बंसल को राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में प्रमोशन मिला तो आगे के लिए कठिन चुनौती भरा काम भी पार्टी ने दिया है. आगामी दिनों में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें बीजेपी के लिए तेलंगाना सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
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Jaipur: भारतीय जनता पार्टी के संगठन में राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य पर एक और चेहरा उभर कर आया है. इस बार जिम्मेदारी मिली है राजस्थान के कोटपूतली के सपूत सुनील बंसल को.दरअसल उत्तर प्रदेश में संगठन की पकड़ मजबूत बनाने और दो बार पार्टी को सत्ता में लाने का ईनाम सुनील बंसल को राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में प्रमोशन के रूप में मिला है. राष्ट्रीय महामंत्री बनाए जाने के साथ ही एक बार फिर सुनील बंसल के लिए संगठन ने नई टास्क भी तय कर दी है.बंसल के पास पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और तेलंगाना जैसे गैर हिंदी भाषी राज्यों की जिम्मेदारी होगी.
राजस्थान के कोटपूतली में जन्मे सुनील बंसल अपने छात्र जीवन में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं. संगठन कौशल उन्हें एबीवीपी से ही सीखने को मिला. छात्र जीवन में एबीवीपी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए संगठन ने सुनील बंसल के कौशल को समझा और उन्हें राजस्थान में ही उदयपुर प्रांत में एबीवीपी के संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई.
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यूपी में कमल खिलाने में बंसल की अहम भूमिका
उदयपुर में दायित्व को जिम्मेदारी पूर्वक अंजाम देने का पुरस्कार राजस्थान के प्रांत संगठन मंत्री के रूप में मिला. सुनील बंसल ने राजस्थान में एबीवीपी के प्रांत संगठन मंत्री के रूप में काम करते हुए युवा शक्ति को संगठन से जोड़ा. लगातार बेहतर काम करते हुए देखकर संगठन की तरफ से उन्हें सक्रिय राजनीतिक क्षेत्र में भेज दिया गया. यहां से वह बीजेपी में जुड़े और पार्टी ने उन्हें उत्तर प्रदेश के संगठन में महत्वपूर्ण दायित्व दिया गया. संगठन महामंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश में अपना संगठन कौशल दिखाते हुए सुनील बंसल ने पहला काम साल 2014 के लोकसभा चुनाव में किया. तब उत्तर प्रदेश से बंसल की अगुवाई में पार्टी को बड़ी बढ़त मिली. इसके बाद उनका लोहा पार्टी ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में आए नतीजों से भी मान.बीजेपी बहुमत में आई और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने.
इसके बाद साल 2019 के लोकसभा चुनाव और पिछले दिनों हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी सरकार दोहराई तो उसमें भी सुनील बंसल की महत्वपूर्ण भूमिका रही. उत्तर प्रदेश में पार्टी को दो बार सत्ता में लाने में बंसल की भूमिका के बाद से ही माना जा रहा था कि संगठन उन्हें कोई नया और महत्वपूर्ण दायित्व सौंप सकता है. इस अनुमान को आज संगठन ने आधिकारिक घोषणा करके पुख्ता भी कर दिया.बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह ने सुनील बंसल का नियुक्ति पत्र जारी किया.
बंसल के सामने होंगी ये चुनौतियां
बंसल को राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में प्रमोशन मिला तो आगे के लिए कठिन चुनौती भरा काम भी पार्टी ने दिया है. आगामी दिनों में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें बीजेपी के लिए तेलंगाना सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है. कर्नाटक के बाद दक्षिण में बीजेपी की उपस्थिति दर्ज कराने के लिए यहां पर सकारात्मक माहौल तैयार करने के लिए संगठन कौशल के रूप में पार्टी सक्रिय और मजबूत नेता की तलाश कर रही थी. पार्टी की यह तलाश सुनील बंसल के रूप में सामने आई है.
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इसके साथ ही बंगाल में पश्चिम बंगाल में पिछले विधानसभा चुनाव में सीएम ममता बनर्जी से मात खाने के बाद बीजेपी ने बंगाल में भी संगठन मजबूत करने का जिम्मा सुनील बंसल को दिया है.उड़ीसा भी गैर हिंदी भाषी राज्यों में बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण रहा है.हालांकि वहां नवीन पटनायक के बीजू जनता दल को अभी तक कोई पार्टी मजबूत चुनौती नहीं दे पाई है, लेकिन बीजेपी को यहां भी सुनील बंसल से किसी करिश्मे से कम की आस नहीं है.बंसल की नियुक्ति के साथ ही बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन में राजस्थान से आने वाले नेताओं की संख्या में बढ़ोतरी हो गई है.अब सुनील बंसल के आने के बाद वसुंधरा राजे, अलका गुर्जर और राज्यवर्धन राठौड़ के साथ राजस्थान से चार नेता राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में शुमार हो गए हैं.
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