकारी अधिकारी हरीश चंद्र को अपशब्द जिनमें ( भंगी, नीच, भिखारी और मंगनी) जैसे शब्द कहे. इस दौरान हाथापाई भी हुई. इस पर सरकारी अधिकारी की ओर से अचल सिंह के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट का मामला कोतवाली थाने में दर्ज करवाया गया था.
इस मामले में चार लोगों पर आरोप लगाए गए थे. इन चारों ने एससी-एसटी एक्ट के तहत लगे आरोप को चुनौती दी थी. अपीलकर्ताओं का कहना था कि पीड़ित की जाति के बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी. यह तर्क दिया गया कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि घटना सार्वजनिक रूप से हुई, गवाह महज अभियोजन पक्ष ही था. मामला दर्ज होने के बाद कोतवाली पुलिस की ओर से जांच शुरू की गई.
इस दौरान इससे संबंधित कोई सबूत नहीं मिले. मामले की सुनवाई में अपीलकर्ता के वकील लीलाधर खत्री ने कहा कि अपीलकर्ता को अधिकारी के जाति के बारे में जानकारी नहीं थी. इसके कोई सबूत भी नहीं मिले हैं कि ऐसे शब्द बोले गए और ये घटना भी जनता के बीच हुई हो.
ऐसे में पुलिस की जांच में जातिसूचक शब्दों से अपमानित करने का आरोप सच नहीं माना गया. हाईकोर्ट ने आदेश दिए- भंगी, नीच, मांगनी और भिखारी शब्द जातिसूचक नहीं हैं और यह एससी,एसटी एक्ट में शामिल नहीं होगा. ऐसे में जातिसूचक शब्दों के आरोप के मामले में अपीलकर्ता को बरी किया, लेकिन सरकारी ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को रोका गया है, इस पर केस चलता रहेगा.